कॉम्पटीशन और लाइफ स्टाइल ने बनाया हार्ट पेशेंट

गल्र्स अब ब्वायज से पीछे नहीं है। फिर चाहे आसमान पर जाना हो या ग्राउंड पर दम दिखाना हो। ऐसे में कॉम्पटीशन कड़ा होगा और टेंशन बढ़ेगी। फिर फीमेल के पास इस कॉम्पटीशन के अलावा फैमिली की जिम्मेदारी भी रहती है। ऐसे में जिम्मेदारी बढऩे के साथ जहां टेंशन और ब्लडप्रेशर उन्हें सताने लगता है वहीं बिजी शेड्यूल उनके रुटीन को बिगाड़ देता है। इसी कारण फीमेल में पीरियड प्रॉब्लम ने बड़ा रूप ले लिया है, जो कुछ साल पहले तक न के बराबर थी। एक्सपर्ट के मुताबिक भागती लाइफ स्टाइल में फीमेल पूरी तरह फास्ट-फूड पर डिपेंड हो जाती है और एक्सरसाइज से कोसों दूर चली जाती है। इससे धीरे-धीरे उनमें हार्ट की प्रॉब्लम बढ़ जाती है। 10 साल की अपेक्षा अब फीमेल में हार्ट प्रॉब्लम अधिक हो रही है।

सिम्पटम्स

-बेचैनी, सीने के बीच में या बायीं ओर हल्का तेज दर्द

-सीने में चुभन और सांस फूलना

-दर्द के साथ पसीना आना

-शरीर का ठंडा पडऩा

-बोलने में जुबान लडख़ड़ाना

-पेट में गैस, उल्टी महसूस होने के साथ चक्कर आना

रीजन

-लाइफ में बढ़ती टेंशन

-समय से पहले पीरियड बंद होना

-एंड्रोजनल हार्मोन का लेवल कम होना

-किसी कारणवश ओवरी सर्जरी से निकाल देना

-हाइजेनिक के बजाए स्वाद रूपी भोजन करना

-वेट का लगातार बढऩा

-एक्सरसाइज न करना

-ब्लडप्रेशर की प्रॉब्लम

-भोजन में अधिक नमक, वसा और मीठा का यूज

बचाव

-भूख से अधिक न खाएं

-डेली एक्सरसाइज करें

-दूध और उससे बनी चीजों का यूज कम से कम करें

-अदरक और लहसुन का यूज अधिक करें

-तला भोजन, नॉनवेज से बिल्कुल दूर रहे

-भोजन तभी करें, जब भूख लगे

-बीमार न होने के बावजूद 40 साल के बाद रेगुलर चेकअप कराते रहे

-सब्जी में अधिक मसाला और तेल का यूज न करें

हार्ट अटैक अब फीमेल्स में तेजी से बढ़ रहा है। उसके पीछे कई रीजन है। बिजी लाइफ स्टाइल भी अटैक को बढ़ा रही है। जबकि कुछ साल पहले तक मेल अधिक अटैक से इफेक्टेड थे। इंडिया में अब 16 परसेंट ऐसे लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो रही है, जिनकी एज 40 साल से कम है।

डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फिजीशियन

पिछले कुछ साल से साइलेंट हार्ट अटैक का मामला बढ़ा है। साथ ही फीमेल इसकी अधिक शिकार हो रही है। फीमेल की मेल की तुलना में धमनियां संकरी होती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। इसका बचाव एंड्रोजन हार्मोन करता है, मगर इसका लेवल लगातार कम हो रहा है।

डॉ। सुधांशु शंकर, फिजीशियन