गोरखपुर (ब्यूरो)। दोगुनी से भी अधिक ऊंचाई वाला खास कारखाने का यह प्रिलिंग टॉपिंग वल्र्ड में किसी भी खाद कारखाने का सबसे ऊंचा प्रिलिंग टॉवर है। ऐसी ही खासियत यहां बने प्रिलिंग टॉवर की है। इसकी ऊंचाई 149.2 मीटर है जो पूरे विश्व में अबतक की सर्वाधिक ऊंचाई वाला प्रिलिंग टॉवर है। तुलनात्मक विश्लेषण करें तो यह कुतुब मीनार से भी दोगुना ऊंचा है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है।

22 जुलाई को हुआ था शिलान्यास

केमिकल एक्सपट्र्स की मानें तो प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई उर्वरक की गुणवत्ता का पैमाना होती है। ऊंचाई जितनी ज्यादा होगी, फर्टिलाइजर की क्वालिटी उतनी अच्छी होगी। ईस्टर्न यूपी की जनता की तरफ से खाद कारखाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संघर्ष से सभी वाकिफ हैं। 22 जुलाई 2016 को गोरखपुर में एचयूआरएल के खाद कारखाने का शिलान्यास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संघर्ष का बेहतर रिजल्ट दिया। करीब 600 एकड़ में 8603 करोड़ रुपए की लागत से अब यह खाद कारखाना तमाम खूबियों के साथ बनकर तैयार है।

बेस्ट क्वालिटी यूरिया का उत्पाद

सबसे ऊंचे प्रिलिंग टॉवर से बेस्ट क्वालिटी की यूरिया का उत्पादन गोरखपुर के खाद कारखाना में होगा। इसके लिए एचयूआरएल की तरफ से कार्यदायी कंपनी टोयो इंजीनियरिंग जापान/इंडिया ने प्रीलिंग टावर की ऊंचाई सर्वाधिक रखी। प्रीलिंग टावर की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे व गुणवत्तायुक्त बनते हैं। प्राकृतिक गैस आधारित यहां के प्लांट में प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। इस उत्पादन से देश की खाद मामले में आयात पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी।

1990 में बंद हो गया था पुराना खाद कारखाना

गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने तत्समय सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी।

8603 करोड़ की लागत से बना कारखाना

गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है, जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं। इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8603 करोड़ रुपये की लागत आई है। कारखाना परिसर में दक्षिण कोरिया की विशेष तकनीक से 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है।

प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी। नीम कोटेड यूरिया से खेतों की उर्वरा शक्ति और बढ़ेगी। एक खास बात यह भी है कि इस खाद कारखाना में 30 फीसद से ज्यादा पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी दी गई है। इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

गोरखपुर खाद कारखाना : एक नजर में

शिलान्यास - 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों

संचालनकर्ता - हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड

कार्यदायी संस्था - टोयो जापान

कुल बजट - करीब 8000 करोड़ रुपये

यूरिया प्रकार - नीम कोटेड

प्रीलिंग टावर - 149.5 मीटर ऊंचा

रबर डैम का बजट- 30 करोड़

रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष - 10 हजार

रोजाना यूरिया उत्पादन - 3850 मीट्रिक टन

रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन -2200 मीट्रिक टन