- अयोध्या में लंका विजय के बाद भगवान राम के लौटने के बाद मनाई जाती है दीपावली

- पूरा शहर दीपों व प्रकाश से जगमगाया

- कोरोना से मुक्ति पाने के लिए लक्ष्मी गणेश की पूजा अर्चना

GORAKHPUR: कोरोना काल के दौरान पहली बार दिवाली मनाई गई। शहर में शनिवार में वही खुशी नजर आई, जोकि अयोध्या में लंका विजय के बाद भगवान राम के लौटने के बाद मनाई गई थी। पूरा शहर दीपों व प्रकाश से जगमगाया। फुलझडि़यां व पटाखे देर रात तक जश्न का अहसास कराते रहे।

कोरोना से निजात की प्रार्थना

पूजन अर्चना के बाद दीये जलाए गए। लोगों ने एक दूसरे को दीपावली की बधाइयां दी और बच्चे फुलझडि़यां व पटाखे छोड़ने में मशगूल थे। चारों ओर उत्सव व उमंग का माहौल था। 14 वर्ष के वनवास से भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाई गई खुशी का प्रतीक यह त्योहार महानगर में पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया। सभी ने कोरोना से निजात पाने के लिए लक्ष्मी-गणेश की प्रार्थना की। घरों में आदि देव गणेश व धन की देवी मां लक्ष्मी का आवाह्न कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान बच्चों ने खूब मस्ती की, मिठाई खाई और खुशी मनाई। पूजन-अर्चना के बाद घर में दीये, कन्याएं व बच्चे थाल में दीप लेकर देव स्थानों, कुआं, नदी, तालाबों पर गई वहां दीये स्थापित किए।

दीये जलने के पूर्व ही फुलझडि़यां, अनार व पटाखे छूटने शुरू हो गए, लेकिन दीप जलने के बाद इसमें तेजी आई और यह तेजी 11 बजे तक बनी रही। 11 बजे के बाद भी यदाकदा पटाखों की आवाज आती रही। आकाश में एक साथ छूटते सैकड़ों राकेट व फुलझडि़यां माहौल को खुशनुमा बना रही थीं। हर घर, शॉप, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों व होटलों को रंग-रोगन किया गया था। इलेक्ट्रिक व कागज की झालरों से सजाकर उन्हें आकर्षक बनाया गया था। चारों ओर रोशनी की चकाचौंध थी। फुलझडि़यों के आकर्षक नजारे थे और पटाखों की तेज आवाजें पर्व को भव्यता प्रदान कर रही थी।

दुकानों में भी पूजन-अर्चन

घर व दुकानों में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। व्यापारियों ने कैश काउंटर और अपने कंप्यूटर की पूजा की। जिनके यहां अभी बही-खाते जीवित हैं, वहां बही-खातों की पूजा-अर्चना की गई। साधना के लिए विशेष दिन माने जाने वाली अमावस्या के दिन साधकों ने स्वयं के भीतर प्रवेश करने की कोशिश की। बच्चों ने पटाखे-फुलझडि़यां छोड़ने के बाद पढ़ाई की। माना जाता है कि इस दिन जो कार्य किया जाता है। वह सहजता से पूरे वर्ष होता रहता है। इसलिए लोगों ने अपनी रूचि व जरूरत के हिसाब से कार्यो को संपादित किया। दीपावली की बधाई देने के लिए परंपरागत तौर पर कार्ड और वॉट्सअप के माध्यम से अलावा लोगों को एसएमएस के माध्यम से बधाई दी।