गोरखपुर (ब्यूरो)। काफी यूथ ऐसे थे, जो पहली बार वोट करने जा रहे हैं, उनका कहना है कि वह किसी पार्टी या सिंबल को देखकर वोट नहीं करेंगे, बल्कि युवा और रोजगार के साथ

विकास की बात करने वाला ही उनका नेता होगा। इन यंगस्टर्स को 2022 में कौन कितना लुभाता है यह सभी दलों के लिए चुनौती होगा। युवाओं ने न सिर्फ बेेरोजगारी को अहम

मुद्दा बताया, बल्कि जाति और धर्म की राजनीति से गुरेज करते हुए एक अच्छी सरकार के चुनने की बात कही।

रोजगार के बढ़ाए जाएं अवसर

शनिवार दोपहर 01.30 बजे जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम छात्रसंघ चौक स्थित मोमेंटम कोचिंग सेंटर पहुंची। डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहे वहां मौजूद यूथ ने कार्यक्रम में

शामिल होकर अपने मन की बात रखी। अधिकांश लोगों का कहना है कि अब अशिक्षित और क्षेत्रवाद व जातिवाद के नाम पर वोट नहीं देंगे, बल्कि एजुकेटेड और साफ-सुथरी छवि

वाले नेता को ही सदन में पहुंचाएंगे। तैयारी कर रहे युवाओं ने जोश भरे लहजे में कहा कि इस वक्त रोजगार सबसे जरूरी है साथ ही अच्छी शिक्षा भी वक्त की जरूरत है। युवाओं को

सिर्फ अच्छी शिक्षा या डिग्री नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी चाहिए, इसपर लोगों को काम करना होगा। यह सबकुछ तभी हो सकेगा, जब एक एजुकेटेड नेता सदन पहुंचे और वह

युवाओं की भावनाओं को समझ सके।

सरकारी शिक्षा और नौकरी में हो सुधार

युवाओं ने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर करने की जरूरत है। गांवों में बच्चे बेहतर शिक्षा के अभाव में पीछे रह जाते हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि पेंडमिक

में मिडिल क्लास लोगों की नौकरी चली गई। कई आज भी बेरोजगार है, ऐसे में गवर्नमेंट को सबसे पहले नौकरी देने पर फोकस करना होगा। कॉम्प्टीटिव एग्जाम के लिए आवेदन

फॉर्म तो भरवा लिए जाते है, लेकिन उन वैकेंसी को फुलफिल नहीं किया जाता। कभी पेपर आउट हो जाता है तो कभी मामला कोर्ट में पेंडिंग में चला जाता है, इसलिए सरकार ऐसी

होनी चाहिए जो पारदर्शी ढंग से भर्ती को पूरा करे और युवाओं को रोजगार के मौके उपलब्ध कराए।

गोरखपुर में तेजी के साथ विकास देखने को मिला है, लेकिन इसके बाद भी आज ऐसे कई मोहल्ले हैं, जहां जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। सरकारें आती-जाती रहीं, लेकिन समस्या

सॉर्टआउट नहीं हो सकी है। इसमें सुधार करने के साथ सड़कों की दशा सुधारनी होगी।

पूजा कुमारी

बेरोजगारी अहम मुद्दा है। इसके लिए सरकार की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला। आज भी पढ़े लिखे युवा बेरोजगार भटक रहे हैैं।

रोजगार को बढ़ावा देना चाहिए, गवर्नमेंट को नौकरी देने के लिए प्राथमिकता से काम करना चाहिए।

प्रिया श्रीवास्तव

शिक्षित नेता चुने जाने की जरुरत है। दिल्ली में एजुकेशन का विकास हुआ है यहां भी उसी तरह से सरकारों को सरकारी शिक्षा पर काम करना चाहिए। नौकरियां नहीं आ रही है,

वैकेंसी आनी चाहिए। वहीं लगातार प्राइवेटाइजेशन हो रहा है, इस पर रोक लगे।

पल्लवी गुप्ता

महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है, महिला सुरक्षा हेल्प लाइन नंबर शुरु किया गया है, इसमें सुधार करना चाहिए। अधिकांश इस नंबर पर फोन नहीं लगता है। लोकल लेवल पर भी हेल्पलाइन

होनी चाहिए। बेरोजगारी और महिलाओं के सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।

शिवा उपाध्याय

धर्म, जाति के नाम पर राजनीति करने से युवाओं को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यूपी विधानसभा चुनाव में अहम मुुद्दा सरकारी नौकरी और रोजगार होना चाहिए, ताकि रोजगार

प्राप्त होने के बाद खुद का घर बना सकें। फ्री की चीजें पाने से पैरों पर खड़ा होना बेहतर है।

निखिल नायक

सरकार चाहे कोई भी आए, लेकिन उसे महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। विकास के साथ-साथ युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा। रोजगार से विकास होगा, लेकिन हम मुफ्त में

किसी भी योजना का लाभ लेंगे तो फिर हमें इसका कोई दूरगामी परिणाम नहीं मिलेगा।

आदर्श पांडेय

किसी भी दल का नेता हो, वह एजुकेटेड हो, उसे ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। जो अशिक्षित होगा, उससे पार्टी की छवि खराब तो होगी ही, वह अपनेे

विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य में कोई विशेष रुचि भी नहीं दिखाएगा।

आयुष कुमार भास्कर

किसी भी दल का कैंडिडेट हो, कम से उसे इतना तो अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या को सदन तक पहुंचा सके। सुरक्षा का मामला

हो या फिर विकास की बात हो, वह हमारी साथ खड़े होना चाहिए।

अनुभव श्रीवास्तव

मुद्दे

वैसे तो परिचर्चा के दौरान कॉम्प्टीशन की तैयारी कर रहे युवाओं के तमाम मुद्दे थे। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी थे जिन पर उन्होंने अधिक जोर दिया। इन मुद्दो पर तर्क-वितर्क भी

हुआ। क्या रहे परिचर्चा के अहम पांच मुद्दे-

पहला मुद्दा

एजुकेटेड कैंडिडेट होना चाहिए

युवा विधानसभा चुनाव खड़े होने वाले प्रत्याशी एजुकेटेड हो, ताकि वह शिक्षा नौकरी और रोजगार की बात करे। पार्टियों को टिकट देने से पहले उसके शिक्षा और छवि को भी देखना

चाहिए। जो पार्टियों के लिए बड़ी कमजोरी बनती जा रही है। जो प्रत्याशी अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या के समाधान के लिए दमदार होगा और उसकी छवि अच्छी

होगी। उसे ही हम चुनेंगे। बदले में कुछ युवाओं का कहना था कि अक्सर कई प्रत्याशी अशिक्षित होते है। उनको कब क्या कहना होता है मालूम नहीं रहता, इसलिए वह लोग सदन में

भी अपनी आवाज नहीं उठा पाते है इसलिए हमेशा शिक्षित नेता को ही चुनना चाहिए।

दूसरा मुद्दा

महंगाई

महंगाई ने कमर तोड़ दी है। कम से प्रदेश सरकार अपने राज्य के टैक्सेज में कमी लाते हुए मंहगाई पर नियंत्र ला सकती है। पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी कर जनता को मंहगाई के

बोझ से बचा सकती हैैं। महंगाई इस चुनाव का अहम मुद्दा हैैं। आज युवाओं को अपने पढ़ाई लिखाई या फिर किसी आवेदन के फॉर्म भरने में सबसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैै

ं। सरकार को इस ओर भी ध्यान रखने वाली हो, ताकि बेरोजगार युवाओं पर फॉर्म का अतिरिक्त बोझ न पड़े और उन्हें अपनी तैयारी और एग्जाम देने के लिए पैसों की वजह से

सोचना न पड़े।

तीसरा मुद्दा

शिक्षा

गांवों में सरकारी स्कूलों में शिक्षा को बेहतर बनाया जाए। बेसिक व माध्यमिक स्कूलों की हालत खराब है। कुछ स्कूलों को छोड़ दें तो बाकी स्कूलों में आज भी बच्चों के लिए अच्छी

बिल्ंिडग नहीं है। शहरी इलाकों में छोड़ आसपास के शिक्षक आज भी स्कूलों में जाते हैैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के बजाय वह संसाधनों के अभाव में पढ़ाने से बचते हैैं, कुछ

ऐसे स्कूल जहां पर आज भी शिक्षक अपने जेब से पैसे लगाकर स्कूलों में पढ़ा रहे हैैं, लेकिन सरकार इस तरह से स्कूली शिक्षकों को सम्मान नहीं देती है। जबकि इस तरह के

व्यवहार शिक्षकों को डीमॉरलाइज करते है। शिक्षा का स्तर बढऩा चाहिए।

चौथा मुद्दा

जाति और धर्म

यूपी में जिस प्रकार से राजनीति पार्टियां जाति और धार्मिकता के आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही हैैं। कम से कम इससे बचना होगा। जाति और धार्मिक मुद्दे एक बड़ी

वजह है। इस तरह के जाति और धार्मिकता के आधार पर राजनीति करने वाले कैंडिडेट से परहेज करना चाहिए। युवाओं को इन सभी चीजों से मतलब नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार

चाहिए। जो अहम है। जितनी भी भर्तियां आ रही हैैं, वह भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हंै। जाति और धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाकर पार्टियों अपना उल्लू सीधा

करती हैं। ऐसे में युवाओं को भी समझना होगा और उन्हें जाति और धर्म के नाम पर वोट देने से बचना होगा।

पांचवा मुद्दा

महिïला सुरक्षा

युवतियों का कहना था कि ऐसी व्यवस्था लाई जाए जिससे लड़कियां सेफ फील कर सकें। भेद भाव को दूर किया जाए। सहायता सेवा समूह की महिलाएं स्वालंबी बनती जा रही हैैं,

लेकिन आज भी ऐसी महिलाएं हैैं जो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैैं, लेकिन इसके लिए उन्हें मदद नहीं मिल पाती हैै। इसमें सुधार की जरूरत है। वहीं महिलाओं की

सुरक्षा को लेकर आज भी महिला पुलिस कर्मियो में उतनी जागरुकता नहीं है जो उनकी मौके पर मदद कर सकें। महिला पुलिस कर्मियों के पुलिसिंग में सुधार की जरुरत है। ताकि वह

महिलाओं के साथ होने वाले छेड़छाड़ की घटनाओं में शामिल शोहदों को सबक सिखा सकें।