- प्रेगनेंट लेडी के इलाज के लिए बनाए गए कोरोना वार्ड में नहीं हुआ कोई पेशेंट एडमिट

- आठ माह तक के प्रेगनेंट लेडी के इलाज में कर रहे टालमटोल

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- प्रेगनेंट लेडी के इलाज के लिए बनाए गए कोरोना वार्ड में नहीं हुआ कोई पेशेंट एडमिट

- आठ माह तक के प्रेगनेंट लेडी के इलाज में कर रहे टालमटोल

GORAKHPUR:

GORAKHPUR:

तुम्हारा कौन सा महीना चल रहा है? सर मेरा आठवां महीना चल रहा है। ऐसा है डॉक्टर साहब नहीं देखेंगे। यह सब तमाशा जिला महिला चिकित्सालय में देखने को मिला। दरअसल, शासन के आदेश पर अब पे्रगनेंट महिलाओं के कोरोना जांच के बाद ही उनकी डिलीवरी करवानी है। ऐसे में अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टर, स्टाफ , नर्स समेत पैरामेडिकल स्टाफ ने आठवें और नौवें महीने के पे्रगनेंट महिलाओं की इलाज में कोताही बरतने लगे हैं। इस बात का खुलासा हुआ है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियल्टी चेक में। दरअसल, ऐसी कंप्लेन सुनने में आ रही थी कि जिला महिला अस्पताल में पे्रगनेंट महिलाओं से उनका महीना पूछकर इलाज किया जा रहा है। जब रिपोर्टर इसकी रियल्टी चेक करने जिला महिला चिकित्सालय में पहुंचा तो वहां का नजारा बिल्कुल वैसा ही था जैसी की सूचना मिली थी। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि इस मामले में हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। मामले की जानकारी डीएम को होने पर जिम्मेदारों का क्लास लगाते हुए उन्होंने इलाज में लापरवाही को लेकर कार्रवाई का भरोसा दिया।

और फफक पड़ी महिलाएं

बता दे, जिला महिला अस्पताल के तत्कालीन एसआईसी डॉ। आनंद श्रीवास्तव फ्0 जून को रिटायर हो चुके हैं। उनके रिटायर होने के बाद से ही अस्पताल में तैनात मेडिकल स्टाफ समेत बाकी के कर्मचारी अपनी मनमानी पर उतारू हो गए हैं। लेकिन पे्रगनेंट महिलाओं के महीने पूछ-पूछकर इलाज के लिए डॉक्टर के पास भेजे जा रहे हैं। जब रिपोर्टर जिला महिला अस्पताल में अपने कैमरा पर्सन के साथ क्00 बेड सैय्या अस्पताल के पास पहुंचा तो महिलाएं अपने अपने पति के साथ मायूस होकर लौट रही थी। रिपोर्टर ने उन महिलाओं के वापस जाने की क्या वजह पूछा, तो महिलाएं फफक कर रो पड़ी, बताने लगी कि महीना पूछकर उनके ओपीडी में इलाज के लिए डॉक्टर के पास भेजे जा रहे हैं। जबकि सुबह ही पर्ची कटवाकर लाइन में लग गए थे।

एसआईसी रही नॉट रिचेबल

वहीं, इस मामले में जब प्रभारी एसआईसी डॉ। नीना त्रिपाठी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। वहीं मैनेजर डॉ। कमलेश ने बताया कि सभी महिलाओं का इलाज किया जा रहा है। यह किसी ने बदमाशी की होगी जो प्रेगनेंट लेडी परेशान हुईं। जो महिलाएं नहीं दिखा सकीं हैं। वह अगले दिन आकर दिखा सकती हैं।

कोट्स

कौन सा महीना चल रहा है। पूछकर लौटा दे रहे हैं। जैसे ही हमने बताया कि आठवां महीना चल रहा है तो तुरंत बोले की आप दूसरे जगह इलाज करवा लीजिए।

अंजली, पे्रगनेंट पेशेंट

जिला अस्पताल में पिछले कई महीने से इलाज चल रहा है। ऐसे में यह कह कर कि आपका इलाज नहीं हो सकेगा, लौटा देना गलत है।

चंद्र कली, पे्रगनेंट पेशेंट

सुबह से ही लाइन में लगे थे। डॉक्टर से दिखाने के लिए लाइन में लगने के बाद डॉक्टर और अस्पताल मैनेजमेंट ने वापस कर दिया। ये स्वास्थ विभाग की लापरवाही है।

किरण, पे्रगनेंट पेशेंट

पे्रगनेंट लेडी को दिखाने के लिए महिला जिला अस्पताल आई थी। लेकिन ओपीडी में इलाज नहीं किया जा रहा है। लाइन में लगने के बाद भी कोई डॉक्टर देखने को तैयार ही नहीं है।

अर्चना, आशा

डीएम।

प्रेंगनेंट लेडी का इलाज नहीं होने का मामला बेहद गंभीर है। इसके लिए सीएमओ से बात की जाएगी। उनका इस तरह से लौटाना गलत है। इसके लिए जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

के विजयेंद्र पांडियन, डीएम