गोरखपुर (ब्यूरो).पुलिस महकमे से जुड़े लोगों का कहना है कि पुलिस के कामकाज का तरीका बदल रहा है। एक तरफ जहां मोबाइल के जरिए चीजें आसान हुई हैं। वहीं काम के प्रेशर में बढ़ी दौड़भाग से जेब का खर्च भी बढऩे लगा है। बीट पर निकलने वाले कांस्टेबल को रोजाना कम से कम एक लीटर पेट्रोल खर्च करना पड़ता है। अधिकांश लोगों का एक दिन का बाइक का खर्च ही दो सौ रुपए से अधिक होता है। जबकि हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के लिए दो सौ रुपए प्रतिमाह साइकिल भत्ता निर्धारित है। ऐसे में सभी को अपनी जेब से ही रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

दौ सौ लीटर डीजल में महीने पर गश्त करते थानेदार

कम भत्ता मिलने से बीट पुलिस ऑफिसर ही नहीं, बल्कि थानेदार भी परेशान हैं। थानेदार की जीप को महीने भर गश्त करने के लिए मात्र दो सौ लीटर डीजल ही मिलता है। जबकि हर सूचना पर थानेदार की जीप अपने एरिया में दौड़ती रहती है। कभी मीटिंग तो कभी वीआईपी ड्यूटी सहित कई तरह की जिम्मेदारी अलग से उठानी पड़ती है। ऐसे में दो सौ लीटर डीजल में महीने भर जीप चला पाना काफी मुश्किल होता है। इतना ही नहीं है थाने पर पकड़कर लाए जाने वाले मुल्जिमों के लिए थानेदार को एक दिन का सिर्फ 25 रुपया ही मिलता है।

बीपीओ के जिम्मे यह काम

- बीट से आने वाली शिकायतों की जांच करके उसकी रिपोर्ट तैयार करना।

- बीट एरिया में मौजूद बदमाशों की निगरानी करना, उनके बारे में जानकारी उपलब्ध कराना।

- शमन, नोटिस तामिला, आम्र्स लाइसेंस, पासपोर्ट, कैरेक्टर सहित अन्य की तरह की जांच की जिम्मेदारी

- शांति भंग की आशंका में पाबंदी, चालानी रिपोर्ट करने आरोपितों की धर-पकड़ का काम

- एरिया में होने वाले क्राइम की सूचना बीट में दर्ज करना, लेखपाल और राजस्व कर्मचारियों से बेहतर संबंध बनाना

- सभ्रांत लोगों के बीच में जाकर उनको व्हाट्सएप ग्रुप से जोडऩा, एरिया में चल रही गतिविधियों की जानकारी लेना

फैक्ट फीगर

- एसआई को हर माह बाइक भत्ता - 700 रुपए

- दीवान और कांस्टेबल को साइकिल भत्ता - 200 रुपए

- थाने की जीप को पेट्रोलिंग के हर माह डीजल - दो सौ लीटर

- पकड़े गए मुल्जिमों का लंच, ब्रेकफास्ट- 25 रुपए प्रतिदिन