- लक्षण आने या कोरोना पॉजीटिव के निकट संपर्क में आने के बाद जांच करवाने की अपील

- घर-घर जाकर मरीजों की सेवा में जुटी आरबीएसके टीम, आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम के प्रति बदलें नजरिया

GORAKHPUR: कोरोना का प्रसार तभी रुक पाएगा जब इस बीमारी और इसके मरीजों के प्रति तिरस्कार व इनकार की भावना से समाज खुद को अलग करेगा। इस बीमारी की मृत्यु दर न्यूनतम है, लेकिन इसका प्रसार दर काफी तेज है। ऐसे में इस बीमारी का खात्मा तभी संभव है जबकि लक्षण आने या कोरोना पॉजीटिव के निकट संपर्क में आने वाले लोग खुद जांच के लिए आगे आएं। यह बातें सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने बताई। उन्होंने कहा जांच के बाद मिलने वाला हर एक कोरोना मरीज संक्रमण की चेन तोड़ने में मददगार है। ऐसे लोगों का सम्मान होना चाहिए जो खुद की जांच करवा कर संक्रमण का प्रसार रोकने में मददगार हैं।

भेदभाव की भावना न रखें

उन्होंने कहा कि बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए और मरीजों की मदद के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम, आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता क्षेत्रों में जाकर दिन-रात कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों के प्रति तिरस्कार या भेदभाव की भावना नहीं होनी चाहिए। इनका खुले दिल से स्वागत होना चाहिए। फ्रंट लाइन वर्कर्स बीमारी की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिनको सामाजिक सहयोग मिलना काफी जरूरी है। समाज को अपना नजरिया बदलना होगा।

चरगावां पीएचसी पर 24 घंटे जांच

उन्होंने बताया कि प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को सभी 22 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर, कार्यदिवस में रोजोना सभी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर जबकि चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 24 घंटे कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा पांच मेडिकल मोबाइल यूनिट टीम और एक रिजर्व टीम भी लोगों को कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध करवा रही है। जांच में जिन लोगों का एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आती है, उनकी आरटीपीसीआर जांच भी करवाई जाती है। एंटीजन पॉजीटिव आने के बाद आरटीपीसीआर जांच नहीं करवाई जाती है।

मेडिकल टीम का बढ़ाएं मनोबल

सीएमओ ने बताया कि कुछ जगहों से सूचनाएं मिल रही हैं कि मेडिकल टीम पहुंचने पर कोरोना पॉजीटिव मरीज व उनके परिवारीजन नाराज हो जाते हैं। ऐसा शायद इसलिए भी है कि समाज इस बीमारी के प्रति अपने नजरिए में बदलाव नहीं ला रहा है और मरीज के परिवार के प्रति तिरस्कार की भावना अपनाई जा रही है। इसलिए लोग बीमार होने के बावजूद इस बीमारी को छिपाने का प्रयास करते हैं और कोशिश करते हैं कि किसी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के कारण कोरोना मरीज के तौर पर उनकी व उनके परिवार की पहचान पास-पड़ोस में उजागर न हो। उन्होंने ऐसे सभी लोगों से कहा है है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता मरीजों और उनके परिजनों की मदद के लिए जा रहे हैं। यह कार्यकर्ता होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के लिए खास तौर पर मददगार हैं। लोगों को इनका मनोबल बढ़ाना चाहिए न कि इन्हें हतोत्साहित करना चाहिए।

5000 जांच प्रतिदिन करने की कोशिश

मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में अधिकाधिक जांच काफी मददगार साबित होगी। जिले में प्रयास है कि प्रतिदिन कम से कम 5000 लोगों की कोरोना जांच करवाई जाए। शीघ्र ही इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा। प्रत्येक अधीक्षक और प्रभारी चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, ज्यादा से ज्यादा सैंपलिंग और होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की निगरानी पर जोर दें।

1.44 फीसदी मृत्यु दर है

सीएमओ ने बताया कि 25 जुलाई तक की रिपोर्ट के मुताबित जिले में कोरोना की मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है। जांच की मात्रा बढ़ने पर मरीजों की संख्या भी प्रतिदिन बढ़ी है। जैसे-जैसे रोजाना सैंपलिंग की मात्रा बढ़ेगी, मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी, लेकिन संक्रमण चेन भी इसी तरह से टूटेगी। मरीजों की बढ़ती संख्या से घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कोविड-19 के प्रति सतर्कता का व्यवहार सभी को जारी रखना है। उन्होंने बताया कि कुल मरीजों के सापेक्ष 15.42 फीसदी मरीज अस्पतालों से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबकि 48.68 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन की अवधि पूरी कर चुके हैं। 34.43 फीसदी मरीज 25 जुलाई तक जिले में इलाज चल रहा है।