गोरखपुर (ब्यूरो)। बारिश थमने के बाद जलभराव की शिकायतों के बीच मच्छरों ने भी अटैक कर दिया है। निचली बस्तियों से लेकर पॉश इलाकों तक में शाम होते ही घरों में मच्छरों को प्रकोप दिखने लगता है। हेल्थ विभाग के मलेरिया डिपार्टमेंट और नगर निगम का दावा है कि इलाकों में फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। इसके बावजूद भी समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।

इन इलाकों पर विभाग की पैनी नजर

मच्छरों के हिसाब से सिटी के लालडिग्गी, तुर्कमानपुर, राजघाट, बरफखाना, टीपीनगर, रेलवे यांत्रिक कारखाना, बौलियां कॉलोनी आदि इलाके सेंसेटिव जोन मेें गिने जाते हैं। जबकि सिटी के महेवा, टीपीनगर, कल्याणपुर, बिंद टोला, बड़े काजीपुर, रमदत्तपुर, अलवापुर, अंधियारीबाग, चरगांवा, बसंतपुर, नरसिंहपुर, इलाहीबाग, महादेव झारखंडी, सिंघडिय़ा, नंदानगर आदि इलाकों में मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। मलेरिया डिपार्टमेंट और नगर निगम का दावा है, इन इलाकों में एंटी लार्वा और दवाओं का छिड़काव लगातार कराया जा रहा है। लोगों की सूचना पर साफ-सफाई के साथ फागिंग भी कराई जाती है।

केस-1: सूरजकुंड कॉलोनी निवासी रामचंद्र शुक्ला ने कहा, इन दिनों मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। शिकायत के बाद भी फॉगिंग कभी कभार हो जाती है। इसके बाद टीम दिखाई नहीं देती।

केस-2: बशारतपुर के पार्वतीपुरम निवासी शशांक मिश्रा का कहना है, जलभराव के चलते मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है। फॉगिंग तो दूर दवाओं का भी छिड़काव नहीं किया जा रहा है, जिससे संक्रामक बीमारी का डर सता रहा है।

केस-3: करीम नगर निवासी प्रियंका पांडेय ने कहा, बारिश में जलभराव ने परेशान किया तो अब मच्छरों ने भी वार करना शुरू कर दिया। कंप्लेन करने के बाद टीम आती है लेकिन खानापूर्ति कर लौट जाती है।

डेंगू के लक्षण

- तेज बुखार या कंपकंपी के साथ बुखार आना।

- तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे के भाग में दर्द।

- मांसपेशियों में दर्द व ऐठन।

- अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना।

- त्वचा पर लाल चकत्ते दिखना, पेट में चुभन या दर्द लगना।

डेंगू से बचाव

- देर किए बिना डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

- पैथोलॉजी सेंटर में जांच अवश्य करवाएं।

- शरीर में पानी की कमी न होने दें। सही मात्रा में पानी पीएं।

- बिना डॉक्टर की सलाह के किसी दवा का सेवन न करें।

- दर्द-बुखार से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल का प्रयोग कर सकते हैं।

मलेरिया के लक्षण

- शरीर का तापमान बढऩा।

- ठंड के साथ बुखार आना।

- सिरदर्द और पसीना होना।

- उल्टी होना और जी मिचलाना।

- मांसपेशियों में दर्द होना और दस्त लगना।

मलेरिया से बचाव

- घर में मच्छर आने वाली जगह पर जालियां लगाकर उन्हें बंद कर दें।

- मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर वाली क्रीम, स्प्रे और कॉइल आदि का उपयोग करें।

- घर के आसपास गड्डे या नाली में पानी जमा ना होने दें। बेकार पड़े खाली डब्बे, गमले, टायर, पानी की टंकी आदि में पानी जमा ना हो।

- कूलर का पानी सप्ताह में एक बार बदल दें। ऐसे कपड़े पहनें कि हाथ पैर पूरे ढके रहें।

- पेयजल स्रोत में ऐसी दवा डाली जानी चाहिए, जिससे मच्छर ना पनपें।

शहर के जिन इलाकों में सस्पेक्टेड केस आ रहे हैं या पुराने केस वाले इलाके हैं। वहां पर टीम पहुंचकर एडीज मच्छर के लार्वा का खात्मा करने दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। साथ ही नगर निगम भी साफ-सफाई, कीटनाशक दवाओं और फॉगिंग करवा रही है। सस्पेक्डेट केस की जांच भी कराई जाती है।

डॉ। अंगद सिंह जिला मलेरिया अधिकारी

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