- जिले के 125 बाढ़ प्रभावित एरिया में लगाई गईं डाक्टर्स की टीम, जिला अस्पताल भी पहुंच रहे मरीज

GORAKHPUR: बदल रहे मौसम के साथ बीमारियों की दस्तक भी बढ़ गई है। डायरिया, कालरा के साथ टायफाइड ने मरीजों की मुसीबत बढ़ा दी है। जिला अस्पताल में बुखार की शिकायत के साथ रोजाना टायफाइड के 20 से 30 पेशेंट पहुंच रहे हैं। यह वह पेशेंट हैं, जो बाढ़ प्रभावित एरिया से जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। आलम यह है ऐसे डायरिया के मरीजों को तो भर्ती तक करना पड़ रहा है। वहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से बाढ़ प्रभावित एरिया में दवाओं के वितरण के साथ-साथ नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की पूरी व्यवस्था का दावा भी किया जा रहा है।

बाढ़ प्रभावित एरिया में लगाईं टीम

मौसम बदलने के बाद वायरल फीवर के मरीज बढ़ गए। साथ ही बाढ़ प्रभावित एरिया से डायरिया, कालरा के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में जिले के 125 गांवों की बाढ़ प्रभावित आबादी को बीमारियों से बचाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से टीम नियमित भ्रमण किए जाने का दावा कर रही है। हेल्थ डिपार्टमेंट के दावों के मुताबिक 83 टीम ऐसी हैं, जो लोगों की सहायता के लिए लगाई गई हैं। प्रत्येक टीम में डाक्टर समेत चार स्वास्थ्यकर्मी शामिल किए गए हैं। इन टीम के जरिए 5616 लोगों की जांच कर बुखार और उल्टी दस्त की दवाएं वितरित की जा चुकी हैं और आगे भी चिकित्सकीय जांच और दवा वितरण का कार्य जारी रहेगा।

औसतन 20 से 30 मरीज मिल रहे टायफाइड

वहीं, जिला अस्पताल की ओपीडी में वायरल फीवर के साथ-साथ कालरा, डायरिया के मरीज तो आ ही रहे थे। इन सबके बीच अब टायफायड ने इन बीमारियों के बीच दस्तक दे दी है। जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ। राजेश कुमार ने बताया कि बदल रहे मौसम की वजह से बीमारियां बढ़ गई है। कालरा और डायरिया के मरीज लगातार आ रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा अब टायफाइड के मरीज भी लगातार मिल रहे हैं। बताया कि हर 10 में से दो से तीन मरीज टायफाइड के मिल रहे है। औसतन देखा जाए तो हर दिन 20 से 30 मरीज आ रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो यहां भी टाइफायड के मरीजों की संख्या 30 से 35 केबीच है।

गंदे पानी से फैलता है टायफाइड

जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ। राजेश कुमार ने बताया, टायफाइड गंदा पानी पीने से फैलता है। कई बार बारिश के मौसम में पीने के पानी में दूषित पानी मिल जाता है। इससे यह बीमारी हो सकती है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही बारिश की वजह से टायफाइड के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। ब्लड टेस्ट और कल्चर के आधार पर इसका पता किया जा रहा है।

डायरिया, कालरा की वजह दूषित खाना और गंदा पानी

डॉ। राजेश कुमार ने बताया, डायरिया दूषित खाना खाने के साथ गंदा पानी पीने से भी फैलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ की वजह से डायरिया और कालरा के मरीज सामने आ रह है। इनमें ऐसे मरीज अधिक हैं, जिनकी स्थिति ज्यादा खराब है। इन मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती तक करना पड़ रहा है।

टायफाइड के लक्षण

- पीडि़त व्यक्ति के सिर में दर्द होता है।

- शरीर में दर्द, कमजोरी के साथ दस्त की समस्या

- 102 से 104 डिग्री तक बुखार रहता है।

- बड़े में कब्ज और बच्चों में दस्त हो सकता है।

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क्लोरिन टेबलेट की गई डिस्ट्रिब्यूट

जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ। एके चौधरी ने बताया, इन इलाकों में कुल 62,681 क्लोरिन टेबलेट वितरित की गई हैं, ताकि लोग बीस लीटर पानी में एक टेबलेट का घोल बना कर दो घंटे बाद ही सेवन करें और डायरिया से सुरक्षित रहें। 12,970 हैंडपंप का क्लोरिफिकेशन किया गया है, ताकि लोगों को साफ-सुथरा पानी मिल सके। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 13314 अदद ओआरएस के पैकेट वितरित किए गए हैं और लोगों को बताया गया है कि उल्टी-दस्त होने की दशा में ओआरएस के घोल का सेवन अवश्य किया जाए।