- गवर्नमेंट की इंवेस्टिगेशन कमेटी के पास अब तक आए 59 अप्लीकेशन

- 49 अप्लीकेशन की जांच हो चुकी है पूरी, हॉस्पिटल्स ने मानी गवर्नमेंट की बात

GORAKHPUR:

आपदा को अवसर बनाने वाले हॉस्पिटल्स पर गवर्नमेंट की सख्ती काम कर गई। रिजल्ट यह रहा कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट और उनके संचालक भी पेशेंट्स के प्रति साफ्ट हो गए और सेकेंड वेव में ऑक्सीजन, बेड और इलाज के नाम पर की गई ओवरचार्जिग को पेशेंट्स को लौटा रहे हैं। अभी तक 49 कंप्लेन की जांच कर 23.58 लाख रुपए पेशेंट्स को लौटाए जा चुके हैं। कमिश्नर के निर्देश पर जांच कमेटी ने दो कोविड हॉस्पिटल के लाइसेंस निरस्त करते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। जबकि दो हॉस्पिटल के लाइसेंस को सस्पेंड किया गया है।

2020 में आया था आदेश

गवर्नमेंट के निर्देश पर एक दिसंबर 2020 को अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की तरफ से प्रदेश भर के कोविड हॉस्पिटल में इलाज व कोविड संबंधित जांच के लिए शुल्क निर्धारित किए गए थे। लेकिन कोरोना की सेकेंड वेव में कोविड पेशेंट को एडमिट करने के नाम पर कोविड हॉस्पिटल संचालकों ने मनमानी की। किसी ने कोरोना के आरटीपीसीआर, ट्रनेट जांच के नाम पर मनमानी वसूली की तो किसी ने बेड, ऑक्सीजन, दवा आदि के नाम पर कोविड मरीज के परिजनों से वसूली की। इसकी शिकायतें शासन-प्रशासन से हुई तो हॉस्पिटल संचालकों के हाथ-पांव फूल गए। अब तक कमिश्नर रवि कुमार एनजी के निर्देश पर जांच करने वाली कमेटी के पास 59 कंप्लेन पहुंची हैं। इनमें से 49 कंप्लेन की जांच कर 23,58,093 रुपए वापस कराए जा चुके हैं। जबकि बाकी के 10 शिकायतों के जांच अभी कमेटी कर रही है। जांच कमेटी में अपर आयुक्त न्यायिक रतिभान, उपायुक्त स्टांप रामानंद सिंह, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ। एके गर्ग व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ। एनके पांडेय शामिल हैं।

कमेटी कैसे करती है जांच

जांच कमेटी की मानें तो शिकायतकर्ताओं के पास इलाज के दौरान हॉस्पिटल के जो भी डाक्यूमेंट्स हैं। कंप्लेन के साथ सभी डाक्यूमेंट्स को सब्मिट करना होता है। शिकायती पत्र को हॉस्पिटल संचालक के पास जवाब देने के लिए भेज दिया जाता है। हॉस्पिटल संचालक की तरफ से तीन से चार दिन में जवाब आने के बाद दोनों पक्षों के अभिलेखों का परीक्षण किया जाता है। परीक्षण के बाद जो परिणाम प्राप्त होते हैं। उसकी सूचना हॉस्पिटल व शिकायतकर्ता को दी जाती है। फिर जांच समिति द्वारा दोनों पक्षों से आपत्ति मांगी जाती है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए दोनों पक्ष स्वतंत्र होते हैं। उसके बाद केस को कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। कमिश्नर के आदेश के बाद कंप्लेनेंट के पैसे वापस होते हैं। मामला गंभीर पाए जाने पर गंभीर कार्रवाई की जाती है।

अब तक की कार्रवाई

- दो हॉस्पिटल के लाइसेंस कैंसिल व एफआईआर

- दो हॉस्पिटल के लाइसेंस सस्पेंड

गवर्नमेंट द्वारा निर्धारित शुल्क

प्राइवेट पैथोलॉजी में जाकर कोविड जांच के लिए - 700 रुपए

प्राइवेट पैथोलॉजी द्वारा स्वयं आकर किए गए सैंपल की दर - 900 रुपए

राज्य सरकार के विहित प्राधिकारों द्वारा प्राइवेट पैथोलॉजी को सैंपल प्रेषित कराए जाने पर दर - 500 रुपए

कोविड हॉस्पिटल के लिए निर्धारित शुल्क

- मॉडरेट सिक्नेस - आइसोलेशन बेड्स (सपोर्र्टिव केयर एंड ऑक्सीजन, पीपीई किट)- 10,000/डे रुपए (अधिकतम)

- सीवियर सिकनेस - आईसीयू विद्आउट नीड्स फॉर वेंटिलेटर केयर - 15000/डे (अधिकतम)

- वेरी सीवियर सिक्नेस - आईसीयू विथ वेंटिलेटर केयर - 18,000/डे (अधिकतम)

वर्जन

कोरोना मरीजों के लिए शासन द्वारा निर्धारित शुल्क से ज्यादा रकम लेने वाले प्राइवेट हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायतें आ रही हैं। जांच के बाद दोनों पक्षों के अभिलेखों की जांच करने के बाद कार्रवाई की जाती है। अब तक 49 अटेंडेंट को रुपए वापस कराए गए हैं।

रवि कुमार एनजी, कमिश्नर, गोरखपुर मंडल