- डीडीयूजीयू के प्रोफेसर्स की टीम ने किया ऑनलाइन सर्वे
- पता चला लॉकडाउन में कितना बदला है लोगों को व्यवहार
GORAKHPUR: कोरोना के कहर से अपने नागरिकों को बचाने के लिए सभी देश अपने यहां लॉकडाउन किए हुए हैं। कोरोना ने जीवन जीने का अंदाज ही बदल दिया है। इसको लेकर गोरखपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स की टीम लॉकडाउन में लोगों के सोचने और रहन-सहन में आए बदलाव पर एक ऑनलाइन सर्वे कर रही है। फर्स्ट स्टेप में अप्रैल सेकेंड और थर्ड वीक के बीच की इंडिया की जो सर्वे रिपोर्ट आई है उसमें 92 प्रतिशत लोग लॉकडाउन में अपने घर पर मौजूद रहे हैं और अन्य लोग घरों से दूर पाए गए।
18-40 एज गु्रप के लोगों ने दिखाया इंट्रेस्ट
डीडीयूजीयू के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रो। अनुभूति दूबे, प्रो। धनंजय कुमार और उनकी शोध टीम जिसमें डॉ। गरिमा सिंह शामिल हैं जो इस समय सेंट जोसफ कॉलेज फॉर वुमन कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। इन्होंने इंटरनेट का सहारा लिया और गूगल फॉर्म्स पर एक क्वेश्चन पेपर बना व्हाट्सएप, फेसबुक पर डाल दिया। सभी लोगों से क्वेश्चन पेपर भरने का अनुरोध किया गया। इस क्वेश्चन पेपर में लॉकडाउन से जुड़े अनुभव पर आधारित 20-25 क्वेश्चन डाले गए थे। क्वेश्चन पेपर इंग्लिश में होने के कारण अधिकतर 18-40 एज ग्रुप के लोग ही इसमे शामिल हुए।
जुड़े कई बडे शहरों के लोग
क्वेश्चन पेपर भरने में दिल्ली, बंगलुरू, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, जयपुर, पुणे, गोवा जैसे शहरों के मिडिल क्लास लोगों ने इंट्रेस्ट दिखया। जिसके आधार पर एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है।
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट
इंडिया के लोगों ने दो हफ्ते में दिया रिएक्शन - 400
रिएक्शन देने वालीं फीमेल - 220
रिएक्शन देने वाले मेल - 170
सर्वे में पार्टिसिपेट करने वाले 67 प्रतिशत लोगों की एज- 18-40
लॉकडाउन में अपने घर पर मौजूद थे लोग - 92 प्रतिशत
लॉकडाउन में अपने घर से दूर रहे लोग - 8 प्रतिशत
फर्स्ट स्टेप का अधिकतर डाटा अप्रैल के सेकेंड और थर्ड वीक का
लॉकडाउन में पब्लिक का एक्सपीरियंस
इतने लोगों को शांति और सूकून का हो रहा अनुभव - 68 प्रतिशत
इतने लोगों में लगातार बदलाव यानि चिड़चिड़ापन, दुख या परेशानी और कभी प्रसन्नता - 30 प्रतिशत
इतने लोगों को जीवन बाधित होने का भय - 20 प्रतिशत
इतने लोग अंजानी आशंकाओं से ग्रसित - 10 प्रतिशत
कोरोना न्यूज देखने की वजह से इतने लोगों के अंदर डर समाया - 70 प्रतिशत
इतने लोगों को लॉकडाउन बढ़ने का सता रहा डर - 54 प्रतिशत
इतने लोग भविष्य की परियोजनायों को लेकर हैं चिंतित - 53 प्रतिशत
इतने लोग चाहते हैं कि लॉकडाउन बढ़ाया जाए- 48 प्रतिशत
लॉकडाउन में इतने लोग अकेलापन महसूस कर रहे हैं- 49 प्रतिशत
लॉकडाउन में अधिकतर समय परिवार के साथ बीता रहे हैं - 63 प्रतिशत
इतने लोगों ने शांति का अनुभव किया - 50 प्रतिशत
लॉकडाउन में इतने लोगों ने खुशी जाहिर की - 15 प्रतिशत
इतने लोगों ने धनात्मक भाव महसूस किया - 54 प्रतिशत
लॉकडाउन में इतने लोगों ने अपने आप को ढाल लिया - 54 प्रतिशत
इतने लोगों ने अपनी जीवन शैली में किया परिवर्तन - 50 प्रतिशत
इतने लोग भविष्य की योजना बना रहे हैं - 51 प्रतिशत
बॉक्स
हिन्दी में तैयार हों क्वेश्चन
इंग्लिश में क्वेश्चन पेपर होने की वजह से इंडिया के सभी लोग इसमें अपने एक्सपीरियंस नहीं शेयर कर पाए हैं। इसलिए हिंदी में भी क्वेश्चन पेपर तैयार किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें जुड़ें और लॉकडाउन के बाद जो बदलवा हुए हैं उससे लड़ने के लिए वे कितने तैयार और सतर्क हैं, इसका पता लगाया जा सके।
वर्जन
कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से अचानक लोगों के जीवन जीने का तरीका ही चेंज हो गया है। और देशों के मुकाबले हमारे देश के लोग इस चेंज में अपने आप को कितनी जल्दी ढाल ले रहे हैं, इस पर एक सर्वे किया जा रहा है। ताकि इस दौरान लोगों के अंदर आए बदलाव का पता लगाया जा सके।
- प्रो। अनुभूति दूबे, साइकोलॉजिस्ट, डीडीयूजीयू