गोरखपुर (ब्यूरो).17 अक्टूबर 1920 को मौलवी मकसूद अहमद फैजाबादी और गौरीशंकर मिश्रा की अध्यक्षता में सार्वजनिक सभा हुई। इसमें महात्मा गांधी को गोरखपुर बुलाने का फैसला किया गया। टेलीग्राम के जरिए उन्हें यहां आने के लिए बुलावा भेजा गया। इस बीच बाबा राघवदास की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में गया और महात्मा गांधी से गोरखपुर आने का अनुरोध किया। उन्होंने जनवरी के आखिर या फरवरी के शुरू में गोरखपुर आने का आमंत्रण कबूल कर लिया। जिला कांग्रेस कमेटी प्रोग्राम को सफल बनाने और प्रचार-प्रसार में जुट गई। महात्मा गांधी और मौलाना शौकत अली साथ-साथ 8 फरवरी 1921 को बिहार के रास्ते ट्रेन से यहां आए। बाले मियां के मैदान में भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा। खुलकर जनता ने देशहित में दान दिया।

रेलवे स्टेशन पर भीड़ झलक पाने को बेताब

8 फरवरी सन् 1921 गोरखपुर के रेलवे स्टेशन पर सुबह सवेरे ही महात्मा गांधी और शौकत अली जब पहुंचे तो हजारों की भीड़ उनकी एक झलक पाने को बेचैन थी। ट्रेन के पहुंचते ही जोश और बढ़ गया। घुटनों तक धोती पहने महात्मा गांधी ने समर्थकों के साथ स्टेशन से बाहर निकले और ऊंचे स्थान पर खड़े होकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया। उसी दिन उन्होंने बाले मियां के मैदान से जनता को संबोधित किया। वह दौर खिलाफत आंदोलन का था, इसलिए उन्होंने सभा में हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया। उस दौर में महात्मा गांधी देश के लोगों में आजादी की लड़ाई का जोश भरने के लिए दिन रात एक कर मेहनत कर रहे थे।

ढाई लाख लोगों की जुटी भीड़

कांग्रेस की स्थापना के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, इसमें गोरखपुर की जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 8 फरवरी 1921 को जनपद के बाले मियां के मैदान में महात्मा गांधी का भाषण हुआ तो गोरखपुर के साथ आसपास ही नहीं बल्कि दूर-दराज के लोगों ने उत्साह के साथ इसमें हिस्सा लिया। उस समय के दस्तावेजों के मुताबिक सभा में करीब दो-ढाई लाख की भीड़ थी। उस दौरान गोरखपुर की आबादी सिर्फ 58 हजार हुआ करती थी। ट्रांसपोर्ट के बेहद लिमिटेड सोर्स के मद्देनजर खुद में यह इतिहास था। ऐसे में उनकी यात्रा ने यहां के लोगों में नया जोश भर दिया। गोरखपुर में आकर जनसभा करने के बाद वह रात में ही बनारस के लिए रवाना हो गए। मुंशी प्रेमचंद भी इस दौरान गोरखपुर में ही थे, जिन्होंने बाले के मैदान में महात्मा गांधी को सुना और वह उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने सरकारी नौकरी तक छोड़ दी।

बहरामपुर जाते हुए गांधी होटल पर स्वागत

मोहनदास करमचंद गांधी के नाम पर गोरखपुर में एक होटल भी मौजूद है। वीर अब्दुल हमीद रोड बक्शीपुर एक मीनारा मस्जिद स्थित गांधी मुस्लिम होटल का नाम गांधी होटल था। होटल के मालिक अहमद रजा खान ने बताया कि दादा गुलाम कादिर बताते थे कि यह होटल जंगे आजादी की याद समेटे हुए है। 8 फरवरी 1921 को महात्मा गांधी गोरखपुर पहुंचे। बाले मियां के मैदान बहरामपुर में जनता को संबोधित किया। जब महात्मा गांधी बाले मैदान जा रहे थे कुछ देर के लिए कांग्रेसियों ने यहां उनका स्वागत किया तब से यह टी स्टॉल गांधी जी के नाम से मशहूर हो गया।