GORAKHPUR: गोरखपुर की प्रॉमिनेंट मार्केट्स में बड़ी संख्या में महिलाएं हर रोज शॉपिंग करने पहुंचती हैं। लेकिन वहां इन्हें टॉयलेट न होने की समस्या से जूझना पड़ता है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट लगातार अलग-अलग मार्केट में हालात का जायजा ले रहा है। इस दौरान एक बात समझ में आई कि पिंक टॉयलेट के लिए स्पेस न होना भी एक बड़ा चैलेंज है। हालांकि हमारे साथ बात करते हुए मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों और जिम्मेदारों ने इस संबंध में आश्वासन दिया है।

सिनेमा रोड, विजय चौक

1200 से अधिक महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं गणेश चौराहे से विजय चौक के बीच की दुकानों पर

800 मीटर से अधिक में फैले इस मार्केट में एक भी टॉयलेट नहीं है

30 परसेंट के आसपास है यहां वुमन इंम्लॉयीज की संख्या

इस मार्केट में बड़ी संख्या में महिला कस्टमर्स आती हैं। इसके साथ ही साथ शॉप्स में काम करने वाली वुमन इंप्लॉयीज की संख्या भी काफी है। एक शॉप पर काम करने वाली निधि ने बताया कि उन्हें काफी प्रॉब्लम होती है। वहीं दुकानदार अहमद बताते हैं कि जो महिला कस्टमर महिला स्टाफ के लिए यह बड़ा कंसर्न है। नैचुरल कॉल आने पर आसपास के मॉल या किसी बड़ी शॉप में जाना पड़ता है। दुकानदारों ने यहां पर पिंक टॉयलेट के लिए स्पेस की प्रॉब्लम भी बताई।

शाहमारूफ

5000 से अधिक महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं हर रोज रेती चौक से घंटाघर के बीच की दुकानों पर

1200 मीटर से अधिक में फैले इस मॉर्केट में एक टॉयलेट है, लेकिन गंदा है।

20 परसेंट है करीब यहां वुमन इंप्लॉयीज और शॉप ओनर्स

सिटी की सबसे बड़ी मार्केट कही जाने वाले शाहमारूफ में महिला कस्टमर्स की संख्या सबसे ज्यादा होती है। सलवार सूट से लेकर हैंड पर्स, लहंगा, साड़ी, दुपट्टा आदि समेत आइटम्स की खूब शॉपिंग होती है। टीम ने जब दुकानदार श्रीनंदा केडिया से बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि पिंक टायलेट नहीं होना यह बड़ी समस्या है। लेडीज स्टाफ समेत महिला कस्टमर के पूछे जाने पर हम भी खुद को लाचार महसूस करते हैं। उन्होंने मदीना मस्जिद के बगल में टायलेट बना हुआ है। लेकिन वह भी बहुत गंदा है।

हिंदी बाजार

10000 से अधिक महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं घंटा घर से साहबगंज मंडी के बीच की दुकानों पर

750 मीटर से अधिक में फैले इस मॉर्केट में एक टॉयलेट है भी तो किसी काम का नहीं है।

25 परसेंट है यहां वुमन इंप्लॉयीज और वुमन ओनर्स की संख्या

हिंदी बाजार कपड़ों की एक बड़ी मार्केट है। इसके अलावा ज्वैलरी शॉप्स पर महिलाओं की जबरदस्त भीड़ रहती है। संकरी गलियों में दुकानों पर काम करने वाली लेडीज स्टाफ हो या फिर इन दुकानों पर आने वाली लेडीज कस्टमर, इन सभी के लिए नैचुरल कॉल एक बड़ी प्रॉब्लम है। फैयाज अहमद ने कहा कि हमारे पास न तो जगह है और ना ही बजट कि हम इसे बनवा सके। इसके लिए नगर निगम को कॉल लेनी चाहिए।

पांडेयहाता

7000 से अधिक महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं प्रतिदिन घंटा घर चौराहे से नार्मल टैक्सी स्टैंड के बीच की दुकानों पर

1300 मीटर से अधिक में फैले इस मॉर्केट में एक भी टॉयलेट नहीं है

20 परसेंट है यहां पर वुमन इंप्लॉयीज और वुमन ओनर्स की संख्या

सिटी का पांडेयहाता सिटी के लिए ही नहीं बल्कि गोरखपुर मंडल के सभी जिले और पड़ोसी राज्य बिहार तक माल की सप्लाई करता है। यह मॉर्केट सिटी के महिलाओं के लिए पसंदीदा जगह है। यहां सभी घरेलू आइटम्स के साथ-साथ शादी विवाह के दौरान भी शॉपिंग हो जाती है। लेकिन यहां आने वाली लेडीज कस्टमर्स हमेशा टॉयलेट की प्रॉब्लम से जूझती हैं। यहां पर टॉयलेट बनवाने के लिए स्पेस की प्रॉब्लम सामने आई। कुछ शॉप ओनर्स ने बताया कि इस प्रॉब्लम के चलते 150 से ऊपर लेडीज स्टाफ जॉब छोड़ चुकी हैं।

रायगंज

5000 से अधिक महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं प्रतिदिन घंटाघर से अलहदादपुर के बीच की दुकानों पर

1800 मीटर से अधिक में फैले इस मॉर्केट में एक टॉयलेट नहीं है।

15 फीसदी से ज्यादा है यहां पर महिला कर्मचारियों और ओनर्स की संख्या।

घंटाघर से रायगंज होते हुए जब अलहदादपुर रोड पर पहले के मुकाबले काफी दुकानें खुल चुकी हैं। मार्केट के विस्तार होते देख हर वर्ग के लिए दुकानें खुल चुकी हैं। यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में खुली दुकानों में लेडीज कस्टमर के लिए टायलेट की व्यवस्था है। लेकिन दुकानों पर नहीं होने से दुकानदारों ने महिला कस्टमर्स के लिए अपनी दुकान में बने टॉयलेट को यूज करने की परमिशन दे देते हैं। यहां पर महिलाओं के लिए टॉयलेट बनवाने की जरूरत है।

होना चाहिए सॉल्यूशन

मैं विजय चौक के पास पढ़ने के लिए आती हूं। मार्केट नजदीक होने के कारण यहीं से शॉपिंग भी कर लेती हूं। लेकिन इतने बड़े मार्केट में पिंक टॉयलेट न होना एक बड़ा कंसर्न है।

-पल्लवी, कस्टमर

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की यह पहल बेहद सराहनीय है। मैं बीएससी फ‌र्स्ट ईयर की स्टूडेंट हूं। सिटी में पिंक टॉयलेट को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। विजय चौक स्थित मार्केट में इसकी बेहद जरूरत है।

-रूबी, कस्टमर

मैं कपड़े की दुकान पर काम करती हूं। यह हमारी बेसिक नीड है। लेकिन हम मजबूर हैं, क्या कर सकते हैं? इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिम्मेदारों को इसका समाधान निकालना चाहिए।

मीरा, लेडीज स्टाफ

मैं शॉपिंग के सिलसिले में आई हूं। लेकिन मार्केट आने से पहले इस बात का तो डर बना ही रहता है कि पिंक टॉयलेट है नहीं। हमारी कोशिश होती है कि घर से ही फ्रेश होकर निकले। डर के मारे पानी नहीं पीते हैं।

-सुप्रिया, कस्टमर

इस मार्केट में चीजें आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन नैचुरल कॉल आने पर काफी ज्यादा प्रॉब्लम होती है। इस दिशा में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की पहल सराहनीय है। जिम्मेदारों को इस पर विचार करते हुए इस समस्या से निजात दिलाना चाहिए।

-नम्रता, कस्टमर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के एक्सक्यूज मी कैंपेन की जितनी भी तारीफ हो कम है। हम तो लेडीज स्टाफ के तौर पर काम करते हैं। लेकिन सोचिए पांच रुपए देकर गीताप्रेस के टॉयलेट में जाना हमारी मजबूरी है।

-माही केसरी, लेडीज स्टाफ

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सॉल्यूशन की तरफ बढ़ाएंगे कदम

मार्केट में टॉयलेट न होने की समस्या काफी बड़ी है। रेती रोड पुराना मार्केट है, यहां पिंक टायलेट तक नहीं है। हमारे संगठन फंड का इंतजाम कर भी लें तो फिर स्पेस की प्रॉब्लम आएगी। लेकिन इसके बावजूद भी इस समस्या से कैसे निजात पाना है, इस पर हम जरूर विचार करेंगे।

-सुशील अग्रवाल, कोषाध्यक्ष, व्यापार मंडल, रेती रोड

लेडीज स्टाफ हो या फिर लेडीज कस्टमर पिंक टायलेट एक बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए हमारे पास फंड और जगह दोनों की दिक्कत है, लेकिन हम इस समस्या के निस्तारण के लिए प्रयासरत हैं। हमारी कोशिश है कि इस समस्या का समाधान हो।

-पंकज गोयल, प्रेसीडेंट, सर्राफा व्यापार मंडल, हिंदी बाजार

बॅाक्स

ऐसे सुधरेंगे हालात

-मार्केट में स्पेस ढूंढकर पिंक टॉयलेट का इंतजाम किया जाए।

-इस टॉयलेट में बेहतर सुविधाओं का इंतजाम किया जाए।

-महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए और लगातार मॉनीटरिंग हो।