- अपनी क्वालिटी के लिए पूरी दुनिया में फेमस है गवरजीत

- मिठास में सबको पीछे छोड़ देता है गवरजीत आम

GORAKHPUR : फलों का राजा आम हर किसी की पहली पसंद होता है। हमारे देश में आम की वैरायटी देखने को मिलती है। कहीं दशहरी की सोंधी खुशबू मन ललचाती है तो कहीं चौंसा और लंगड़ा जैसे आम जायका दोगुना करते नजर आते हैं। इन सबके बीच गोरखपुर के गवरजीत ने शहर का गौरव बढ़ाया है। अपने अनूठे टेस्ट और क्वालिटी की बदौलत पूरी दुनिया में अलग पहचान बनाने वाला गवरजीत पूर्वाचल के कुछ ही एरियाज में मिलता है।

बगीचे में ही हो जाता है गवरजीत का सौदा

आम की कई किस्में दुनिया भर में मशहूर हैं। लखनऊ का दशहरी, नासिक के मुम्बइया, चौसा, तोतापरी जैसे खूब बिकते हैं, लेकिन गवरजीत अपने स्वाद के जरिए सबको फीका कर देता है। हालांकि गवरजीत का उत्पादन आम की बाकी किस्मों के बराबर नहीं होता है। गोरखपुर के कैम्पियरगंज, सिद्धार्थनगर के नौगड़ और बिहार बेल्ट में ही गवरजीत का उत्पादन होता है। खास बात यह है कि गवरजीत की बोली बगीचे में ही लग जाती है और फुटकर ग्राहक से लेकर बेचने वाले पेड़ पर ही आम खरीद लेते हैं।

पत्तों के साथ बिकता है गवरजीत

गवरजीत खास इसलिए हैं क्योंकि इसे कार्बाइड से नहीं पकाया जाता, बल्कि वह खुद पक कर जमीन पर गिरता है। ठेले पर आम पत्तों के साथ नजर आता है जिससे उसकी अलग पहचान हो जाती है। अपने स्वाद और क्वालिटी के चलते गवरजीत आम की दूसरी किस्मों से महंगा भी होता है। अभी मार्केट में गवरजीत म्0 से 70 रुपए प्रति किलो बिक रहा जबकि दशहरी फ्0 से फ्भ् रुपए प्रति किलो में है।

कैसे हुआ गवरजीत का नामकरण

इस आम का नाम गवरजीत क्यों पड़ा, इसके पीछे दर्जनों कहानियां हैं। कहते हैं कि एक बार विदेश में आम का कॉम्प्टीशन हुआ, जिसमें गोरखपुर से गवरजीत (पहले नाम नहीं दिया गया था) भेजा गया। कोई नाम न होने के चलते अंग्रेजों ने इसे गंवार आम कह कर पुकारा। इस कॉम्प्टीशन में गवरजीत ने जीत हासिल की और इस तरह उसे नाम मिला गवरजीत।