गोरखपुर (ब्यूरो)। एजुकेशन सिस्टम में सुधार हो, रोजगार को और बढ़ावा दिया जाए, किसान की बात हो। यह कहना था गोरखपुर यूनिवर्सिटी के यूजी-पीजी, पीएचडी और लॉ स्टूडेंट्स

का, जिनके लिए ये मुद्दे आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में अहम होंगे। रविवार को गोरखपुर यूनिवर्सिटी के विवेकानंद ब्वायज हॉस्टल कैंपस मेें हुई परिचर्चा में युवाओं ने

अपनी-अपनी बात रखी। युवाओं ने न सिर्फ बेेरोजगारी, एजुकेशन को अहम मुद्दा बताया। बल्कि जाति और धर्म की राजनीति से गुरेज करते हुए एक अच्छी सरकार के चुने जाने की

बात कही। उनका कहना था किसी प्रदेश का विकास तभी होगा। जब वहां एजुकेशन सिस्टम अच्छा होगा।

किसानी जवानी पर जो बात करेगा, वही इस बार सरकार में आएगा

राजनीति: वॉइस ऑफ यूथ में स्टूडेंट्स ने मन की बात की, उन्होंने कहा कि हमारी पहचान गांवों से होती है, जो दल किसानी, जवानी और पानी की बात करेगा। इस बार वही सरकार

में आएगा।

क्षेत्रवाद-जातिवाद पर नहीं करेगे वोट

अधिकांश स्टूडेंट्स ने कहा, अब वह क्षेत्रवाद और जातिवाद के नाम पर वोट नहीं करेंगे। साफ-सुथरी छवि वाले नेता को ही सदन में पहुंचाएंगे। ताकि एक अच्छी सरकार बन सके।

युवाओं ने जोश भरे लहजे में कहा, रोजगार सबसे जरूरी है, इसके साथ ही अच्छी शिक्षा, जो हर हर युवा को चाहिए। सिर्फ अच्छी शिक्षा देकर डिग्री ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर

की संभावनाएं भी बनानी होंगी। यह सबकुछ तभी हो सकेगा, जब एक सशक्त सरकार बनेगी। सरकार को हम युवाओं पर ध्यान देना होगा।

पारदर्शी हो भर्तियां

स्टूडेंटस ने किसानों की समस्या, शिक्षा की समस्या के अलावा महंगाई पर लगाम लगाने की बात कही। उन्होंने कहा, विकास का दायरा सिर्फ एक या दो शहर तक सिमटा हुआ नहीं

होना चाहिए। यह प्रदेशव्यापी होना चाहिए। स्टूडेंट यह यह भी कहते नजर आए कि युवाओं को महंगाई का सामना करना पड़ा रहा है। आवेदन फार्म तो भरवा लिए जाते हैैं, लेकिन

उन वैकेंसी को पूरा नहीं किया जाता। कभी पेपर आउट हो जाता है तो कभी मामला कोर्ट में चला जाता है, इसलिए पारदर्शी ढंग से भर्ती को पूरा कराने के लिए सरकार को काम

करना होगा, जितनी भी प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले एंप्लाइज हैैं, उनके भविष्य के बारे में भी सोचना होगा।

शिक्षा बन गया है धंधा

परिचर्चा में युवाओं ने कहा, वर्तमान में शिक्षा को लोगों ने धंधा बना लिया है। यह चलन प्राइवेट सेक्टर में था, लेकिन अब यह सरकारी संस्थाओं में भी तेजी से फैला है। उन्होंने कहा,

आज शिक्षा के स्तर में काफी बदलाव आया है, सिर्फ यूनिवर्सिटी में फीस के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है। जबकि गुणवत्तायुक्त शिक्षा से हम छात्र वंचित होते चले जा रहे

है। अगर रोजगारपरक सिलेबस सरकार की तरफ से लाए जा रहे हैैं तो उसके हिसाब से रोजगार की भी व्यवस्था करनी होगी।

गोरखपुर में तेजी के साथ विकास देखने को मिले हैैं, लेकिन आसपास के जिले में उस गति से विकास नहीं हो सका है। विकास हर जगह होना चाहिए। आज भी कई ऐसे मोहल्ले

है जहां पर जलजमाव की स्थिति है, लेकिन वह समस्या शॉर्टआउट नहीं हो सकी है। इसमें सुधार के लिए सड़कों की दशा सुधारनी होगी।

संजीव वर्मा

चाहे उच्च शिक्षा हो या फिर माध्यमिक स्कूल, हर जगह स्कूलों को गोद ले लिया गया है, लेकिन उनके रखरखाव और मेंटेन की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि सरकारी स्कूलों में

अच्छे टीचर है, लेकिन संसाधन के अभाव में आज भी बच्चे पढऩे को मजबूर हैं। जिसमें सुधार की आवश्यकता है।

ऋषि यादव

इस बार जो किसानी, जवानी और पानी की बात करेगा। वही सरकार में आएगा। राहगीरों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। लेकिन आज तक इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए।

जबकि यह बहुत जरूरी है। बेरोजगारी और महिलाओं के सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।

योगेश प्रताप सिंह

हमारे लिए महंगाई अहम मुद्दा है। इसके लिए सरकार की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला। आज भी पढ़े लिखे युवा डिग्री लेकर दर-दर

भटक रहे है। आवाज उठाने पर डंडे ही मिलते है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैैं कि आने वाली सरकार चाहे किसी भी दल की हो। वह युवाओं के रोजगार के प्रति गंभीर हो।

गौतम कुमार गुप्ता

सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें होती हैैं, धर्म, जाति के नाम पर राजनीति करने से कोई फायदा हम युवाओं को नहीं होने वाला है, यूपी विधानसभा चुनाव में अहम मुुद्दा रोजगार होना

चाहिए, ताकि हम युवाओं को रोजगार प्राप्त होने के बाद खुद का घर बना सकें। फ्री का राशन और फ्री के घर में हम रहकर क्या कर लेंगे, लेकिन रोजगार होगा तो हम घर और

राशन दोनों ही खरीद लेंगे।

अभिषेक मिश्रा

सरकार चाहे कोई भी आए, लेकिन उसे महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। विकास के साथ-साथ युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा। रोजगार से विकास होगा, हमें रोजगार से

जोड़ते हुए भविष्य संवारने का काम करने वाली सरकार चाहिए।

शिवम पांडेय

किसी भी दल का नेता हो, वह बेदाग हो, उसे ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। जो दागी होगा, उससे पार्टी की छवि खराब तो होगी ही, वह अपनेे विधानसभा

क्षेत्र में विकास कार्य में कोई विशेष रुचि भी नहीं दिखाएगा। ऐसे में पढ़े लिखे और साफ-सुथरी छवि वाले कैंडिडेट को टिकट देना चाहिए।

विख्यात भट्ट

किसी भी दल का कैंडिडेट हो, कम से उसे इतना तो अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्या को सदन तक पहुंचा सके। ऐसे नेता को हम क्यों चुनें, जो

हमारी समस्या को ही न सुनें, चाहे सुरक्षा का मामला हो या फिर विकास की बात हो, वह हमारी साथ है तो हम उसके साथ हैं।

बबलू कुमार

मुद्दे

चुनावी परिचर्चा के दौरान युवाओं के तमाम मुद्दे थे। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी थे, जिन पर उन्होंने अधिक जोर दिया। इन मुद्दों पर तर्क-वितर्क भी हुआ। क्या रहे परिचर्चा के अहम

पांच मुद्दे-

पहïला मुद्दा

किसानी जवानी और पानी की बात हो

ज्यादातर युवाओं का यही कहना था कि विधानसभा चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की छवि कर्मठशील होनी चाहिए। जो युवाओं के साथ किसान की बात करे। पानी की समस्या

को दूर करे। उन्होंने कहा, जो प्रत्याशी अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या के समाधान के लिए दमदार होगा और उसकी छवि अच्छी होगी। उसे ही युवा चुनेंगे। बदले में कुछ

युवाओं का कहना था कि अक्सर कई प्रत्याशियों पर मुकदमे भी होते हैैं, लेकिन उसके बाद भी पार्टी उन्हें टिकट दे देती हैैं। कम से कम ऐसे प्रत्याशियों से बचना चाहिए।

दूसरा मुद्दा

सब्जी, पेट्रोल-डीजल के बढ़ेंगे दाम तो बढ़ेगी महंगाई

महंगाई ने कमर तोड़ दी है। कम से प्रदेश सरकार अपने राज्य के टैक्सेज में कमी लाते हुए मंहगाई पर नियंत्रण ला सकती है। पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी कर जनता को मंहगाई

के बोझ से बचा सकती हैैं। महंगाई इस चुनाव का अहम मुद्दा हैै। आज युवाओं को अपने पढ़ाई लिखाई या फिर किसी आवेदन के फार्म भरने में सबसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते है।

इस पर सरकार ध्यान नहीं देती है। दिन प्रतिदिन चार्जेज बढ़ाती जा रही हैै। सरकार को महंगाई पर रोक लगानी होगी।

तीसरा मुद्दा

गोद लिए हुए स्कूलों में सुधार की जरूरत

बेसिक व माध्यमिक स्कूलों की हालत खराब है। कुछ स्कूलों को छोड़ दें तो बाकी स्कूलों में आज भी बच्चों के लिए अच्छी बिल्ंिडग नहीं है। शहरी इलाकों में छोड़ आसपास के

शिक्षक आज भी स्कूलों में जाते हैैं लेकिन बच्चों को पढ़ाने के बजाय वह संसाधनों के अभाव में पढऩे से बचते हैैं, कुछ ऐसे स्कूल जहां पर आज भी शिक्षक अपने जेब से पैसे

लगाकर स्कूलों में पढ़ा रहे हैैं, लेकिन सरकार इस तरह से स्कूली शिक्षकों को सम्मान नहीं देती है। जबकि इस तरह के व्यवहार शिक्षकों के डिमोर्लाइज करते हैैं। शिक्षा का स्तर

बढऩा चाहिए।

चौथा मुद्दा

फर्टिलाइजर में खाद्य अवेलेबल कराई जाए

अभिषेक मिश्रा का कहना था कि यहां विकास हुआ है किसानों के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। फर्टिलाइजर खुल जाने से यहां के किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी और इससे

यहां रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं, लेकिन अभी तक किसानों को खाद्य नहीं अवेलेबल हो रही है। किसानों को जो दो हजार रुपए दिए जा रहे हैं। उसे ही डीजल के दाम को बड़ा कर

इनडायरेक्टली वसूल रहे हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम में और भी गिरावट होनी चाहिए।

पांचवां मुद्दा

जाति और धार्मिक मुद्दे से बचना होगा

यूपी में जिस प्रकार से राजनीतिक पार्टियां जाति और धार्मिकता के आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही हैैं। कम से इससे बचना होगा। जाति और धार्मिक मुद्दा एक बड़ी

वजह है। इस तरह के जाति और धार्मिकता के आधार पर राजनीति करने वाले कैंडिडेट से परहेज करना चाहिए। युवाओं को इन सभी चीजों से मतलब नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार

चाहिए। जो अहम है। जितनी भी भर्तियां आ रही हैैं, उन भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हं।