-तीन दिन के दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या परंपरागत रही

-आधा घंटा सीएम ने गायों के साथ बिताया आधा घंटा

GORAKHPUR: तीन दिन के दौरे पर मंगलवार को गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुधवार की सुबह को दिनचर्या परंपरागत रही। गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित अपने आवास से सुबह पांच निकलकर सबसे पहले वह गुरु गोरखनाथ के दरबार में गए और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे विधि-विधान से उनकी आराधना की। यह पूजा मंदिर के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी वैदिक और गुरु गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यालय के प्रिंसिपल डॉ। अरविंद चतुर्वेदी ने कराई। उसके बाद वह अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ नाथ के समाधि स्थल पर गए और पुष्पांजलि कर उनका आशीर्वाद लिया। योगी गोशाला में गए और गायों के बीच करीब आधा घंटा वक्त गुजारा। इस मुख्यमंत्री मंदिर कार्यालय के लाल कक्ष में आकर बैठे, जहां तड़के से ही 50 से अधिक लोग उनसे मिलने का इंतजार कर रहे थे। उनमें से कुछ फरियादी भी थे। योगी ने बारी-बारी से सबको बुलाकर मुलाकात की। जो लोग फरियाद लेकर आये थे, उन्हें समस्या समाधान का आश्वासन भी दिया।

बुढ़वा मंगल पर चढ़ी आस्था की खिचड़ी

मकर संक्रांति के बाद दूसरे मंगलवार को पड़ने वाले बुढ़वा मंगल पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और आस्था की खिचड़ी बाबा गोरखनाथ के श्रीचरणों में अर्पित की। खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला सुबह से शुरू हुआ और देर शाम तक जारी रहा। खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं ने परिसर में लगे खिचड़ी मेले की ओर रुख कर रहे हैं और उसका जमकर लुत्फ उठाया।

मेले में दिखा गजब का उत्साह

मकर संक्रांति से गोरखनाथ मंदिर परिसर में शुरू होने वाला खिचड़ी मेला बुढ़वा मंगल के दिन अपने रौ में दिखा। सुबह से ही मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। देर शाम तक यह स्थिति बनी रही। बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचीं महिलाओं और बच्चों ने मेले का जमकर लुत्फ उठाया। किसी ने झूले का आनंद लिया तो किसी का रुझान खानपान की दुकान की ओर दिखा। घरेलू समान और सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर सुबह से शाम तक भीड़ लगी रही। एक माह का यह मेला महाशिवरात्रि तक चलेगा।

बुढ़वा मंगल की यह है मान्यता

बुढ़वा मंगल का पर्व पौष माह के आखिर मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी का दर्शन-पूजन करना शुभ माना जाता है। मान्यता है इस दिन हनुमान जी की पूजा से सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। बुढ़वा मंगल की मान्यता रामायण काल से जुड़ी है। मान्यता है कि इसी दिन रावण ने लंका स्थित अपने राजदरबार में हनुमान जी पूंछ में आग लगवाई थी, जिसके बाद उन्होंने रावण की लंका को जलाने के लिए अपनी पूंछ में बड़वानल यानी विशाल अग्नि पैदा कर दी थी। इसी कारण माह के आखिरी मंगलवार को बुढ़वा मंगल नाम मिला।