- बिजनेस के साथ फैमिली का इंपॉर्टेस भी बता गया लॉकडाउन

- दो महीने तक परिवार को दिए भरपूर समय को मिस कर रहे सिटी के बिजनेसमैन

- अब समय से खोलना और समय से बंद करना चाहते हैं प्रतिष्ठान

<- बिजनेस के साथ फैमिली का इंपॉर्टेस भी बता गया लॉकडाउन

- दो महीने तक परिवार को दिए भरपूर समय को मिस कर रहे सिटी के बिजनेसमैन

- अब समय से खोलना और समय से बंद करना चाहते हैं प्रतिष्ठान

GORAKHPUR: GORAKHPUR: लॉकडाउन ने जहां लोगों के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दीं, वहीं इसने लोगों को काफी कुछ सीख भी दी। बिजनेस की टेंशन में रहकर अपनी फैमिली से दूर रहने वालों को यह लॉकडाउन काफी कुछ सिखा गया। जहां उन्हें फैमिली की इंपॉर्टेस पता चली, तो वहीं फैमिली के साथ रहकर वह किस कदर मेंटल टेंशन से दूर रह सकते हैं, इसके बारे में भी लोगों को मालूम हुआ। यही नहीं दुकान खुलने की इजाजत मिले अभी महज कुछ दिन ही हुए हैं, लेकिन घर में रहकर टाइमली नाश्ता-खाना और अपनों से बातचीत का भरपूर मौका अब बिजनेसमैन मिस भी करने लगे हैं। उनका कहना है कि बिजनेस लाइफ को चलाने के लिए बिल्कुल जरूरी है, लेकिन फैमिली की अपनी अहमियत है और किसी भी हाल में बिजनेस इससे बढ़कर नहीं हो सकता है। उन्होंने लॉकडाउन की तरह ही फ्यूचर में भी अपनी शॉप्स का शेड्यूल बनाए रखने का फैसला भी किया है, जिससे कि वह अपनी फैमिली को भी भरपूर वक्त दे सकें।

लॉकडाउन ने काफी कुछ सिखाया

लॉकडाउन से पहले हर एक की जिंदगी काफी भागदौड़ भरी रही। किसी के पास इतनी फुर्सत नहीं थी कि वह इस बारे में सोच सकें कि फैमिली को भी कुछ वक्त देना है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब उनके माइंड को फुर्सत मिली और उन्हें फैमिली संग वक्त बिताने का मौका मिला, तो उन्होंने यह रियलाइज किया कि फैमिली की क्या अहमियत है और उन्हें वक्त देना कितना जरूरी है। टाइम पर खाना खा लेना, खाने के बाद आराम कर लेना, फैमिली के साथ बैठकर कुछ गप्पें मार लेना, ऐसा मौका लॉकडाउन से पहले की नॉर्मल लाइफ में नहीं मिल पाता था, लेकिन इन दो महीनों में उन्हें काफी कुछ सीखने और रियलाइज करने का मौका मिल गया, जिसके बाद अब वह लॉकडाउन के बाद की लाइफ में भी इसे बनाए रखना चाहते हैं और इसके लिए वह स्ट्रैटजी बनाने में लगे हुए हैं।

कोट्स

क्0-क्ख् काम करने के बाद फैमिली को टाइम नहीं दे पाते थे। अब लॉकडाउन के बाद समझ में आया है कि परमनेंट लॉकडाउन वाली लाइफ जीनी है, अब अच्छा खासा टाइम फैमिली को देना है। यह समझ में आ गया कि सिर्फ पैसा कमाकर देने से परिवार नहीं चल पाएगा, बल्कि आपकी मौजूदगी भी जरूरी है।

- ज्ञानचंद केशवानी, माखनभोग

फैमिली के साथ वक्त नहीं मिलता था, लॉकडाउन में इसका भरपूर मौका मिला। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए बिजनेस पर ध्यान देना भी जरूरी है। अब लॉकडाउन की तरह तो नहीं, लेकिन पहले से ज्यादा टाइम फैमिली को देंगे।

- अनिल मृगवानी, डायरेक्टर, कंचन क्रिएशन

लॉकडाउन ने निश्चित ही काफी कुछ सिखाया है। फैमिली को आपकी जरूरत है, इसने यह भी अहसास दिला दिया है। अब बिजनेस के साथ ही फैमिली को भी भरपूर वक्त देना है। जिससे कि हर हाल में जिंदगी की गाड़ी बेहतर तरीके से आगे बढ़ सके।

- संजय जायसवाल, डायरेक्टर, परदेशी फैमिली बाजार

प्रिकॉशन लेकर चलना है। कहीं जाना नहीं है। इससे हम फैमिली को भरपूर वक्त दे पाएंगे। लॉकडाउन के बाद अब शॉप की टाइमिंग पर रिस्ट्रिक्शन है और रोजाना दुकानें भी नहीं खुल रही हैं, इसलिए फैमिली को भरपूर वक्त दे पा रहे हैं।

- विनीत अग्रवाल, डायरेक्टर, ठाकुर प्रसाद मुरारी लाल ज्वेलर्स

अब जो टाइमिंग है, उससे हम पहले ही घर पहुंच जा रहे हैं और फैमिली को क्वालिटी टाइम दे पा रहे हैं। ऐसा रूल ही हो जाना चाहिए। वहीं लॉकडाउन से पर्यावरण को भी काफी फायदा मिला है, इसलिए साल में एक बार क्भ् दिन का लॉकडाउन भी होना चाहिए।

- नितिन मातनहेलिया, डायरेक्टर, डीपी मोटर्स

मैंने अपनी लाइफ में इतना समय फैमिली को कभी नहीं दिया, जितना लॉकडाउन के दौरान दिया है। आगे भी कोशिश रहेगी कि उनको शिकायत न हो। अब हमारा सारा फोकस बिजनेस में हुए लॉस को रिकवर करना और नई एनर्जी के साथ फील्ड में आने पर होगा, जिससे कि बच्चों के साथ ही फैमिली के फ्यूचर को भी बेहतर किया जा सके।

- संजय अग्रवाल, डायरेक्टर, पीसी ज्वेलर्स