सवाल यह उठता है कि आखिर विभाग या अधिकारी ऐसा क्या छुपा रहे हैं कि वे सूचना देने से बच रहे हैं। क्या जानकारी नहीं उपलब्ध कराना ही अपने आप में इस बात का संकेत नहीं है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है? सूचना मांगने वाले का कहना है कि यदि उसके द्वारा मांगी गई जानकारी मिल जाए तो कई शरीफों की शराफत उतर जाएगी। इसलिए अधिकारी जानकारी देने से बच रहे हैं।

यह मांगी थी जानकारी

गगहा ब्लॉक क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता व सोशल जस्टिस एंड वूमन वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष आशीष राय ने 2 साल पहले आरटीआई के तहत जनपद में अन्त्योदय, बीपीएल, एपीएल कार्डधारकों को दिए जाने वाले खाद्यान्न की डिटेल मांगी। काफी इंतजार के बाद भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने जारी वर्ष में 17 मई को फिर सूचना मांगी लेकिन एक बार फिर उन्हें टरका दिया गया। अब 21 अप्रैल को आठ बिंदुओं का शिकायती पत्र केन्द्र सरकार को भेजा है। इस पर संज्ञान लेते हुए 28 अप्रैल को ही खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग उत्तर प्रदेश से जवाब मांगा गया है। इतना सब होने के बाद भी अभी तक आशीष को उनके द्वारा मांगी गई सूचना नहीं मिल पाई है।

हुई है धांधली

आशीष राय का कहना है कि जिले के सात नगर पंचायतों में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से एक सर्वे कराया था। जो आंकड़ा निकला वह चौंकाने वाला था। केवल नगर पंचायतों में ही जनवरी से मार्च के बीच में हजारों क्विंटल गेहूं व चावल का उठान हुआ लेकिन जब 2700 उपभोक्ताओं से सर्वे में पूछा गया तो अधिकतर का कहना था कि उन्हें राशन नहीं मिला। इसका सीधा मतलब है कि उठान के बाद खाद्यान्न को लाभुकों में न वितरित कर उसे कालाबाजार में पहुंचाया जा रहा है। इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक की मिलीभगत है। कभी-कभी निरीक्षण के बाद अधिकारी कार्रवाई का कोरम करते हैं लेकिन इस मामले में अभियान चलाकर व्यापक कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। आशीष का कहना है कि इसके लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों से मांग की लेकिन वे तैयार नहीं हुए। तब उन्हें लगा कि अब उन्हें आरटीआई से सूचना मांगनी चाहिए। इसी से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन जब सूचना मांगी तब पता चला कि भ्रष्टाचार की चादर हर जगह फैली हुई है।

ग्रामीण भी साथ खड़े

आशीष की मांग पर ग्रामीण भी उनके साथ हैं। ग्रामीण सुधाकर तिवारी, सन्तकुमार सिंह, नरसिंह यादव आदि का कहना है कि यदि यह सूचना मिलती है तो कइयों के खिलाफ मामला बन सकता है इसलिए जानकारी नहीं दी जा रही। इन लोगों का कहना है कि एपीएल कार्डधारकों के साथ व्यापक धांधली हो रही है। पूरा मामला उजागर हो तो करोड़ों की धांधली सामने आ सकती है। आशीष का कहना है कि इस मामले में सूचना के लिए आरटीआई के अलावा डीएम से लेकर प्रमुख सचिव तक कागजी कार्रवाई कर चुके हैं लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

सूचना मांगने वाले बहुत हैं। समयानुसार सूचना दी भी जाती है लेकिन आशीष राय द्वारा मांगी गई सूचना की जानकारी मुझे नहीं है। यदि वह आकर मुझसे मिले तो मैं सूचना उपलब्ध करा दूंगा।

- कमल नयन सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी