-अक्टूबर और नवंबर डेंगू का पीक सीजन, सबसे ज्यादा प्रेग्नेंट फीमेल्स और बच्चों को खतरा

-अब तक डेंगू का भी कोई टीका नहीं है मौजूद, सिर्फ प्रिकॉशन ही डेंगू से बचाव का तरीका

GORAKHPUR: डेंगू की दस्तक के लिए मौसम फेवरेबल है। पिछले दिनों हुई बारिश ने भी आग में घी डालने का काम कर दिया है। ऐसे में अब आने वाले कुछ माह लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। डेंगू की दस्तक को लेकर जहां स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है, तो वहीं प्रशासन भी इसके लिए कमर कस चुका है। घर-घर पहुंचकर लोगों को अवेयर करने के साथ वाली आशा-एएनएम को भी सर्वे के साथ बुखार के मरीजों की जानकारी हासिल करने में लग गए हैं। कोरोना वायरस की तरह ही डेंगू की भी कोई स्पेसिफिक मेडिसिन और टीका न होने से जिम्मेदार अवेयरनेस पर ही जोर दे रहे हैं, जिससे कि घरों में डेंगू के लार्वा पनप न पाएं और लोग डेंगू का शिकार होने से बच सकें।

फेवरेबल है यह मौसम

डेंगू के लारवा की बात करें तो यह 8 डिग्री सेल्सियस से कम टेंप्रेचर में जिंदा नहीं रह पाते हैं। वहीं अगर टेंप्रेचर 35 डिग्री सेल्सियस के ऊपर है, तो भी इसके लारवा पनप नहीं पाते। लेकिन अगर टेंप्रेचर इनके बीच में हैं, तो यह लारवा पनपने के लिए बेहतर माहौल देता है। इतना ही नहीं, ह्यूमिडिटी भी इसमें अहम रोल अदा करती है। अगर ह्यूमिडिटी 70 परसेंट के आसपास है, तो यह डेंगू के लिए सबसे फेवरेबल है। वहीं 25 से 30 डिग्री सेल्सियस में यह लारवा आसानी के साथ और तेजी से बढ़ते हैं। यही वजह है कि यह मच्छरों के लिए सबसे फेवरेबल मौसम है, जिसमें यह आसानी से पनप सकते हैं।

तुर्कमानपुर में मिले थे सबसे ज्यादा केस

डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। एक चम्मच साफ पानी में भी डेंगू के लार्वा पनप सकते हैं। ऐसे में किसी भी हालत में पानी को न लगने दें, यह कोशिश की जानी चाहिए। पिछली बार सरकारी आंकड़ों में तो डेंगू के मरीजों की 200 के आसपास पहुंच गई थी, लेकिन प्राइवेट पैथालॉजी में होने वाली जांचों और कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव मिलने वालों की संख्या कई गुना ज्यादा थी। इस बार भी लोग बुखार में अब तक सिर्फ कोरोना के डर से ही टेस्ट कराने से बच रहे हैं। सिर्फ एमएसआई इंटर कॉलेज के हॉस्टल और तुर्कमानपुर मोहल्ले में ही चार दर्जन से ज्यादा लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई थी।

इसलिए तेजी से फैलता है डेंगू

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो डेंगू के मच्छर दिन में जागते हुए व्यक्ति काटते हैं, ऐसे में व्यक्ति उन्हें काटते ही भगा देता है। इसकी वजह से वह अपना पेट भरने के लिए दूसरे व्यक्ति को तलाश करते हैं। जबतक उनका पेट भरता है, तब तक चार-पांच लोगों के शरीर में इसका लार्वा ट्रांसफर हो जाता है। वहीं दूसरे मच्छर रात में काटते हैं और वह एक व्यक्ति से ही अपनी भूख मिटा लेते हैं, ऐसे में इन बीमारियों के फैलने में वक्त लगता है।

यहां मिलती हैं ब्रीदिंग साइट्स -

कूलर

फ्रीज

गमले

प्लास्टिक के कंटेनर

टायर

घर के बाहर कोई पक्का छोटा गड्ढा

डेंगू को जानिए

-प्लेटलेट का कम होना हमेशा डेंगू नहीं होता है।

-समय से अस्पताल आने पर डेंगू का सस्ता इलाज संभव है।

-समय से चिकित्सालय पहुंचने पर डेंगू जानलेवा रूप नहीं धारण करता।

-चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण एक तरह के होते हैं। जांच के बाद ही पता चल सकता है कि मरीज को डेंगू या चिकनगुनिया।

-चिकनगुनिया की खतरनाक अवस्था में शरीर झुक जाता है और वह कभी ठीक नहीं होता।

-डेंगू और चिकगुनिया एक ही प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है और दोनों बीमारियों के मच्छर दिन में काटते हैं।

-मच्छरों से बचाव कर हम चिकनगुनिया और डेंगू को रोक सकते हैं।

दें ध्यान

- साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर

- डेंगू बुखार एडिज एजिप्टाइज मच्छर के काटने से होता है।

- साफ पानी में ही अंडे देता है यह मच्छर

- घर या आफिस में लगे कूलर, गमले, ओवर हेड टैंक, टायर या फिर हौदियों में रुके पानी में इसके अंडें मिलते हैं।

- दिन में ही काटता है डेंगू का यह मच्छर।

ऐसे करें बचाव

-डेंगू मच्छर दिन में काटता है।

-घर के सदस्यों को दिन में पूरी बांह की कमीज, फुल पैंट और पैरों में मोजा पहनना चाहिए।

-घरों में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

-बुखार होने पर दवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।

- सिर्फ पैरासिटामॉल की गोली दें और बॉडी को पानी से भीगी पट्टियों से पोछें।

- बुखार तेज होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

यह न करें

-घरों के आसपास पानी न रूकने दें।

-डेंगू बुखार से पीडि़त मरीज को बगैर मच्छरदानी के न रहने दें।

-मरीज को एस्प्रीन, ब्रुफेन और कार्टिसोन दवा कतई न दें।

वर्जन

डेंगू के लारवा 8 डिग्री सेल्सियस से कम और 35 डिग्री सेल्सियस के ऊपर टेंप्रेचर में पनप नहीं सकते हैं। इसके बीच का टेंप्रेचर इनके लिए फेवरेबल होता है। यह जो मौसम चल रहा है वह इनके लिए सबसे फेवरेबल है।

- डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फिजिशियन