- तीन सदस्यी जांच टीम की रिपोर्ट के आधार एसई व सीई ने कैशियर के बर्खास्तगी की संस्तुति की

-जांच रिपोर्ट के साथ घालमेल की फाइन पूर्वाचल एमडी को भेजी गई

-बिजली निगम के वितरण खंड थर्ड का मामला

-एक्सईएन ने मई में कैशियर के खिलाफ दर्ज कराया था कैंट थाने में एफआईआर

GORAKHPUR: बिजली निगम के नगरीय विद्युत वितरण खंड तृतीय में 43.29 के घोटाले के आरोपी कैशियर डिपार्टमेंटल जांच में दोषी पाया गया। तीन सदस्यी जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर एसई व सीई ने कैशियर इफ्तेखार अहमद सिद्दीकी को बर्खास्त करने की संस्तुति कर फाइल पूर्वाचल एमडी को भेजी है। कैशियर के खिलाफ कैंट थाने में दर्ज गबन के केस में पुलिस कैशियर की तलाश तेज कर दी है। सोमवार को कैंट थाने के दरोगा ने नगरीय एसई व एक्सईएन से मुलाकात कर कैशियर के बारे में पूछताछ की। दोनों अफसरों ने उसके बारे में जानकारी से इनकार कर दिया। पुलिस के मुताबिक आरोपी कैशियर तीन दिन से फरार चल रहा है।

यह है मामला

थर्ड डिवीजन मोहद्दीपुर में कैशियर पद पर तैनात इफ्तखार अहमद सिद्दीकी ने एई राजस्व की मिलीभगत से कई रसीद बुक बंडल आवंटित करा लिए। कारपोरेशन ने मार्च-18 में मैनुअल रसीद बुक बंद कर दी। इसके बाद भी कुछ महीनों तक कैशियर मैनुअल रसीद काटता रहा। अक्टूबर-18 में कारपोरेशन ने मैनुअल रसीद बुक बंडल का हिसाब मांगा। रसीद बुक सभी कर्मचारियों से मांगी जाने लगी। कर्मचारी ने रसीद बुक जमा करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। जुलाई-19 में तृतीय खंड के नए अकाउंटेंट ने खंड में जमा रसीद बुक व आवंटित रसीद बुकों का मिलान हुआ, जिसमें करीब 15 रसीद बुक बंडल खंड में जमा नहीं मिले।

जांच के दौरान मामला सामने आया

जांच के दौरान खंड के कैशियर के पास 15 रसीद बुक बंडल डंप पड़े होने का मामला सामने आया। एक्सईएन ने कैशियर को पत्र लिखकर रसीद बुक जमा करने को कहा। बावजूद इसके कैशियर ने रसीद बुक जमा नहीं की। शक के आधार पर कारपोरेशन ने कैशियर की डमी आईडी भेजी। इस डमी आईडी पर भी कैशियर ने 13.56 लाख रुपए जमा किए। यह रकम खंड के बैंक अकाउंट में जमा करने की बजाए कैशियर ने अपने अकाउंट में जमा कर दी।

अलमारी से 15 रसीद बुक बंडल बरामद

फरवरी 2020 में कैशियर की अलमारी से 15 रसीद बुक बंडल बरामद किए गए। खंड के अकाउंटेंट ने रसीद बुक पर जमा पैसे का हिसाब किया। इन रसीद बुकों पर जमा 39.73 लाख रुपए निगम के खाते में जमा नहीं होने की बात सामने आई। एक्सईएन ने कैशियर से पूछताछ की। उन्होंने जब एफआईआर दर्ज कराने का दबाव बनाया, तो कैशियर ने 10 लाख रुपये जमा कर दिए। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

43.29 के गमन में दर्ज हुआ था केस

मई-20 में मामला संज्ञान में आने पर चीफ इंजीनियर ई। देवेंद्र सिंह ने एसई शहर से पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी। एसई ने एक्सईएन से पूरी फाइल मांग कर जांच पड़ताल शुरू की। एसई ने एक्सईएन को कैशियर के खिलाफ गबन का केस दर्ज कराने का निर्देश दिया। एक्सईएन ने 12 मई को कैंट थाने में कैशियर के खिलाफ 43.29 लाख के गबन का केस दर्ज कराया। एसई यूसी वर्मा ने उसी दिन कैशियर को गमन के आरोप में संस्पेंड कर वितरण खंड चतुर्थ से संबंद्ध कर दिया। चीफ इंजीनियर ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यी जांच कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई।

सात माह बाद जांच की रिपोर्ट

जांच टीम ने सात माह में जांच कर रिपोर्ट दी। जांच टीम के मुताबिक कैशियर पर लगे आरोप सही मिले। जांच में खंड के राजस्व की निगरानी करने वाले अभियंताओं की लापरवाही भी सामने आई। सभी को कारण बताओ नोटिस दी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर चीफ इंजीनियर ने कैशियर को बर्खास्त करने की संस्तुति कर जांच रिपोर्ट के साथ गबन की फाइल पावर कारपोरेशन की समिति के पास जाएगी। समिति के निर्णय का इंतजार हो रहा है।

नगरीय वितरण खंड तृतीय का कैशियर को जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में गमन का दोषी करार दिया है। इस रिपोर्ट के आधार पर कैशियर की बर्खास्तगी की संस्तुति कर फाइल पूर्वाचल एमडी को भेजी गई है। वहां से फाइल कारपोरेशन की समिति के पास जाएगी। समिति फाइल पर अपना फैसला लेगी।

ई। देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन