- कोरोना ने बदल दी स्टेशन की तस्वीर, बदल गया कारोबार, नहीं है कोई उम्मीद

- स्टेशन पर चलने वाले चुनिंदा ट्रेन से नहीं है कोई आस, सब हैं निराश

GORAKHPUR:

कोरोना संक्रमण काल में विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म की न सिर्फ तस्वीर बदल कर रख दी है। बल्कि 24 घंटे चहल पहल रहने वाले रेलवे स्टेशन की रौनक ही समाप्त हो गई है। विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म पर उतरने वाली चुनिंदा यात्री भी रेलवे स्टेशन परिसर के आगे छोटे पड़ते जा रहे हैं। रेलवे परिसर में मौजूद जहां प्री-पेड बूथ पर सवारियों की भीड़ इकट्ठा होती थी। वहीं आज पांच महीने से एक भी टैक्सी का संचालन नहीं हो रहा है। टैक्सी तो दूर आटो रिक्शा भी अब स्टेशन परिसर में नहीं मिलता। ट्रेन से उतरने वाले मुसाफिर भी सीधे ट्रेन से उतरने के बाद स्टेशन के बाहर खड़ी गाडि़यों को ही अपना साधन बनाने को मजबूर हैं।

स्टेशन की बदल गई तस्वीर

बता दें, गोरखपुर जंक्शन जहां विश्व भर में सबसे लंबे प्लेटफार्म के नाम पर पहचान बना चुका था। वह आज कोरोना काल के गाल में समाता हुआ नजर आ रहा है। एक तरफ जहां कोरोना काल में श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन से विभिन्न जिलों के मुसाफिरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में एक अलग ही पहचान बनाई है वहीं आज स्टेशन परिसर समेत प्लेटफार्म के वीरान होने से मुसाफिर तो क्यां पंछी तक दाना चुनने नहीं आते। सुने प्लेटफार्म पर एक तरफ जहां मौजूद रेलवे इंप्लॉईज, जीआरपी और आरपीएफ सिपाही मोबाइल पर समय पास कर अपने ड्यूटी टाइम पूरा कर रहे हैं। वहीं चुनिंदा ट्रेन के संचालन में मैनपावर भी बेहद कम हो गए हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर जब अपने कैमरा पर्सन के साथ स्टेशन परिसर मे मौजूद पूर्वी जीआरपी प्री-पेड बूथ के पास पहुंचा तो वहां आधा दर्जन से अधिक जीआरपी सिपाही आपस में हंसी ठहाके लगाते हुए नजर आए। कोरोना काल में जहां टैक्सी वालों से प्री-पेड चार्ज वसूलने से फुरसत नहीं मिलती थी। वहीं आज वक्त काटना भी इन सिपाहियों के लिए मुश्किल हो गया है।

चैट करती हुई नजर आई मैडम

इसी प्रकार जब रिपोर्टर एसी लॉउंज के गेट के पास पहुंचा तो एक मैडम मोबाइल पर चैट करते हुए दिखाई दी। पूछे जाने पर कहती हैं कि आखिरकार वक्त कैसे कटेगा। सेनेटाइजर मशीन और थर्मल स्कैनर से चेक करने वाले कर्मचारी ने बताया कि जब यात्री आएंगे। तभी तो वह भी एक्टिव होंगे। टाइम काटा जा रहा है। इसी प्रकार जब लगेज स्कैनर के पास रिपोर्टर पहुंचा तो कुर्सियां भी खाली पड़ी हुई थी। रिपोर्टर ने सोचा आगे बढ़ेगे तो कुछ और ही नजारा दिखेगा तो आगे बढ़ने पर सफाई कर्मचारी मिले। जिनके टीम लीडर मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक के कमरें में प्लेटफार्म सफाई के लिए करीब 150 से उपर सफाई कर्मचारी की सूची दी गई। जबकि पहले 250 सफाई कर्मचारी थे। रिपोर्टर जब आरपीएफ थाने पर पहुंचा तो वहां भी थाना प्रभारी मौजूद नहीं मिले। एक दारोगा ने बताया कि साहब मुंह धोने गए हैं।