गोरखपुर में भी पुलिस टीम पर कई बार हो चुके हैं हमले

कानपुर की घटना को लेकर दिनभर शहर में होती रही चर्चा

GORAKHPUR: पिछले तीन दशक में ऐसी घटना गोरखपुर में नहीं हुई है। इस तरह की घटना कुशीनगर जिले में तब हुई जब जंगल दस्युओं का वर्चस्व था। 29 अगस्त 1998 की बात है। तब कुशीनगर- पडरौना नया जिला बना था। इसको लेकर पुलिस कर्मचारियों में भी काफी उत्साह था। जन्माष्टमी पर कार्यक्रम चल रहा था। इसी दौरान थाने के एसओ अनिल पांडेय को जंगल दस्युओं के बारे में जानकारी मिली। मुखबिर ने बताया कि एरिया के प्रधान के घर डकैती पड़ने वाली है। बारिश के सीजन में नदी उफान पर थी। डोगीं नाव लेकर पुलिस की दो टीमें रवाना हुईं। एक टीम नदी पार कर दूसरी ओर चली गई। लेकिन जब दूसरी टीम पहुंची तो अंधेरे में डकैतों ने घेर लिया। डकैतों के हमले में एसओ अनिल पांडेय सहित पांच लोग शहीद हो गए।

दूसरी घटना हमारे पिता स्व। कामता प्रसाद राय के साथ 2000 में हुई। श्रावस्ती जिले के प्रयागपुर में हमारे पिता एसओ थे। नौ जनवरी 2000 की रात में 11 बजे बदमाशों की तलाश में पिता जी दबिश देने गए। इस दौरान बदमाशों ने उनको गोली मार दी। कर्तव्य पालन में हमारे पिता शहीद हो गए। ठीक ऐसे ही जैसे गुरुवार की रात कानपुर में हुआ। यह बताते हुए धर्मशाला चौकी प्रभारी धीरेंद्र राय भावुक हो उठे।

गोरखपुर में पहले भी हुए हमले

गोरखपुर पुलिस के बीच शुक्रवार को दिनभर कानपुर की घटना को लेकर चर्चा होती रही। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि 2005 में खोराबार में नंगा निषाद के घर दबिश देने गई पुलिस टीम की अगुवाई कर रहे एसआई प्रमोद सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हिस्ट्रीशीटर और उसके सहयोगियों ने घेराबंदी कर पुलिस वालों को घायल कर दिया। पुलिस रिकार्ड में वर्ष 2019 में 15 हमले सामने आए हैं।

पुलिस पर हमले की घटनाएं

09 मई 2020: अमरूतानी में दबिश देने गई पुलिस टीम पर तस्करों ने पुलिस टीम पर हमला किया।

20 जुलाई 2018: चिलुआताल, बरगदवां में पुलिस ने पशु तस्करों की गाड़ी रोकी। तस्करों ने पुलिस पर हमला कर दिया। उनके हमले में एक दरोगा और सिपाही को चोट लगी। इसके अलावा कई बार पशु तस्करों ने पुलिस ने बचने के लिए धावा बोला। बड़ी मुश्किल के बाद पुलिस उनको काबू कर सकी।

29 नवंबर 2019: कैंपियरगंज के बलुआ चौकी में घुसकर हिस्ट्रीशीटर ने पुलिस पर हमला किया। उसके हमले में कई पुलिस कर्मचारी चोटिल हुए।

14 अक्टूबर 2019: चौरीचौरा एरिया के रौतनिया में हिस्ट्रीशीटर मिथुन पासवान और उसके साथियों की मौजूदगी की सूचना पुलिस को मिली। तत्कालीन एसएचओ ने टीम के साथ दबिश दिया। मिथुन को गिरफ्तार करने के दौरान विवाद हो गया। लोगों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। साथी कर्मचारियों को छोड़कर एसएचओ निकल गए। बदमाशों के हमले में कांस्टेबल वंश नारायण घायल हो गए।

21 मार्च 2019: पीपीगंज एरिया के फुलवरिया में अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम गई थी। मनबढ़ों ने पुलिस को घेरकर हमला कर दिया।

सूचना से फैमिली मेंबर्स परेशान, कानपुर रवाना

कानपुर में हिस्ट्रीशीटर के हमले में गोला एरिया के बेलवार पाठक निवासी एसआई सुधाकर पांडेय भी घायल हुए हैं। शुक्रवार सुबह यह जानकारी उनके फैमिली मेंबर्स को मिली तो लोग परेशान हो गए। सुधाकर पांडेय के बुजुर्ग पिता रामनयन पांडेय और मां शारदा देवी की तबियत बिगड़ गई। एसआई के भाई अमरनाथ ने अपने भतीजे प्रवीण और भाभी को फोन कर हालचाल जाना। बरेली में 1985-86 में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुए सुधाकर को पांच साल पूर्व विभागीय परीक्षा पास करके दरोगा बने हैं। वह करीब डेढ़ साल से कानपुर में तैनात हैं। लॉक डाउन के दौरान वह बुजुर्ग माता-पिता से मिलने आए थे। उनकी फैमिली लखनऊ में रहती है। गांव पर रहने वाले परिवार के लोग कानपुर रवाना हो गए हैं।

फैक्ट फीगर

जिले में कुल हिस्ट्रीशीटर - 1244

2020 में बढ़े हिस्ट्रीशीटर- 24

चौरीचौरा में सबसे ज्यादा हिस्ट्रीशीटर - 98

जिले में रजिस्टर्ड माफिया गैंग- 87

गैंग से जुड़े हुए सदस्यों की तादाद- 393

माफिया गैंग, हिस्ट्रीशीटर और जेल से छूटे बदमाशों का वेरीफिकेशन कराया जा रहा है। कुछ लोगों को चिह्नित भी किया गया है जिनकी हिस्ट्रीशीट खोली जाएगी। इसके जिम्मेदार एसपी को सौंपी को गई है। पुलिस पर हमला करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

सुनील गुप्ता, एसएसपी