- रोजाना महिला थाना पर पहुंच रहे हैं सास-बहू के विवाद, पुलिस घंटों कर रही है पंचायत

- औसतन 170 से अधिक शिकायतें, ज्यादातर का हो जाता निस्तारण

'मैडम, मेरी शादी तीन साल पूर्व हुई थी। एक बच्चा हो गया है। उसकी देखभाल करनी रहती है। घर में जेठानी, ननद और सास हैं। कोई देखभाल नहीं करता है। बच्चे के साथ-साथ मुझे सबको देखना पड़ता है। तीन साल से यह सब सह रह रही हूं। कभी सिर-पेट में दर्द हो गया तो कोई खाना तक नहीं देता। बताइए ऐसा कोई करता है। मैं कुछ कहती हूं तो बोलती हैं कि कर्ज नहीं खाए हैं। अच्छा.अच्छा शांत रहो। क्यों माताजी क्या ये सही कर रही है। नहीं मैडमदिनभर मोबाइल पर बात करती रहती है। कोई काम कहो तो लड़ जाती है। तभी मामला यहां तक पहुंचा है। अच्छा तो अब आप लोग बताइए कि क्या चाहते हैं। थोड़ी देर बाद दोनों पक्ष आपस में बातचीत करते हैं। फिर कहते हैं कि मैडम थाने पर आना किसको अच्छा लगता है। चलो ठीक है। घर जाओ, राजी-खुशी से रहो। हां। अम्मा जी आप भी सुन लीजिए। वह बेटी की तरह है। उसका ध्यान दिया कीजिए.'

GORAKHPUR: यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि महिला थाने में होने वाली पंचायत की आंखों देखी है। महिला थाना हो या फिर जिले का अन्य पुलिस स्टेशन, अब यह किस्सा रोज का हो गया है। सास-बहु की साजिशें और झगड़े अब पुलिस चौकियों तक पहुंचने लगे हैं। महिला हेल्ड डेस्क खुलने के बाद महिलाओं की शिकायतें भी बढ़ गई है। इनमें कुछ गंभीर तो कुछ ऐसी होती हैं कि उनको सुनकर महिला एसआई और कांस्टेबल भी हंस पड़ती हैं। रोजाना होने वाली पंचायतों से पुलिस हलकान है, लेकिन उन्हें इस बात का सुकून भी है कि रिश्तों की खटास उनकी कोशिशों से दूर हो जा रही है।

सास नहीं बनाती खाना, बहू ने बुलाई पुलिस

तीन दिनों से गगहा एरिया का एक मामला चर्चा में है। नई-नवेली बहू को अपनी सास से शिकायत थी। उसका कहना है कि सास ताजा खाना बनाकर नहीं देती हैं। सास दिनभर टीवी देखने में बिजी रहती हैं। इसलिए खाना नहीं बन पाता। तीन दिन पूर्व यह आरोप लगाकर बहू ने फोन किया तो पीआरवी पहुंच गई। महिला ने कहा कि सास चाहती हैं कि बासी खाना खाकर वह बीमार पड़ जाए। पुलिस ने जब हस्तक्षेप किया तो सास ने भी अपना पक्ष रखा। बताया कि उनकी बहू मोबाइल फोन पर मायके के लोगों से बात करती रहती है। खाना बनाकर देने पर शिकायत भी करती है। पीआरवी ने दोनों को समझा-बुझाकर शांत कराया। जांच में आया कि दोनों के पति बाहर रहते हैं। घर में सास और बहू हैं, इसलिए आए दिन खटपट हो जाती है।

हर माह इतनी शिकायतें

महिला थाना पर पहुंचने वाली शिकायतें - 170 से 180 मामले

कुल शिकायतों में छोटे-मोटे मामले - 90 से 95 मामले

अन्य थानों पर हेल्प डेस्क की शिकायतें - 60 से 65 मामले

गंभीर प्रकरणों के अतिरिक्त का निस्तारण - 50 से 60 मामले

किन बातों की होती शिकायत

- सास, ननद और भारी परवाह नहीं करती हैं। दिनभर काम कराती हैं।

- सास कोई न कोई कम निकालकर दिनभर डांटती हैं। बेटी को प्यार करती हैं।

- मेरी बहू कोई भी बात होती है तो झट से मायके में मोबाइल मिला देती है।

- बच्चों की देखभाल में समय निकल जाता है। घर में कोई सहयोग नहीं करता है।

- छुट्टी या घर पर रहने के दौरान पति घुमाने नहीं ले जाते हैं। वह बच्चों का ध्यान नहीं रखते।

- अपने रिश्तेदारी में चले जाते हैं। लेकिन हम लोगों को ले जाने की बात पर सस टोकती हैं।

- मैं जल्दी जग जाती हूं। मेरी बहू ज्यादा देर से जगती है। इसलिए मुझे ही काम करना पड़ता है।

- सास आरोप लगाती है कि दिनभर उनकी बहू मायके में बात करती रहती है।

झगड़े की प्रमुख वजह

- सास को लगता है कि बेटा सिर्फ उनकी सुनें, बहू का जोर न चले।

- शादी के बाद जब बेटे पत्नी के करीब आते हैं। इससे भी विवाद होता है।

- पति के मां की तरफ झुकने से पत्नी का इगो हर्ट होने लगता है।

- कई बार किचन में किसी का हस्तक्षेप मंजूर नहीं होता है।

- सास अपने तरीके से काम करती है। बहू अपने तरीके से काम करना चाहती है।

- सास अपनी बेटी को बहू से ज्यादा तवच्जो देती हैं। इसको लेकर रार रहती है।

- बहू को तानें मारना, किसी दूसरी की बहू से तुलना करना और अपनी बात कहने से खटास

ऐसे जो भी मामले आते हैं। उनको समझाबुझाकर शांत कराया जाता है। इसमें सास और बहू की काउंसिलिंग करके सुलझा दिया जाता है। उनके हसबैंड और परिवार के अन्य सदस्यों को बुलाकर बात की जाती है। इनके मारपीट, उत्पीड़न या अन्य गंभीर प्रकरणों में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्त्रिया अपनाई जाती है।

अर्चना सिंह, एसएचओ, महिला थाना

इस तरह के जो भी छोटे मसले आते हैं। उनमें कारण होते हैं। एक तो पति बाहर रहते हैं। पति के बाहर रहने महिलाएं अपने आप को फैमिली में एडजस्ट नहीं कर पाती है। महिला सोशल मीडिया की वजह से जागरूक हुई हैं। अंसतुष्टता ही परिवार में विवाद का कारण हो गया है। ऐसे में पति को चाहिए कि पत्नी को समझाएं और पारिवारिक मूल्यों को बताना आवश्यक है।

डॉ। संदीप श्रीवास्तव, सीनियर फिजिशियन एंड फैमिली काउंसलर