स्लग: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के 'प्रिपरेशन टू प्रीवेंट द सिटी फ्रॉम मलेरिया एंड डेंगू' सब्जेक्ट पर हुए वेबिनार में एक्सपर्ट्स ने दिए सुझाव
- मच्छरों को पनपने से रोकने मोहल्लों में हो रहा एंटी लार्वा केमिकल का छिड़काव
Gorakhpur: कोरोना की संभावित थर्ड वेव को लेकर गोरखपुराइट्स अलर्ट हैं, लेकिन खतरा मलेरिया और डेंगू से भी कम नहीं है। मानसून पीरियड में हो रही वॉटर लॉगिंग से यह खतरा और बढ़ा है। ऐसे में सावधानी व जागरुकता से ही मच्छरजनित इन बीमारियों से बचा जा सकता है। बारिश में नगर निगम व हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम एक्टिव मोड पर है। कोरोना से निपटने के लिए जिस प्रकार से हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, वैसे ही मलेरिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही जमे हुए पानी पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि मच्छर नहीं पनपें। रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के 'प्रिपरेशन टू प्रीवेंट द सिटी फ्रॉम मलेरिया एंड डेंगू' सब्जेक्ट पर हुए वेबिनार में यह बातें सामने आईं। एक्सपर्ट ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के मंच से कहा कि बुखार, बदन दर्द आदि होने पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टर से परामर्श लेते हुए जांच कराना न भूलें। वेबिनार का संचालन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट गोरखपुर के एडिटोरियल हेड शिशिर मिश्र ने किया।
वॉटर लॉगिंग वाले एरिया में मिल सकते हैं केस
वेबिनार में जिला मलेरिया अधिकारी व वेक्टर बॉर्न डिजीज ऑफिसर डॉ। एके चौधरी ने बताया, कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले हमें डेंगू व मलेरिया डिजीज से सावधान रहना होगा। वैसे तो गोरखपुर में डेंगू व मलेरिया के अभी तक एक भी केस नहीं आए हैं। डेंगू व मलेरिया के लिए जो भी सेंसेटिव एरिया हैं। वहां लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। चूंकि वॉटर लॉगिंग वाले इलाकों में डेंगू व मलेरिया के केसेज मिलने के चांसेज होते हैं, ऐसे में उन इलाकों के लोगों को आशा बहुओं, एएनएम के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है कि लोग अपने घर के गमला, कूलर आदि में पानी जमा न होने दे।
अवेयरनेस के लिए दस्तक अभियान
- कोविड के केस में जिस तरह बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द आदि के लक्षण होते हैं।
- मलेरिया, डेंगू के केस में भी ऐसे ही लक्षण होते हैं।
- ऐसे में जिला अस्पताल में जो भी बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द आदि के पेशेंट आते हैं।
- उनकी मलेरिया, डेंगू या फिर कोविड जांच अनिवार्य रूप से करवाई जाती है।
- स्क्रीनिंग के बाद ही पेशेंट को घर भेजा जाता है। मलेरिया व डेंगू की जो मेडिसिन मिलती हैं, उसकी खरीदारी हाई अथॉरिटी के जरिए कराई जाती है।
- सालभर में चार बार संचारी व दस्तक अभियान चलाए जाते हैं, ताकि इन गंभीर बीमारियों को पनपने न दिया जाए।
- गवर्नमेंट की तरफ से कीटनाशक दवाएं मिलती हैं।
- मेजर वर्क में गवर्नमेंट का फोकस साफ-सफाई, एंटी लार्वा व हास्पिटल में दवाओं की उपलब्धता पर रहता है।
नगर निगम का साफ-सफाई पर फोकस
- डेंगू व मलेरिया चूंकि मच्छरजनित बीमारी हैं, ऐसे में नगर निगम का 70 वार्ड में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रहता है।
- मच्छरों को पनपने न दिया जाए, इसके कंट्रोल के लिए एंटी लार्वा केमिकल का छिड़काव नालियों व मोहल्लों में करवाया जा रहा है।
- एन्वायर्नमेंटल कंट्रोल पर ध्यान देते हैं, डीजल-पेट्रोल का छिड़काव नालियों में करवाया जाता है ताकि इनके लार्वा पनपने न पाए।
- बायोलॉजिकल गंबोजिया मछली का प्रयोग भी किया जा रहा है।
- स्प्रे से छिड़काव में निगम टेमीफॉश केमिकल का यूज कर रहा है ताकि लार्वा मर जाए।
- ऑर्गेनिक केमिकल में 95 प्रतिशत केमिकल व पेट्रोल मिलाकर छिड़काव कराया जाता है।
- सभी वार्ड में 35 छोटी व चार बड़ी फॉगिंग मशीन लगाई हैं।
- 110 मलिन बस्तियां हैं, जहां विशेष रूप से छिड़काव कराया जाता है।
स्टैटिस्टिक -
2019 के बाद एक भी डेंगू का केस नहीं
5500 प्वाइंट्स पर जनवरी में करवाई गई चेकिंग
2016 में मिले थे सबसे ज्यादा डेंगू के केस
168 लोगों में हुई थी संक्रमण की पुष्टि
3 एरिया लाल डिग्गी, बड़हलगंज व गगहा में डेंगू के केस मिले थे।
17 केस मिले थे 2017 में
9 लोगों में 2018 में हुई थी पुष्टि
डेंगू और मलेरिया भी खतरनाक
रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट मलेरिया अधिकारी डॉ। एके पांडेय ने बताया, मलेरिया और डेंगू को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जितना कोविड खतरनाक है, उतना ही डेंगू व मलेरिया। जिले में ज्यादातर केस उन लोगों में मिले थे जो महाराष्ट्र, गुजरात आदि शहरों से आए थे। मलेरिया का वेक्टर नमी, गंदगी व नालियों के पास पाया जाता है। जबकि डेंगू का वेक्टर व्हाइट कॉलर में पाया जाता है। वह बरसात, कंटेनर, छतों पर रखे गए टायर, कूलर में जमे पानी, पानी के टंकी आदि में डेंगू के मच्छर तेजी के साथ पनपते हैं।
वर्जन
सिटी के लो लैंड एरिया मुहईसुघरपुर, चक्सा हुसैन, रुस्तमपुर आदि में पंप सेट के माध्यम से पानी निकलवाया जा रहा है। मलेरिया या डेंगू के संदिग्ध केस के पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से सीएमओ की मदद से नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराई जाती है। डेंगू के केस में अगर एक भी व्यक्ति को डेंगू पाया जाता है तो उस एरिया के सभी लोगों की डेंगू जांच कराई जाती है।
डॉ। मुकेश रस्तोगी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। जबकि मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू होता है। डेंगू और मलेरिया बीमारी में अचानक से तेज, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, बदन में दर्द बढ़ जाता है। बीपी बढ?े लगता है। खून की कमी होने लगती है। इसलिए इस तरह के लक्षण आने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। घर में मच्छर न पनपने दें। घर में स्वयं इलाज न करें।
डॉ। राजेश कुमार, कोविड प्रभारी, जिला अस्पताल
डेंगू चूंकि व्हाइट कॉलर में पाया जाता है, इसलिए घर के सदस्यों को सावधान रहना होगा। डेंगू के लिए सेंट्रल लैब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में है। डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी है। बुखार होने पर एलाइजा टेस्ट करा लें। इसकी सूचना अपने नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी दें। घरों में पानी न जमा होने दें, क्योंकि साफ पानी में ही डेंगू के मच्छर पनपते हैं, जो बड़ा नुकसान कर सकते हैं।
डॉ। एके पांडेय, रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट मलेरिया अधिकारी
संचारी, दस्तक अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। गोरखपुर में डेंगू व मलेरिया के एक भी केस नहीं आए हैं। जितने भी सेंसटिव इलाके हैं, वहां पर विशेष नजर रखी जा रही है। बाहर से आने वालों पर भी खास निगाह रखी जा रही है ताकि अगर कोई केस डिटेक्ट हो तो इसकी वजह से बीमारी स्प्रेड न हो। डेंगू-मलेरिया के लिए भी अवेयर रहने की जरूरत है।
डॉ। एक चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी व वेक्टर बॉर्न डिजीज ऑफिसर
एक्सपर्ट ने दिए ये सजेशन
- घर के भीतर और आसपास मच्छर पनपने न दें।
- रुके हुए पानी में मच्छर पैदा न होने दें। इसलिए पानी को किसी भी पॉट में न रखें।
- घर के टूटे बर्तन जैसे गमले, फूलदान, टायर, नारियल के खोल में भी पानी न जमा होने दें।
- पानी की टंकियों को बराबर ढक कर रखें।
- अपने बॉडी को अधिक से अधिक ढक कर रखें।
- सूर्यास्त के समय खिड़कियां बंद कर लें। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
डेंगू के लक्षण
- ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार आना।
- मांसपेशियों-जोड़ों में दर्द व लाल चकत्ते पड?ा।
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना।
मलेरिया के लक्षण
- अचानक ठंड लगना और तेज बुखार होना, बदन दर्द, शरीर में जलन व सिर दर्द।
- पसीना आकर बुखार का उतरना, तापमान 100 फॉरेनहाइट।
- बुखार एक या दो दिन छोड़कर आना, कमजोरी होना।