- लोहिया एन्क्लेव के आवंटियों को जल्द मिल जाएगा फ्लैट, एनजीटी से मिली राहत

- एनजीटी ने वेटलैंड के दायरे को 50 मीटर तक सीमित किया

GORAKHPUR: लंबे समय से फ्लैट पर कब्जे को लेकर संघर्ष कर रहे लोहिया एनक्लेव के आवंटियों को एनजीटी के निर्णय से बड़ी राहत मिली है। जीडीए बोर्ड बैठक में बीते दिनों आवंटियों को सशर्त कब्जा देने की बात कही थी, अब एनजीटी के निर्णय के बाद शर्त हटा दी गई है। एनक्लेव के450 आवंटियों को जल्द फ्लैट का कब्जा मिलेगा। जीडीए ने इंजीनियर्स और ठेकेदारों को अधूरे काम को पूरा करने का निर्देश दिया है।

सीएम से मिले थे आवंटी

बता दें, रामगढ़ताल झील वेट लैंड के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बीते 12 जनवरी को हुई सुनवाई में प्राधिकरण के एक्शन टेकेन रिपोर्ट पर सहमति जताई है। वहीं वेटलैंड के नोटिफिकेशन से भी प्राधिकरण को राहत मिली है। अब लोहिया एनक्लेव के आवंटियों को फ्लैट रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। साथ ही लोहिया एनक्लेव के रंग रोगन और बाकी बचे निर्माण कार्य भी 10 से 15 दिन में पूरा कराकर आवंटियों को कब्जा देने की कार्रवाई भी पूरी की जाएगी। प्रकरण को लेकर बीते दिनों आवंटियों ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। जिसमें मुख्यमंत्री की तरफ से प्राधिकरण के अफसरों को निर्देश दिए गए थे। लोहिया एनक्लेव के 492 फ्लैट में से 435 का आवंटन हो चुका है। 2015 में परियोजना के तहत आवंटन शुरू हुआ था। आवंटियों को 2017 में ही आवास पर कब्जा मिल जाना चाहिए था, पहले घटिया निर्माण को लेकर उठे विवाद और बाद में एनजीटी के पेंच की वजह से आवंटन नहीं हो सका।

वेटलैंड के नोटिफिकेशन से मिली राहत

एनजीटी की तरफ से गठित हाई पावर कमेटी ने 2019 के अंतिम में रामगढ़ताल के 500 मीटर के दायरे को वेट लैंड बताते हुए वहां नए निर्माण पर रोक और जो निर्माण हो चुके हैं, उन सभी को ध्वस्त कराने की एनजीटी से संस्तुति कर दी। लोहिया एनक्लेव भी इसी दायरे में आने की वजह से आवंटियों को कब्जा नहीं मिल पा रहा था। मगर पिछले महीने ही शासन ने रामगढ़झील वेटलैंड का नोटिफिकिेशन कर दिया, जिसमें 28 में से 22 जगहों पर सिर्फ ताल से 50 मीटर का दायरा ही वेटलैंड घोषित किया गया है। लोहिया एनक्लेव का कोई भी हिस्सा वेटलैंड में शामिल नहीं है।

12 जनवरी को एनजीटी में हुई सुनवाई में प्राधिकरण के एक्शन टेकेन रिपोर्ट पर सहमति जताई गई है। वेटलैंड के नोटिफिकेशन से भी स्पष्ट है कि किस अराजी संख्या में निर्माण को लेकर बंदिश है। जीडीए के पुराने निर्माण से लेकर नई योजनाओं पर किसी प्रकार का संकट नहीं है।

रामसिंह गौतम, सेक्रेटरी, जीडीए