गोरखपुर (ब्यूरो)। मेडिकल की प्रिपरेशन करने वाले युवाओं ने राजनीति-वाइस ऑफ यूथ कार्यक्रम में उत्साह के साथ पार्टिसिपेट किया। न सिर्फ युवा शामिल हुए बल्कि शिक्षकों ने भी

अपने मुद्दे की बात की। युवाओं ने कहा, वह साफ-सुथरी छवि वाले नेता को ही सदन में पहुंचाएंगे। ताकि एक अ'छी सरकार बन सके। युवाओं ने जोश भरे लहजे में कहा कि युवाओं के

लिए सबसे जरूरी है रोजगार जो बेहद जरूरी है, इसके साथ ही अ'छी शिक्षा के साथ-साथ अ'छी जॉब भी चाहिए, सिर्फ अ'छी शिक्षा देकर डिग्री ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर की

संभावनाएं भी बनानी होगी। यह सबकुछ तभी हो सकेगा, जब एक अ'छी सरकार बनेगी। लेकिन सरकार को हम युवाओं पर ध्यान देना होगा। महिलाओं की सुरक्षा व एम्पावरमेंट पर

भी सरकार को ध्यान देना होगा।

पेट्रोल-डीजल के बढ़ेंगे रेट तो वोट पर पड़ेगा असर

युवाओं ने अपने मुद्दे की बात में यह भी कहते हुए नजर आए कि पेट्रोल-डीजल के दाम फिलहाल थमा हुआ है, लेकिन जिस तेजी के साथ फ्यूल के दाम में बढ़ोतरी की गई है,

निश्चित तौर पर इसका असर वोट पर भी पड़ेगा। रहा सवाल विकास का दायरा तो सिर्फ एक या दो शहर तक सिमटा हुआ नहीं होना चाहिए, जबकि प्रदेश का होना चाहिए। आज की

डेट में हर कोई महंगाई का सामना कर रहा है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में निश्चित तौर पड़ेगा। जितने भी मेडिकल के फील्ड में आवेदन फार्म आते हैैं, उसकी

समय से परीक्षा कराकर उसके रिजल्ट डिक्लेयर करना होगा। वहीं जो लोग प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले एंप्लाइज हैैं, उनके भविष्य के बारे में भी सोचना होगा।

प्रतियोगी परीक्षाओं में लानी होगी पारदर्शिता

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की परिचर्चा में युवाओं व शिक्षकों में ओम, संजय मिश्रा, रजनीश और बृज ने बढ़-चढकर हिस्सा लेते हुए कहा कि विचारधारा से ही विकास संभव है, शिक्षा

के स्तर में काफी बदलाव आया है, शिक्षकों ने बताया कि जो लोकतंत्र की व्यवस्था में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैैं, शिक्षा के स्तर में गुणवत्तायुक्त शिक्षा होनी चाहिए।

अगर रोजगारपरक पाठ्यक्रम आ रही हैैं तो उनसे रोजगार भी मिलने चाहिए। उ'च शिक्षा में पारदर्शी ढंग से प्रतियोगी परीक्षाओं को सम्पन्न कराना होगा, ताकि ब'चों के भविष्य पर

संकट के बादल न मंडराए और उनके कॅरियर बन सके।

शिक्षा के साथ-साथ विकास जरूरी है, इसलिए गोरखपुर में तेजी के साथ विकास देखने को मिले हैैं, लेकिन आसपास के जिले में उस गति से विकास नहीं हो सकी है। जबकि

विकास के लिए हर जगह होना चाहिए। आज भी कई ऐसे मोहल्ले हैैं जहां पर जलजमाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन वह समस्या शार्टआउट नहीं हो सकी है। इसमें सुधार के

लिए सड़कों की दशा सुधारनी होगी।

दीपक यादव

चाहे उ'च शिक्षा हो या फिर माध्यमिक स्कूल, हर जगह स्कूलों को गोद ले लिया गया है, लेकिन उनके रखरखाव और मेंटेन की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि सरकारी स्कूलों में अ'छे

टीचर हैं, लेकिन संसाधन के अभाव में आज भी ब'चे पढऩे को मजबूर हैं। जिसमें सुधार की आवश्यकता है।

शिवा चतुर्वेदी

महिलाओं की सुरक्षा बेहद जरूरी है। महिला सुरक्षा अहम मुद्दा है। जिसे हर एक राजनैतिक दल को अपने मेनिफेस्टो में भी शामिल करना चाहिए। क्योंकि आज भी महिलाओं को

जितनी सुरक्षा देने की बात कही जाती है, वह मिलती नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और महिलाओं के सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।

आयुषी मिश्रा

हमारे लिए महंगाई अहम मुद्दा है। इसके लिए सरकार की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला आज भी पढ़े लिखे युवा डिग्री लेकर दर-दर

भटक रहे हैैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है आवाज उठाने पर उन्हें डंडे मिलते हैैं, ऐसे हम उम्मीद करते हैैं कि आने वाली सरकार चाहे किसी भी दल की हो वह युवाओं के

रोजगार के प्रति गंभीर हो और उसे रोजी रोटी के लिए रोजगार दें।

शांभवी दुबे

जाति और के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें तो अ'छी शिक्षा, विकास और रोजगार चाहिए। यूपी विधानसभा चुनाव में अहम मुुद्दा रोजगार होना चाहिए ताकि हम युवाओं

को रोजगार प्राप्त होने के बाद खुद का घर बना सकें। फ्री का राशन और फ्री के घर में हम रहकर क्या कर लेंगे, लेकिन रोजगार होगा तो हम घर और राशन दोनों ही खरीद लेंगे।

इसलिए हमारे लिये यह अहम मुद्दा है।

आंचल यादव

सरकार चाहे कोई भी आए, लेकिन उसे महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। विकास के साथ-साथ युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा। हमारे लिए यही मुख्य मुद्दा होगा, क्योंकि

रोजगार होगा तो विकास होगा। विकास होगा तो हर परिवार खुशहाल होगा। लेकिन हम मुफ्त में किसी भी योजना का लाभ लेंगे तो फिर हमें इसका कोई दूरगामी परिणाम नहीं

मिलेगा। इसलिए हमें रोजगार से जोड़ते हुए भविष्य संवारने का काम करने वाली सरकार चाहिए।

दामिनी सिंह

किसी भी दल का नेता हो, वह बेदाग हो, उसे ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। जो दागी होगा, उससे पार्टी की छवि खराब तो होगी ही, वह अपनेे विधानसभा

क्षेत्र में विकास कार्य में कोई विशेष रुचि भी नहीं दिखेगा। ऐसे में पढ़े लिखे और साफ-सुथरी छवि वाले कैंडिडेट को टिकट देना चाहिए। ताकि वह हर किसी की समस्या का समाधान

कर सकें।

हालिमा अहमद

हमारा नेता चाहे किसी भी पार्टी का हो, कम से उसे इतना तो अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या को सुन सके। मौन धारण करने वाले

नेता को हमें चुनने से कोई फायदा नहीं है। ऐसे नेता को हम क्यों चुने जो नेता हमारी समस्या को ही न सुन सके, चाहे सुरक्षा का मामला हो या फिर विकास की बात हो, वह हमारी

साथ है तो हम उसके साथ हैं।

प्रत्यय

मुद्दे

वैसे तो परिचर्चा के दौरान युवाओं के तमाम मुद्दे थे। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी थे, जिन पर उन्होंने अधिक जोर दिया। इन मुद्दों पर तर्क-वितर्क भी हुआ। क्या रहे परिचर्चा के अहम

पांच मुद्दे-

पहïला मुद्दा

देखनी होगी नेताओं की छवि

यूथ का कहना था कि विधानसभा चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की छवि अ'छी होनी चाहिए। लेकिन पार्टियों को टिकट देने से पहले उसके छवि को भी देखना चाहिए। जो

पार्टियों के लिए बड़ी कमजोरी बनती जा रही है। जो प्रत्याशी अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या के समाधान के लिए दमदार होगा और उसकी छवि अ'छी होगी। उसे ही

युवा चुनेंगे। बदले में कुछ युवाओं का कहना था कि अक्सर कई प्रत्याशियों पर मुकदमें भी होते हैैं, लेकिन उसके बाद भी पार्टी उन्हें टिकट दे देती हैैं। कम से कम ऐसे

प्रत्याशियों से बचना चाहिए।

दूसरा मुद्दा

महंगाई पर लगानी होगा लगाम

आम आदमी आज की डेट में महंगाई का सामना कर रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में मिडिल क्लास फैमिली बुरी तरह से प्रभावित होगी। गवर्नमेंट पेट्रोल-डीजल के

दामों में कमी कर जनता को महंगाई के बोझ से बचा सकती हैैं। महंगाई इस चुनाव का अहम मुद्दा हैैं। आज युवाओं को अपने पढ़ाई लिखाई या फिर किसी आवेदन के फार्म

भरने में सबसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैैं, लेकिन इस पर सरकार ध्यान नहीं देती है।

तीसरा मुद्दा

मेडिकल स्टूडेंट्स के भविष्य के बारे में सोचना होगा

मेडिकल के फील्ड में कॅरियर बनाने वाले युवा नीट के लिए परीक्षा फार्म भरते हैैं, लेकिन समय से परीक्षा कराने के बजाय उसे लेटलतीफी कैंडिडेट्स के फ्यूचर बनाने में बाधा

उत्पन्न करती है। जबकि देश में अ'छे डॉक्टर की जरूरत है, तो इसके लिए गवर्नमेेंट को अ'छी फैसिलिटी देनी होगी। तभी अ'छी सर्विस मिल सकेगी। इसके लिए शहरी इलाकों में

छोड़ आसपास के इलाकों में डाक्टर्स की भारी मात्रा में कमी है जिसकी जरूरत है। कोविड पेंडमिक में जो दावे किए गए, वह सरकार नहीं पूरे किए। लेकिन इन सब पर भी सरकार को

विचार करना चाहिए।

चौथा मुद्दा

महिलाओं की सुरक्षा है जरुरी

आज की डेट में महिलाएं काफी आगे निकल चुकी हैैं। सहायता सेवा समूह की महिलाएं स्वावलंबी बनती जा रही हैैं, लेकिन आज भी ऐसी महिलाएं हैैं, जो अपने पैरों पर खड़ा

होना चाहती हैैं, लेकिन इसके लिए उन्हें मदद नहीं मिल पाती हैैं। जिसमें सुधार की जरूरत है। वहीं महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आज भी महिला पुलिस कर्मियों में उतनी

जागरूकता नहीं है जो उनकी मौके पर मदद कर सकें। महिला पुलिस कर्मियों के पुलिसिंग में सुधार की जरुरत है। ताकि वह महिलाओं के साथ होने वाले छेड़छाड़ की घटनाओं में

शामिल शोहदों और बिगड़ैलों को सबक सिखा सकें।

पांचवां मुद्दा

जाति और धर्म से ऊपर उठकर भर्तियों में लानी होगी पारदर्शिता

यूपी में जिस प्रकार से राजनीतिक पार्टियां अपने जाति और धर्म के नेताओं को प्राथमिकता देती हैं, ऐसे नेता लोगों को बांटने का काम करती हैैं, कम से इससे बचना होगा। जाति

और धार्मिक मुद्दे एक बड़ी वजह है। इस तरह के जाति और धार्मिकता के आधार पर राजनीति करने वाले कैंडिडेट से परहेज करना चाहिए। युवाओं को इन सभी चीजों से मतलब नहीं

है, बल्कि उन्हें रोजगार चाहिए। जो अहम है। जितनी भी भर्तियां आ रही हैैं, उसमें पारदर्शिता लानी होगी।