- खनन बंद होने से आसमान छूने लगे थे बालू-मोरंग के दाम

- 40-50 रुपए फुट से बढ़कर 150-160 रुपए तक पहुंच गया था रेट

GORAKHPUR: आसमान छू रहे बालू व मोरंग के दाम नीचे आते ही लंबे से रूके निर्माण कार्य फिर तेजी से शुरू हो गए हैं। इससे आम पब्लिक को तो राहत मिली ही है, साथ ही ठेकेदारों व खनन कारोबारियों की कमाई भी पटरी पर लौटने लगी है। उम्मीद है कि जल्द ही बालू व मोरंग के दाम और भी कम हो जाएंगे। बता दें, खनन व ओवरलोडिंग पर अंकुश लगने के साथ ही बालू व मोरंग के दाम आसामन छूने लगे थे। 40 से 50 रुपए फुट का बालू 150 रुपए फुट तक पहुंच गया था। लेकिन शासन की ओर से रोक हटने के बाद करीब एक साल से बढ़े बालू मोरंग के दाम एक बार फिर नीचे आने लगे हैं।

एक साल से रुके थे कार्य

सूबे में योगी सरकार के सत्तारूण होते ही मई 2017 से खनन व गाडि़यों की ओवरलोडिंग पर पूरी तरह लगाम कस दी गई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि 45-50 रुपए फुट बिकने वाले मोरंग व बालू बढ़कर 140 से 150 रुपए तक पहुंच गए। लेकिन बालू-मोरंग के दाम बढ़ने से जहां विकास कार्य पूरी तरह प्रभावित हो गया, वहीं बिल्डर्स से लेकर ठेकेदारों व आम पब्लिक की जेब पर इसका सीधा असर पड़ने लगा। हालत इतनी बिगड़ गई कि निर्माणाधीन भवनों को जस के तस छोड़ दिया गया। ठेकेदारों ने हाथ खड़े कर दिए जिससे लेबर-मिस्त्री बेरोजगार हो गए। वहीं, जो लोग अपने घरों में निर्माण करा रहे थे, उन्हें भी कार्य रोकना पड़ा।

अभी और नीचे आएगा रेट

शासन की ओर से खनन पर लगी रोक हटने के बाद बालू व मोरंग के रेट में काफी हद तक राहत मिलने लगी है। मौजूदा समय में 75-85 रुपए फुट तक बालू मिल जा रहा है। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसके दाम में और भी कमी आने की संभावना है। ऐसे में बालू का दाम गिरते ही रुके काम फिर से शुरू हो गए हैं। शहर से लेकर देहात तक तेजी से निर्माण कार्य हो रहे हैं। वहीं विकास कार्यो में भी अब तेजी आने की उम्मीद है। खनन विभाग के मुताबिक उम्मीद है कि मई तक बालू के दाम 45 से 50 रुपए फुट तक हो जाएंगे।

कोट

बालू के रेट बढ़ने से सबकुछ प्रभावित हो गया था। विकास कार्यो से लेकर ट्रांसपोर्टर व पब्लिक सब पर इसका असर पड़ रहा था। लेकिन अब रेट कम हो रहे हैं। इससे निर्माण कार्यो में भी तेजी आ गई है। उम्मीद है कि जल्द ही बालू-मोरंग के दाम और भी गिरेंगे।

- आरपी सिंह, मंत्री, यूपी ट्रक संचालक एसोसिएशन

इससे सिर्फ आम पब्लिक पर ही असर नहीं पड़ रहा था, बल्कि विकास कार्यो पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा था। बिल्डर, ट्रांसपोर्टर, लेबर-मजदूर तक बेरोजगार हो गए थे। पहले की अपेक्षा तो रेट काफी कम हुए हैं, लेकिन अगर थोड़े और कम हो जाएं तो काफी राहत मिलेगी।

- दिलीप पाल, ट्रांसपोर्टर