GORAKHPUR:

जिले के ब्लड बैंक के संसाधनों की पड़ताल शुक्रवार को जॉइंट डायरेक्टर ब्लड सेफ्टी डॉ। गीता अग्रवाल ने की। उन्होंने जिले के आठ ब्लड बैंक और देवरिया के एक ब्लड बैंक की समीक्षा की।

इस दौरान फातिमा हॉस्पिटल और सावित्री हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के इंतजाम में कुछ खामियां मिलीं। इन दोनों ब्लड बैंक में ब्लड यूनिट के डिस्कार्ड 'खराब' होने की मात्रा दूसरे ब्लड बैंकों से अधिक रही। ज्वाइंट डायरेक्टर ब्लड सेफ्टी ने रिव्यू मीटिंग भी की। इस रिव्यू मीटिंग में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। रामेश्वर मिश्रा, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ। एसके यादव व एडिशनल सीएमओ डॉ। एनके पांडेय के अलावा जिले के सभी आठ ब्लड बैंकों के प्रभारी और देवरिया के एक ब्लड बैंक के प्रभारी ने शिरकत की।

ज्वाइंट डायरेक्टर ने खून के खराब होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि फातिमा और सावित्री में चार फीसदी यूनिट डिस्कार्ड हो रहा है। इसमें सुधार की जरूरत है। खून की आपूर्ति में जिला अस्पताल की परफार्मेस अच्छा है। यहां पर एक भी यूनिट डिस्कार्ड नहीं हुई। उन्होंने बताया कि एचआईवी की तरह अब हेपेटाइटिस बी व सी पर भी काम करना है। जो भी सैंपल रिएक्टिव आते हैं। उनको फौरन रेफरल सेंटर पर जांच के लिए भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में 94 फीसदी खून स्वैच्छिक रक्तदान से मिलता है। यह बेहद अच्छी बात है। यह दूसरों के लिए नजीर भी है। उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, सिटी ब्लड बैंक और फातिमा अस्पताल को स्वैच्छिक रक्तदान की क्षमता 40 फीसदी तक लाने का निर्देश दिया। इसके लिए उन्होंने तीन महीने की मियाद दी है।