- साइकिल चलाने को मानते हैं पैशन, टीम के साथ साइकिलिंग कर बीतता है वीकेंड

- साइकिल के साथ कुछ एडवेंचर करने के लिए रहते हैं तैयार

साइकिल की सवारी तो सभी करते हैं, लेकिन इस जुनून काफी कम लोगों को होता है। शहर में यूं तो कई साइकिल के दीवाने हैं, लेकिन इनमें से कुछ एक ही ऐसे हैं, जो साइकिल चलाने के पैशन मानते हैं। इस लिस्ट में शामिल हैं शहर के रिनाउंड बिजनेस फैमिली से बिलांग करने वाली एक टीम, जिन्हें किसी ऑकेजन पर नहीं, बल्कि हर वीकेंड पर साइकिल की याद आती है। हजारों किमी सफर तय कर चुके साइकिलिस्ट हमेशा ही साइकिल से कुछ एडवेंचर करने के लिए तैयार रहते हैं। इन्होंने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के मेगा इवेंट का हिस्सा बनने की तैयारी शुरू कर दी है।

पांच लोगों की है टीम

शहर की रिनाउंड पोद्दार फैमिली से बिलांग करने वाले कुंज बिहारी पोद्दार के लाडले विभोर पोद्दार को बचपन से ही एडवेंचर का शौक है। इसमें भी उन्होंने साइकिलिंग को ही बेहतर जरिया माना है और वह अपनी फिटनेस को इसके जरिए ही मेनटेन करते हैं। विभोर की टीम में पांच मेंबर्स हैं, जो हर वीकेंड पर उनके साथ चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसमें कुशल खट्टर, राजेंद्र अग्रवाल, आशुतोष जालान, अभिषेक अग्रवाल के साथ ही वैभव सेठी शामिल हैं।

65 किमी बेस्ट राइड

विभोर हर वीकेंड पर दोस्तों के साइकिलिंग के सफर पर निकलते हैं। अब तक की उनकी सबसे बेस्ट साइकिलिंग 65 किमी की है। उनकी टीम ने खलीलाबाद से अप-डाउन किया है। वहीं 20-25 किमी तो वह हर वीकेंड पर साइकिल चलाते ही हैं। विभोर ने इसके लिए बाकायदा एप भी डाउनलोड कर रखी है, जिससे उन्होंने कितनी साइकिलिंग की, कितनी दूरी तय की, किस स्पीड से उन्होंने साइकिल चलाई, इन सबके बारे में जानकारी हो जाती है। साइकिल के जरिए वह और उनकी टीम लगातार फिटनेस मुहिम में जुटी हुई है और लोगों को फिट रहने का मैसेज दे रही है।

राइडर्स मेमोरी -

साइकिल मिलते ही लग जाते थे हमारे पंख

GORAKHPUR: साइकिलिंग सेहत के लिए वरदान है और नियमित 30 मिनट साइकिलिंग से हमारे दिल की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं, रक्त-संचालन बेहतर होता है और हम गठिया, मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से भी बच सकते हैं परन्तु हमारे समय में साइकिल हमारी दिनचर्या का हिस्सा हुआ करती थी। चाहे स्कूल कॉलेज जाना हो या कहीं और, हमारे पास साइकिल से बेहतर कोई विकल्प ही नहीं था। साइकिल मिलते ही जैसे हमारे पंख लग जाते थे। पेट्रोल के पैसे की चिंता किए बिना दोस्तों के साथ लांगड्राइव पर जाना और घंटो मटरगश्ती करना हमें बेहद पसंद था और साइकिल बिना हमारी जिदंगी अधूरी सी लगती थी। जिसके पास साइकिल नहीं भी होती थी तो वह हमारे साथ साइकिल पर बैठकर हमारे साथ मस्ती कर लेता था।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बधाई

मैं जागरण आईनेक्स्ट टीम को बाइकॉथन के आयोजन के लिए लोगों में फिर से साइकिल के प्रति अवेयरनेस फैलाने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देने के साथ साथ लोगों से यही आग्रह करता हूं कि हम फिर से साइकिल को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे न सिर्फ हमारे छोटे-मोटे काम करने में आसानी होगी बल्कि हम निरंतर बढ़ती पेट्रोल की कीमतों से भी आसानी से निजात पाने के अलावा देश को प्रदूषणमुक्त बनाने में अपना प्रत्यक्ष योगदान दे सकेंगे। इसके साथ-साथ हम अपनी सेहत भी बेहतर बना सकते हैं। विशेषकर कोरोना काल में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व अच्छी सेहत के लिए नियमित साइकिलिंग करना बेहद जरूरी है।