गोरखपुर (ब्यूरो)। कमेटी ने कोर्ट में चुनाव का प्रकरण लंबित होने की वजह से विधिक राय लेने की सलाह दी थी। विधिक राय भी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं मिली। ऐसे में कानूनी रूप से इस वर्ष चुनाव नहीं कराया जा सकता।

बता दे, यूनिवर्सिटी में अंतिम बार छात्रसंघ चुनाव वर्ष 2016 में हुआ था। उसके बाद 2017 में भी चुनाव की तैयारी थी, तभी छात्रों के दो पक्षों में विवाद हो गया और यूनिवर्सिटी ने पूरी तैयारी के बाद भी चुनाव स्थगित कर दिया। उसके बाद प्रकरण कोर्ट में चला गया। मामला कोर्ट में अब भी लंबित है, सो इस वर्ष भी चुनाव न कराने का यूनिवर्सिटी के पास पूरा आधार था, बावजूद छात्रों ने जब इसे लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया तो वीसी ने संभावना तलाशने के लिए कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी भी मंथन के बाद उसी निर्णय पर पहुंची, जिसके चलते चार वर्ष से चुनाव नहीं हो सका था।

उधर यूनिवर्सिटी की ओर से शासन को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश मांगा गया, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। इस कवायद में अब जब सत्र समापन की ओर बढ़ चला है, इसलिए यूनिवर्सिटी ने चुनाव न कराने का निर्णय ले लिया है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक अब चुनाव की राह में ङ्क्षलगदोह कमेटी की सिफारिश भी रोड़ा है, जिसके मुताबिक सितंबर तक हर हाल में चुनाव हो जाने चाहिए।

छात्रसंघ चुनाव कराने में कोर्ट में मामला लंबित होने से बाधा है, शासन से दिशा-निर्देश मांगने के बावजूद अबतक नहीं मिल सका है। कमेटी बनाकर चुनाव की संभावना तलाशी गई, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में इस वर्ष चुनाव नहीं होगा, यह लगभग तय है।

प्रो। अजय ङ्क्षसह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डीडीयूजीयू