- पहले के 70 प्रतिशत से ज्यादा आवेदनों में जाली मिल रहे सिग्नेचर और मुहर

- शस्त्र अनुभाग में आए पिस्टल-रिवॉल्वर के ऐसे रिन्युअल केसेज की शुरू हुई जांच

GORAKHPUR: अगर आपके पिस्टल-रिवॉल्वर के रिन्युअल का टाइम आ गया है और आपने पूर्व में तैनात असलहा बाबू की तैनाती में ही रिन्युअल चालान जमा कर दिया था तो भी आपका चालान फर्जी हो सकता है। क्योंकि पूर्व असलहा बाबू ने पैसे लेकर जितने भी चालान जमा कराने का ठेका लिया था, उनमें 70 प्रतिशत मामलों में सिग्नेचर के साथ ही मुहर जाली मिली है। इससे ना सिर्फ आवेदक जांच के दायरे में उलझ रहे हैं बल्कि प्रशासन को लाखों रुपए का चूना भी लग चुका है। अब डीएम के निर्देश पर सभी चालान की जांच शुरू हो चुकी है। जो इसकी जद में फंस गया, उसका लाइसेंस भी कैंसिल किए जाने की बात कही जा रही है।

बिजनेसमैन के रिन्युअल से खुला मामला बता दें, इन दिनों नए शस्त्र लाइसेंस के आवेदन नहीं हो रहे हैं, लेकिन पुराने शस्त्र रिन्युअल में नए मामले सामने आ रहे हैं। शस्त्र अनुभाग के कंप्यूटर सेक्शन में आ रही चालान रसीद में लाइसेंस होल्डर्स के चालान जाली मिल रहे हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब विजय चौक स्थित एक प्रतिष्ठित स्वीट हाउस ओनर के लाइसेंस का रिन्युअल कराने उनके परिजन कंप्यूटर सेक्शन में पहुंचे। यही नहीं अधिकारी व माननीय भी इस जांच की जद में आ गए हैं। रिन्युअल के लिए जो चालान रसीद जमा की जा रही थीं, वह पूरी तरह से जाली पाई गईं। कंप्यूटर ऑपरेटर सचितानंद ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि 70 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिनमें एक साल पहले के चालान जमा किए गए हैं। इनमें जाली मुहर और सिग्नेचर पाए गए हैं। इन सभी के लाइसेंस की जांच चल रही है।

मुहर और सिग्नेचर हो रहे मिसमैच

कंप्यूटर ऑपरेटर के पास आने वाले रिन्युअल के मामलों में वह सबसे पहले चालान रसीद की बारीकी से जांच पड़ताल कर रहे हैं। वे सबसे पहले एसबीआई मेन ब्रांच की मुहर और वहां तैनात महिला कर्मचारी के सिग्नेचर का मिलान कर रहे हैं। जो पहले के चालान हैं उनमें 70 प्रतिशत केसेज में मुहर और सिग्नेचर मिसमैच हैं। जबकि वर्तमान में जो एसबीआई मेन ब्रांच से चालान जमा कर मुहर और सिग्नेचर लेकर आ रहा है उसे ही सही माना जा रहा है। ऐसे में जिन लोगों ने अपने चालान जमा कराने के लिए कचहरी के ठेकेदारों को पकड़ रखा था, उनके अपने पिस्टल या रिवॉल्वर को गंवाने की बारी भी आ गई है।

14 अगस्त को सामने आया था फर्जीवाड़ा

शस्त्र लाइसेंस के फर्जीवाड़े का खुलासा 14 अगस्त को हुआ था। मजिस्ट्रेटी और पुलिस की जांच में सामने आया था कि असलहा अनुभाग में कार्यरत कुछ बाबुओं और कंप्यूटर सहायक ने रवि गन हाउस के संचालक संग मिलकर फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी करने का खेल रचा था। गड़बड़ी की पुष्टि होने पर असलहा बाबू अशोक गुप्ता और राम सिंह, राप्तीनगर के विकास तिवारी, शिवम मिश्रा, तनवीर खां, गोपी समेत एक दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

फैक्ट फिगर

जिले भर में कुल शस्त्र लाइसेंस - 22000

दो नाली बंदूक का रिन्युअल चार्ज - 1500 रुपए रिन्युअल व 500 रुपए स्टांप चार्ज

रिवॉल्वर-पिस्टल का रिन्युअल चार्ज - 1500 रुपए रिन्युअल व 1000 रुपए स्टांप चार्ज।

राइफल का रिन्युअल चार्ज - 1500 रिन्युअल व 750 रुपए स्टांप चार्ज।

फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कब क्या हुआ

14 अगस्त - आयुध लिपिक राम सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया।

15 अगस्त - पुलिस ने गोरखनाथ के नामजद आरोपी तनवीर को जेल भेजा।

23 अगस्त - प्रॉपर्टी डीलर विजय प्रताप गिरफ्तार हुआ।

26 अगस्त - गोपी उर्फ शमशेर और विकास तिवारी पकड़े गए।

28 अगस्त - ढाबा संचालक प्रणय प्रताप और प्रॉपर्टी डीलर शमशाद जेल गए।

29 अगस्त - रवि आ‌र्म्स कॉरपोरेशन का संचालक रवि पांडेय पुलिस के हत्थे चढ़ा।

5 सितंबर - असलहा बाबू राम सिंह, अशोक गुप्ता और संविदा कर्मचारी अजय गिरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

12 सितंबर - रवि पांडेय व विजय प्रताप को कैंट पुलिस ने रिमांड पर लिया।

21 सितंबर - पूर्व असलहा बाबू विजय प्रकाश श्रीवास्तव व सपा नेता मो। आजम को गिरफ्तार किया गया।

वर्जन

शस्त्र के रिन्युअल में चालान जमा कराने की जो प्रक्रिया है उसका ही पालन करना है। जिसके रिन्युअल में जमा कराए जाने वाले चालान में फर्जी मुहर या सिग्नेचर का मामला आ रहा है, उसकी जांच की जा रही है।

आरके श्रीवास्तव, एडीएम सिटी