गोरखपुर (ब्यूरो)। इस प्रस्ताव के तहत मेडिकल कॉलेज में ब्लड एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के स्थापना की मांग की गई है। यह विभाग पैथोलॉजी से अलग रहेगा। इस विभाग में शिक्षकों के न्यूनतम तीन पद का सृजन होगा। इसके नवसृजित विभाग में पीजी की पढ़ाई भी होगी। विभाग में आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों के पद घटाया बढ़ाए जा सकेंगे। बीआरडी की तरफ से शासन को यह प्रस्ताव दूसरी बार भेजा गया है। सबसे पहले पूर्व प्राचार्य डॉ। राजीव मिश्र के कार्यकाल में वर्ष 2016 में इस प्रस्ताव को भेजा गया था।

सरकार ने दे रखी है हरी झंडी

ब्लड बैंक के इंचार्ज और बीआरडी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध नेहरू अस्पताल के एसआईसी डॉ। राजेश राय ने बताया कि राज्य सरकार ने इसकी पहल की है। शासन ने पुराने मेडिकल कॉलेजों को इस बात की मंजूरी दी कि वह ब्लड बैंक को विभाग में तब्दील कर सकते हैं। इसके कई फायदे होंगे। सबसे बड़ी बात यह कि यह पैथोलॉजी से अलग हो जाएगा। एक स्वतंत्र विभाग रहेगा। जिससे इसका विकास तेजी से होगा। ब्लड-बैंक अब केवल खून लेने-देने तक सीमित नहीं है। यह इलाज की प्रक्रिया में शामिल हो चुका है। नई बीमारियों के साथ ब्लड बैंक की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही है। ब्लड सेपरेशन के दौरान मिलने वाले प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, आरबीसी और क्रायो का प्रयोग इलाज में अलग-अलग तरीके से हो रहा है।

इसको लेकर संजीदा है शासन

उन्होंने बताया कि शासन इसको लेकर संजीदा है। शासन ने एक प्रस्ताव बनाया है। पुराने ब्लड बैंक का नाम शासन ने बदलने की कवायद शुरू कर दी है। इसमें ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन का नाम जुड़ रहा है।