- पूरी रात बेटे के साथ अस्पताल के बाहर बैठकर करती रही एडमिट होने का इंतजार

- गुरु गोरक्षनाथ अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज की लापरवाही से रात और दिनभर महिला रही परेशान

- सीएम सिटी में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही सामने आने के बाद से हड़कंप मचा

GORAKHPUR: प्लीज सर मेरी मम्मी को एडमिट कर लीजिए इतनी रात को कहां ले जाएं। वो कोरोना पॉजिटिव हैं। गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय के डॉक्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया है। यह गुहार सिटी के बसंतपुर गीता प्रेस निवासी कोरोना पीडि़त महिला का बेटा लक्ष्मण वर्मा लगाता रहा। लेकिन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोना का बेड फुल होने की बात कहकर बीआरडी के डॉक्टर ने उसे वापस लौटा दिए। वापस लौटाने जाने के बाद एंबुलेंस वाले ने भी आनाकानी शुरू कर दी। रात को कहां एडमिट कराएं और कौन एडमिट कराएगा। यह बताने के लिए बीआरडी में कोई जिम्मेदार तैयार नहीं था। थक हार कर लक्ष्मण ने भी उसी एंबुलेंस के ड्राइवर से रिक्वेस्ट कर फिर से अपने मां को लेकर शुक्रवार रात 12 बजे गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय के गेट पर आ गया। गेट के सामने एक दुकान पर इस इंतजार में बैठा है कि अब कोई स्वास्थ्य विभाग का जिम्मेदार आएगा और उसकी मां को अस्पताल में एडमिट कराएगा।

17 जुलाई को कर िदया डिस्चार्ज

लक्ष्मण ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर को बताया कि मां को बुखार होने पर सबसे पहले डॉ। जमील को दिखाया। आराम नहीं होने पर 11 जलाई को गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में एडमिट कराया। जांच कराने के बाद कुछ दिन दवा चली। लेकिन फिर भी आराम नहीं मिला तो डॉक्टर ने कोरोना जांच कराने के लिए बोला। शुक्रवार रात करीब 10 बजे कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद से डॉक्टर, नर्स समेत पैरामेडिकल का बिहैव चेंज हो गया। सभी एक सुर में बोलने लगे कि आप अपनी मां को बीआरडी ले जाइए। कोरोना का इलाज वहीं होगा। फिर पीपीई किट पहने एंबुलेंस की टीम मां को बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर चली गई। वहां पहुंचने पर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने कोरोना वार्ड में जगह न होने का हवाला देते हुए एडमिट करने से इंकार कर दिया। इसके बाद वह अपनी मां को लेकर फिर से गोरक्षनाथ हॉस्पिटल वापस आ गया। शनिवार देर रात 11 बजे तक महिला वहीं बैठी रही। करीब 18 घंटे से ऊपर हो चुके थे। लेकिन किसी भी जिम्मेदार ने एडमिट कराने की जहमत नहीं उठाई। हालांकि इसकी सूचना खुद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी को फोन पर दी। यहां तक की उनके व्हाट्सअप पर मरीज के पर्चे से लेकर सभी डिटेल्स भी सेंड किए। लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां कोई भी नहीं पहुंचा था।

आखिरकार कहां-कहां हुई चूक? जवाब दें जिम्मेदार

1- गोरखनाथ चिकित्सालय ने बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर क्यों किया?

2- रेफर करने से पहले हॉस्पिटल के जिम्मेदार ने सीएमओ या फिर किसी अन्य जिम्मेदार अधिकारी को इसकी सूचना क्यों नहीं दी?

3- प्राइवेट हॉस्पिटल में कोरोना जांच की रिपोर्ट पहुंचने के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम क्यों नहीं हुई एक्टिव ?

4- महिला की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्टव आने के बाद तहसील सदर के जिम्मेदार ने क्यों नहीं उसके मोहल्ले को सील किया?

5- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार आखिरकार कोरोना पॉजिटिव मरीज के लिए बेड खाली नहीं था तो फिर रेलवे आईसोलेशन वार्ड या फिर स्पो‌र्ट्स स्टेडियम जाने के लिए क्यों नहीं कहा?

6- सीएमओ को इसकी सूचना देने के बाद भी वे क्यों नहीं जागे?

7-कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आने के बाद क्राइम ब्रांच का फोन और संबंधित थाना की पुलिस कोरोना पीडि़ता के घर के पास क्यों नहीं पहुंची?

8-कोरोना पॉजिटिव के घर पर पहुंचकर नगर निगम की टीम ने सेनेटाइजेशन क्यों नहीं किया?

9- बेड फुल होने पर सीएमओ की तरफ से प्राइवेट हॉस्पिटल वाले को यह क्यों नहीं बताया गया कि वे कहां के लिए रेफर करेंगे?

10-मेजर ऑपरेशन से पहले होने वाले कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बेड की स्थिति के बारे में

वर्जन

मेरे पास इसकी जानकारी नहीं है। गुरु गोरक्षनाथ हॉस्पिटल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर ही नहीं करना चाहिए था। वहां तो सीट भरी हुई है। आप डिटेल्स भेजिए दिखवाते हैं।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

हमें यह इंस्ट्रक्शन है कि जो भी कोरोना पॉजिटिव केस आते हैं उन्हें बीआरडी, रेलवे या फिर वीर बहादुर सिंह स्पो‌र्ट्स कॉलेज में जाएंगे। उनके साथ कोई परिजन है तो उनको बोलिए कि ड्यूटी रूम में डॉ। कामेश्वर सिंह हैं। उनसे मिल लें।

डॉ। कृष्ण प्रताप बहादुर सिंह, डायरेक्टर, गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय

मरीज को एडमिट करने से पहले हमसे पूछ लेना चाहिए था। हमारा नंबर है या हमारे एसआईसी से पूछ लेते। मैं भी लखनऊ के लिए रेफर करता हूं तो पहले पूछ लेता हूं। उसके बाद ही भेजता हूं। हमारे यहां ऑलरेडी बेड फुल है।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

इस मामले की जानकारी सीएमओ से ली जाएगी। आखिरकार कहां से चूक हुई। कोरोना मरीज के तीमारदार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सीएमओ या फिर डॉयल 112 पर कॉल करके सूचना दे।

जयंत नार्लिकर, कमिश्नर, गोरखपुर मंडल