गोरखपुर (ब्यूरो)। पुलिस की लापरवाही से दबंगों का दबाव पीडि़तों पर बढ़ता जा रहा है। मामला बेलीपार का हो या खोराबार थाने का, सभी जगहों पर ऐसे ही हालत नजर आ रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गंभीर मामलों में फौरन कार्रवाई की जाती है। यदि किसी प्रकरण में कोई लापरवाही सामने आती है संबंधित पुलिस कर्मचारियों को दंडित किया जाता है।

डॉक्टर संग मारपीट, लूटपाट में नहीं हुई गिरफ्तारी

पिपरी, बाघागाड़ा निवासी डॉक्टर अश्वनी विश्वकर्मा दो माह से कार्रवाई के लिए एडीजी से लेकर एसएसपी का चक्कर काट रहे हैं। 19 फरवरी की रात बारात से लौट रहे डॉक्टर अश्वनी की कार पर हमला करके बदमाशों ने तोडफ़ोड़ करते हुए उनकी सोने की चेन और एप्पल का महंगा मोबाइल फोन लूट लिया था। घटना के समय बेलीपार पुलिस की पेट्रोलिंग जीप पहुंचने पर बदमाश भाग गए। लेकिन डॉक्टर ने आरोपितों को पहचान लिया। इस मामले की तहरीर देने पर बेलीपार पुलिस ने केस नहीं दर्ज किया तो डॉक्टर ने एसएसपी को सूचना दी। एसएसपी के हस्तक्षेप पर आरोपित मुराली यादव उर्फ प्रवीण यादव सहित अन्य के खिलाफ लूट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ। लेकिन इस प्रकरण पुलिस ने किसी आरोपित को अरेस्ट नहीं किया। एसएसपी से शिकायत करने पर प्रकरण की जांच करके सीओ बांसगांव ने बताया है कि विवेचना प्रचलित है। गुणदोष के आधार पर कार्रवाई होगी।

थाने से छूट गए आरोपित, महिला लगा रही कार्रवाई की गुहार

चिलुआताल एरिया की रहने वाली एक महिला ने चार अप्रैल 2022 को एक शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि तीन अप्रैल की रात वह घर में वह दो बच्चों संग सोई थी। रात में करीब साढ़े 11 बजे पांच युवक घर में घुस गए। उन लोगों ने महिला की ज्वेलरी और मोबाइल फोन लूट लिया। आरोप है कि महिला और उसकी दो नाबालिग बेटियों संग बदसलूकी की। महिला की शिकायत पर पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन कार्रवाई करने में कतरा रही है। शनिवार को भी महिला ने इसकी सूचना जरिए ट्वीटर पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाई है।

मामूली मामलों में शांतिभंग, लूट और छेड़छाड़ में बेपरवाही

जिले में मामूली कहासुनी के मामलों में पुलिस तेजी से कार्रवाई करती है। सूचना मिलने पर एसआई और कांस्टेबल आरोपितों के घर तुरंत पहुंच जाते हैं। अधिकांश मामलों में पुलिस जांच शुरू कर देती है। यदि संबंधित पक्षों को समझाबुझाकर मामला शांत कराने की बात लोग करते हैं तो पुलिसकर्मचारी अपनी नौकरी फंसने का हवाला देते हैं। दरोगा बताते हैं कि बाद में कोई बात हो जाएगी तो उनकी नौकरी फंस जाएगी। लेकिन गंभीर धाराओं में दर्ज केसों में आरोपितों के खिलाफ पुलिस शांतिभंग तक की कार्रवाई नहीं कर पाती है। पुलिस के इस रवैये से पब्लिक भी सवाल उठाती है। इससे पुलिस कर्मचारियों ने आरोपित पक्ष से अनुचित लाभ लेने का आरोप भी लगता है।