-बाल वैज्ञानिक राहुल सिंह की काबिलियत देख हर कोई हो जाता हैरान

-राहुल के टैलेंट की वजह से लोग उन्हें फुनसुख वांगड़ू नाम से भी पूकारते हैं

-साइंस डे पर किया लेटेस्ट इनोवेशन, बनाया दुनिया सबसे छोटा ड्रोन

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GORAKHPUR: फुनसुख वांगड़ू, थ्री इडियट मूवी का यह कैरेक्टर तो आपको याद ही होगा। छोटी की उम्र में पढ़ाई का जज्बा और पढ़ने की जो ललक देखकर 'रंचोड़दास चांचड़' के पिता ने उसका सेलेक्शन किया था। वह नजर आज गोरखपुर में नहीं है, लेकिन लोगों को अपने एक्सपेरिमेंट्स से चौकाने वाला फुनसुख वांगड़ू शहर में जरूर मौजूद है। उसे परखने वाली नजर नहीं मिली, तो उसने ऐसा कमाल किया, जिससे लोग उसकी तरफ खुद ब खुद ही अट्रैक्ट हो गए। रॉकेट मैन को अपना आइडियल मानने वाले राहुल की आज गली-गली चर्चा है। नेशनल साइंस डे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट इस खास इनोवेटर की कहानी लेकर आपके बीच है, जिसने पांचवी क्लास से जो आविष्कारों का सिलसिला शुरू किया, वह आज भी चल रहा है। अब तक 100 से ज्यादा अचीवमेंट उसके खाते में हैं और शहर की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज के बडिंग इंजीनियर भी गोरखपुर के इस फुनसुख वांगड़ू से इनोवेशन की बारीकियां सीख रहे हैं।

बचपन में उड़ा मजाक

महाराजगंज के छोटे से गांव बिजापार असमन छपरा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला एक बच्चा जो दिन भर क्लास में दीवारों को देखता रहता। दोस्त उसका मजाक उड़ाते और टीचर हैरान परेशान रहते। जब टीचर ने क्लास 5 वीं में पढ़ने वाले स्टूडेंट राहुल सिंह से पूछा कि तुम दीवारों में क्या देखते हो। तब उस स्टूडेंट ने दिवार पर बनी मिसाइल मैन अब्दुल कलाम की तस्वीर को दिखाया और बोला मै उनके जैसा बनना चाहता हूं। तब सभी गरीब घर के उस बच्चे की बात पर टीचर भी हंस पड़े। एक वो दिन था और एक आज का वक्त है, जब राहुल ने महज 16 साल की उम्र में सैकड़ों इनोवेशन कर साइंस की फील्ड में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।

मां का हाथ जला तो बना दिया रोटी मेकर

सिसवां बाजार के रहने वाले मां रासमुनि देवी और पिता संजय सिंह के पुत्र राहुल सिंह का जन्म 12 जुलाई 2004 में हुआ था। राहुल ने पहला इनोवेशन पांचवी में पढ़ते हुए किया। राहुल बताते हैं कि तब वो केवल 8 साल के थे। सुबह-सुबह वो स्कूल जा रहे थे, तभी उनकी मां रासमुनि चूल्हे पर उनके लिए जल्दी-जल्दी रोटी पका रही थीं, जिसमे उनका हाथ जल गया। इसके बाद दिन भर राहुल स्कूल में यही सोचते रहे कि ऐसा क्या किया जाए कि फिर मां का हाथ ना जले। तब राहुल ने रोटी मेकर बनाया।

बेचा खीरा और पानी

पिता किसान थे इसलिए राहुल के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो कुछ कर सके। उन्होंने सड़क पर खड़े होकर खीरा और पानी भी बेचा। उससे जो पैसे आए उनसे रोटी मेकर बनाया। वो रोटी मेकर राहुल का पहला इनोवेशन था। जिसने जिले में राहुल को एक अलग पहचान दिलाई। इसके बाद गांव से ही हाई स्कूल तक की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही राहुल का एक प्रोजेक्ट सेलेक्ट हुआ। इसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के इंक्युबेशन सेंटर में इनको जगह मिली। हाई स्कूल तक गांव में पढ़ाई करने के बाद राहुल इंजीनिरिंग कॉलेज में रहने लगे। राहुल पहले ऐसे स्टूडेंट हैं जिन्हें इजीनियरिंग कॉलेज में रहने का मौका मिला।

राहुल ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा ड्रोन

हर साल 28 फरवरी को साइंस डे मनाया जाता है। इस बार साइंस डे पर राहुल सबको चौंकाने जा रहे हैं। राहुल ने 3 सेंटीमीटर छोटा और 150 ग्राम वजन का ड्रोन बनाया है। राहुल का दावा है कि ये दुनिया का सबसे छोटा ड्रोन है। इस ड्रोन की खासियत है कि इसमें दुश्मन की तस्वीर अगर अपलोड कर दी जाए। तो भीड़ में से उसे खोजकर मार देगा। वहीं इस ड्रोन से दुश्मन की हरकत पर नजर भी रखी जा सकती है। इसका आकार इतना छोटा है कि किसी के अगल-बगल आने पर भी इसे लोग मक्खी ही समझेंगे। राहुल ने बताया कि 95 परसेंट काम उनका पूरा हो चुका है।

कमरे को बना दिया ऑटोमेटिक

एबीसी पब्लिक स्कूल में 12 वीं में पढ़ने वाले राहुल इंजीनियरिंग कॉलेज के जिस रूम में रहते हैं। उसको भी ऑटोमेटिक बना दिया है। उनके सभी कमरों की लाइट, पंखे या अन्य चीजें उनकी इजाजत से जलेंगे बुझेंगे। राहुल देश के किसी भी कोने में हो वो वहंा से अपने रूम का सारा मैनेजमेंट हैंडिल कर सकते हैं। यहां तक कि राहुल घर के अंदर रोटी बनाने से लेकर सब्जी काटने तक के लिए अपनी बनाई ऑटोमेटिक मशीन का यूज करते हैं।

स्टूडेंट नहीं इस बार जज बने राहुल

हर साल साइंस डे पर शहर में एक बड़ा साइंस एग्जिबिशन लगता है। जिसमें हर बार राहुल पार्टिसिपेट करते थे। पिछले तीन साल राहुल ही इस एग्जिबिशन में विनर भी बनते रहे। इस बार उन्हें सांइस एग्जिबिशन में जज बनाकर बुलाया जा रहा है, ताकि और बच्चे भी आगे आ सकें।

राहुल से सीखते बीटेक और एमटेक के स्टूडेंट

इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक और एमटेक करने वाले सीनियर स्टूडेंट भी राहुल की प्रतिभा के कायल हैं। वे सीनियर होते हुए भी राहुल के पास सीखने जाते हैं। कोरोना के समय जब सैनिटाइजर टनल का नाम लोगों ने पहली बार सुना था। उस समय भी राहुल ने कई सैनिटाइजर टनल सरकारी ऑफिसों के लिए बनाए। साथ ही नेचुरल सैनिटाइजर भी बनाया। जिसके बदले खूब वाह-वाही राहुल ने बटोरी।

यह हैं कुछ खास इनोवेशन

बिना डीजल, पेट्रोल का चलने वाला सस्ता ट्रैक्टर, सबसे कम लागत 80 हजार रुपए का ड्रोन, सैनिटाइजर टनल, इलेक्ट्रानिक दरवाजा, सोलर धान काटने वाली मशीन, रोटी मेकर, बैट्री वाली साइकिल, उर्जा बचत लाइट, हैंड सैनिटाइजर मशीन, सेना के जवानों के लिए ऑटोमेटिक जैकेट जिससे गर्मी में ठंड का अहसास होगा, सोलर वाला ड्रोन, इलेक्ट्रानिक खेत सिचाई मशीन, बम डिटेक्टर मशीन समेत सैकड़ों इनोवेशन छोटी सी उम्र में किए। इसमे से 50 इनोवेशन को अप्रूवल भी मिल चुका है।

राहुल के अंदर बहुत प्रतिभा है। हम लोग सोचते थे कि बीटेक कर लें तब इनोवेशन के बारे में सोचे। राहुल ने तो इतनी कम उम्र में इतने ढेर सारे इनोवेशन कर देश भर को चौंका दिया है।

प्रो। जीउत सिंह, रजिस्ट्रार, एमएमएमयूटी