- आरटीओ का कमाल, एक दिन में 210 बसों की कर ली जांच
- 37 बसों का चालान, अनफिट होने पर 10 बसें की गई सीज
GORAKHPUR: स्कूलों में खटारा बसों के चलने पर भी कभी कार्रवाई नहीं करने वाले आरटीओ ने एटा स्कूल बस हादसे के बाद कार्रवाई में इतनी तेजी दिखाई कि एक ही दिन में 210 बसों की फिटनेस जांच ली। यदि पूरे दिन 8 घंटे तक जांच हुई तो भी इस हिसाब से एक बस की जांच में सिर्फ ढाई मिनट का समय दिया गया। इतनी ही देर में बसों को फिट या अनफिट करार दे दिया गया। पहले बसों के कागजात की जांच की गई फिर अफसरों ने उनका फिजिकल वेरीफिकेशन किया। इस दौरान 37 बसों का चालान किया गया। 10 बसों को अनफिट पाते हुए आरटीओ ने सीज कर दिया।
कमरे में बैठकर जांच
शनिवार की सिविल लाइंस स्थित आरटीओ कैंपस में सुबह से बसों, मैक्सी कैब, वैन की लाइन लग गई। बसों की फिटनेस जांचने में अधिकारियों-कर्मचारियोंकी टीम जुट गई। बसों के कैम्पस में पहुंच जाने के बाद भी कर्मचारी आरटीओ के कमरे में बैठकर ही उनकी कागजात जांच कर रहे थे। बस का रजिस्ट्रेशन पेपर, इंश्योरेंस, फिटनेस, परमिट, वैधता की दस्तावेजी जांच के बाद एक-एक कर उनका भौतिक सत्यापन किया गया।
कैंपस में लगवाते रहे रिफ्लेक्टर
आरटीओ में जांच कराने के लिए लाई गई बसों में रिफ्लेक्टर नहीं लगे थे। रिफ्लेक्टर की कमी पर जुर्माना कटने की जानकारी होने पर ड्राइवर मौके पर ही गाडि़यों में रिफ्लेक्टर लगवाने में लग गए। जांच के दौरान सामने आया कि बसों को चलाने वाले ड्राइवर सीट बेल्ट नहीं बांधते हैं। बेल्ट पर धूल की परत देखकर भी आरटीओ कर्मचारी भी आगे बढ़ जा रहे थे। बसों में रखे फर्स्टएड बाक्स से जरूरी दवाएं गायब थीं। डिब्बों में मरहम-पट्टी न देखकर भी कर्मचारी उसे टप से बंद कर दे रहे थे।
दिल्ली नंबर वाली गाड़ी भी पहुंची
सहजनवां से एक बस जांच के लिए पहुंची थी। दिल्ली के रजिस्ट्रेशन नंबर पर चल रही बस ने आरटीओ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। बस की हालत देखकर आरटीओ के अफसर अपनी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधक पर थोपने लगे। मानक का विपरीत स्कूल में बस चलने की इजाजत किसने दी। इस सवाल का जवाब कोई अधिकारी नहीं दे पा रहा था।
इन बातों की हो रही थी जांच
- ड्राइविंग लाइसेंस
- वाहनों का परमिट
- फिटनेस सर्टिफिकेट
- प्रदूषण जांच का प्रमाण पत्र
- वाहन का बीमा, रजिस्ट्रेशन पेपर
इन बिंदुओं पर भी देना था ध्यान
- वाहन में इंडिकेटर, रिफ्लेक्टर लगा होना चाहिए।
- बस के पीछे स्कूल, प्रिंसिपल-प्रबंधक, ड्राइवर का नाम, मोबाइल नंबर
- इमरजेंसी काल के लिए पुलिस का नंबर
- बस में मौजूद फर्स्ट एड बॉक्स, दवाओं की एक्सपायरी डेट
- बस की खिड़की का शीशा, सीट बेल्ट
- फर्स्ट एड बॉक्स, सीटों की दशा, इमरजेंसी निकास
- ड्राइवर के जूता पहनने, उसकी ड्रेस किस तरह की है।