- घरों व कई इमाम चौकों पर हुई फातिहा ख्वानी

- नहीं निकला चेहल्लुम का जुलूस

GORAKHPUR: पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन व उनके साथियों की याद में चेहल्लुम गुरुवार को पूरे शहर में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। अकीदतमंदों ने अपने-अपने तरीकों से इमाम हुसैन व शोहदा-ए-कर्बला को खिराजे अकीदत पेश की। महफिल व मजलिसों में जिक्रे इमाम हुसैन और दीन-ए-इस्लाम के लिए दी गई उनकी कुर्बानी को याद कर लोग गमगीन हो गए। कई मस्जिदों में जिक्रे शोहदा-ए-कर्बला की महफिल में अहले बैत के फजायल बयान हुए।

घरों में हुआ फातिहा

घरों व कई इमाम चौकों पर इसाले सवाब के लिए कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। रहमतनगर में लंगर बांटा गया। घरों में शर्बत व मलीदा पर भी फातिहा ख्वानी की गयी। हजरत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों के वसीले से मुल्क में अमनो शांति, भाईचारे व कोरोना वायरस से निजात की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों ने घरों में कुरआन-ए-पाक की तिलावत की। अल्लाह व रसूल का जिक्र किया। दरूदो सलाम का विर्द किया। पूरा दिन जिक्रे इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानियों के याद में गुजरा। इस बार चेहल्लुम पर किसी प्रकार का जुलूस नहीं निकाला गया।

आंसुओं के न थमने वाली दास्तान

चेहल्लुम के मौके पर 'हुसैन सबके लिए' सेमीनार मोहल्ला जाफरा बाजरा स्थित नया कटरा में हुआ। अध्यक्षता इमामबाड़ा मुतवल्लियान कमेटी के जिला अध्यक्ष सैयद इरशाद अहमद ने की। संचालन फैजान करीम ने किया। सैयद इरशाद अहमद ने कहा कर्बला की शान शहादत की शान हजरत इमाम हुसैन का मोहर्रम शहादत पर्व के 40 दिन (चालीसवां हजरत इमाम हसन हुसैन) जिसे चेहल्लुम के रूप में जाना जाता है। जिसे मनाने की रिवायत सदियों से चली आ रही है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मौलाना बरकत अली, मौलाना तामीर अहमद अजीजी, फैजान करीम, कमरुद्दीन अंसारी, अहमद हुसैन, अहमद जुनेद, मोहम्मद अनीस एडवोकेट, वसीम अहमद, सैयद अशरफ अली, अबरारुल हक, सैयद महमूद अख्तर, शमीम अहमद अंसारी, आफताब अहमद, मोहम्मद आदिल अख्तर हां, शकील शाही, तमाम लोग उपस्थित थे।

दरगाह पर हुई महफिल

दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद नार्मल में चेहल्लुम पर महफिल हुई। कुरआन ख्वानी की गई। दरगाह मस्जिद के इमाम कारी अफजल बरकाती ने तकरीर करते हुए कहा कि दसवीं मोहर्रम को हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत हुई। इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को दिखाना था कि अगर इंसान सच्चाई की राह पर साबित कदम रहे और सहनशीलता का दामन न छोड़े तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है। आज इमाम हुसैन का गम पूरी दुनिया पर छाया हुआ है मगर जालिम यजीद की हुकूमत का नामोनिशान नहीं है। आखिर में फातिहा ख्वानी की गयी। सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई।

इंसानियत की थी जंग

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफिज महमूद रजा कादरी ने बताया कि इमाम हुसैन का जिहाद हुकूमत हासिल करने के लिए नहीं बल्कि इंसानों को सही रास्ते पर लाने के लिए था। दरअसल यह जंग मनसब नहीं इंसानियत की जंग थी। यही वजह है कि हजरत इमाम हुसैन ने उस जंग में अपने पूरे खानदान को कुर्बान तो कर दिया मगर जालिम यजीद जो बातिल और बुराई का प्रतीक था, उससे समझौता नहीं किया। दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जो अपने बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी को अल्लाह की रज़ा की खतिर कुर्बान कर दे साथ ही साथ हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करता रहे। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने अपनी बातें रखीं।