- जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ रही मरीजों की संख्या, आंखों को दिखाने ज्यादा पहुंच रहे मरीज

GORAKHPUR: 'सर मेरा बेटा जब देखिए तब मोबाइल पर गेम खेलता रहता है। पढ़ाई के नाम पर मोबाइल हाथ में लेते ही वह फ्री फायर गेम खेलने में व्यस्त हो जाता है। उसकी आंखों में जलन और पानी आने लगा है। रात के वक्त में उसे दिखाई भी नहीं दे रहा है.' ऐसी शिकायतें इन दिनों आंखों के डॉक्टर्स के पास रोजाना आ रही हैं। जिला अस्पताल के ओपीडी में जहां इलाज के लिए मरीज व तीमारदार पहुंच रहे हैं। वहीं आई स्पेशलिस्ट डाक्टर के पास इन दिनों बच्चों के साथ पेरेंट्स की लाइन लगी हुई है।

शॉर्ट और लांग डिस्टेंस में भी प्रॉब्लम

आई स्पेशलिस्ट की मानें तो करीब 60-70 मरीजों में 10-12 बच्चों के आंखों में इस बात की शिकायत आ रही है कि उन्हें मोबाइल और कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल करने से उनके आंखों में प्रॉब्लम हो गई है। जलन और आंखों से पानी आने की शिकायत तो आम हो गई है। इसके साथ-साथ शार्ट और लांग डिस्टेंस में भी दिक्कतें आने लगी हैं। चूंकि बच्चों के आंखों की रोशनी का सवाल है तो ऐसे में डॉक्टर भी बहुत ही बारिकी के साथ आंखों के चेक अप कर रहे हैं।

65 परसेंट बच्चों में डिवाइस की लत

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। सतीश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि हाल के महीनों में लगभग 65 प्रतिशत बच्चों को डिवाइस (मोबाइल, कंप्यूटर आदि) की ऐसी लत लग गई है कि वे इससे आधा घंटे के लिए भी दूर नहीं रह पा रहे हैं। डिवाइस को छोड़ने के लिए कहने पर बच्चे गुस्सा हो रहे हैं, रोना शुरू कर देते हैं और वे माता-पिता की बात नहीं मानते हैं। इस पर उन्हें काउंसलिंग भी की जाती है। वहीं डॉ। नरेश अग्रवाल बताते हैं कि ऐसे बच्चों में ऐसी लत लग गई है कि वे इससे आधा घंटे के लिए भी दूर नहीं रह पा रहे हैं। डिवाइस को छोड़ने के लिए कहने पर बच्चे गुस्सा हो रहे हैं, रोना शुरू कर देते हैं और वे माता-पिता की बात नहीं सुन रहे हैं। डिवाइस न मिलने पर बच्चों का व्यवहार चिड़चिड़ा हो रहा है।

नजर आई जबरदस्त लाइन

जब टीम आई स्पेशलिस्ट के पास पहुंची तो वहां मरीजों की लाइन लगी हुई थी। टीम ने जब आंखों के चेकअप को लेकर पूनम से सवाल जवाब किया तो उन्होंने बताया कि आंखों के चेकअप के दौरान मरीज का ख्याल रखा जाता है। किसी मरीज को यह न शिकायत हो कि इलाज में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाती है। बच्चे हों या फिर कोई और सभी को भरपूर वक्त देकर उनका चेकअप किया जा सके।

ये आ रही है शिकायत -

- बच्चे घर पर उपलब्ध मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं

- जिसमें मोबाइल सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है।

- अधिकांश स्कूल औसतन प्रतिदिन एक से आठ घंटे (मतलब तीन घंटे) ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को व्यस्त रखते हैं।

- लॉकडाउन के बाद लगभग सभी बच्चों द्वारा स्क्रीन पर बिताए गए समय में काफी वृद्धि दर्ज हुई है।

- डाक्टर्स की माने तो बच्चों में शारीरिक गतिविधि कम होने से यह प्राब्लम आई है।

- 50 प्रतिशत बच्चों को 20 से 60 मिनट के लिए बिस्तर पर जाने के बाद सोने में कठिनाई हो रही है।

बॉक्स -

पर्ची काउंटर पर लगी थी भीड़

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम जिला अस्तपाल में न्यू और ओल्ड ओपीडी में आने वाले मरीजों के रियल्टी चेक के लिए पहुंची। जिला अस्पताल के एंट्री गेट पर पहुंचते ही सीएमओ दफ्तर के बाहर और भीतर हैंडीकैप्ड कैंडिडेट्स की जबरदस्त भीड़ थी। किसी के चेहरे में मास्क लटका हुआ नजर आया तो कुछ ने मास्क ही नहीं लगाया था। किसी तरह से सíटफिकेट बन जाए इसके लिए मेडिकल स्टाफ से कुछ कैंडिडेट्स के सेटिंग के नजारे भी देखे गए। कोई सुविधा शुल्क लेकर जल्द से जल्द सíटफिकेट बनवाने की गुहार लगा रहा था, तो कोई सिफारिश भरे फोन से मेडिकल स्टाफ से बात कराते हुए नजर आ रहा था। जब रिपोर्टर ओल्ड ओपीडी के पास पहुंचा तो पर्ची काउंटर पर पुलिस वालों के साथ ही मरीज व उनके तीमारदारों की लाइन लगी हुई नजर आई। हड्डी और चर्म रोग विभाग समेत अन्य रूम में मरीजों की जबरदस्त लाइन लगी हुई थी। जब मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से मिलने उनके दफ्तर पहुंची तो सीट पर कोई नहीं दिखा। टीम जब न्यू ओपीडी बिल्डिंग में पहुंची तो वहां का नजारा बिल्कुल ही बदला-बदला सा था। फ‌र्स्ट फ्लोर पर चढ़ते ही मरीजों की लाइनें लगी थी। वहीं सिक्योरिटी में लगाए गए होमगार्ड टेबल पर पैर रखकर आपस में बात करते हुए नजर आए। जबकि कई डॉक्टर व नर्स मोबाइल में व्यस्त रहे।