गोरखपुर (सुनील त्रिगुनायत)। शहर में रामगढ़ताल के कारण गोरखपुर अपनी अलग पहचान बना रहा है। 2021 में जीडीए और नगर निगम की ओर से तमाम डेवलपमेंट कार्य कराए गए। इसी का

नतीजा है कि गोरखपुर टूरिज्म हब भी बन गया। हालांकि, कई कार्यों की लेटलतीफी के चलते सिस्टम पर सवाल खड़े हुए। इलेक्ट्रिक बसों को संचालन के लिए सिर्फ तारीखें ही मिलीं।

मानसून पीरियड में गली-मोहल्लों में जलभराव होने से गोरखपुर की जमकर किरकिरी हुई। मानसून के लौटते ही जीडीए-नगर निगम का फ्लड मिटिगेशन प्लान भी ठंडे बस्ते में डाल

दिया गया। गड्ढेदार सड़कों पर अफसर गोल-मोल जवाब देते रहे। जीडीए के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो आधा साल पब्लिक यहां मानचित्र ठीक कराने के लिए चक्कर काटती रही। जीडीए

के नए प्रशासक को मानचित्र की खामियों को सुधारने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

जलनिकासी न होने हुई परेशानी

शहर को जल निकासी से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम की ओर से तमाम पहल की गईं। सड़कों के साथ नालियों का भी निर्माण कराया गया। इसके बावजूद भी बारिश के दिनों

में पब्लिक को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस परेशानी से निपटने के लिए करोड़ों की परियोजनाओं को हरी झंडी मिली गई हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले साल

में इस परेशानी से निजात मिल पाएगी।

अभी तक पब्लिक को नहीं मिली इलेक्ट्रिक बस की सौगात

महेसरा स्थित इलेक्ट्रिक चार्जिंग बस स्टेशन पर 11.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए। सिर्फ चार्जिंग स्टेशन की बिल्डिंग बनकर तैयार कर दी गई। फर्श का कार्य पूरा नहीं होने की वजह

से बस संचालन में समस्या खड़ी हो गई। कार्य को पूरा कराने के लिए अफसरों ने निर्देश दिए। फर्श का भी कार्य लगभग पूरा होने को है। वहीं, 15 इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल भी

करवाया जा चुका है। इसके बावजूद भी बसों का संचालन नहीं किया जा सकता है। गोरखपुराइट्स पिछले ढाई महीने से बसों के संचालन का इंतजार कर रहे हैं।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट न होने से गिरी रैंकिंग

सहजनवां के सुथनी गांव में 28.29 करोड़ की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट का निर्माण कार्य किया जाना है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सीएंडडीएस को सौंपी गई हैं। शासन

की तरफ से बजट भी मिल चुका है। टेंडर के अनुसार इस सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 500 मीट्रिक टन होगी। प्लांट तैयार होने के बाद शहर कूड़ा निस्तारण की

समस्या पूरी तरह से दूर होने का दावा किया जा रहा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की समुचित व्यवस्था नहीं होने से स्वच्छता सर्वेक्षण की देशव्यापी रैंकिंग भी गिर गई।

अब होगा सदन भवन का इनॉगरेशन

नगर निगम के सदन भवन का शिलान्यास 16 नवंबर 2019 को किया गया था। 23.29 करोड़ की लागत से सदन भवन का कार्य पूरा हो चुका है। सदन भवन के बाहर महंत

अवेद्यनाथ की प्रतिमा लगाई जा चुकी है। इसके लिए प्लेटफार्म बन चुका है। वहीं नगर निगम के वर्तमान सदन भवन से नए सदन भवन तक दो लेन की सड़क भी बनाई गई है।

सीएम 29 दिसंबर को सदन भवन का लोकार्पण के साथ कई परियोजनाओं की भी सौगात देंगे।

सीएम योगी देखेंगे मास्टर प्लान 2031 का प्रारूप

मेट्रोपोलिटिन सिटी घोषित होने के बाद गोरखपुर शहर के विस्तारित क्षेत्र के विकास को लेकर धीरे-धीरे कदम बढ़ाए जा रहे हैं। जितने क्षेत्र को मेट्रोपोलिटन सिटी में शामिल किया

गया है। वे गोरखपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी जीडीए का हिस्सा भी बन चुके हैं। जीडीए की महायोजना 2031 में इन क्षेत्रों के विकास को लेकर रूपरेखा बनाई गई है। 29 दिसंबर की शाम

को जीडीए सभागार में सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष इसका प्रस्तुतीकरण करने की तैयारी है।

आशियाने का सपना होगा पूरा

गोरखपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी जीडीए ने ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच किया है। बौद्ध संग्रहालय एवं चिडिय़ाघर की चारदीवारी के बीच करीब सात एकड़ जमीन पर प्रस्तावित ग्रीनवुड

अपार्टमेंट में 440 आवास होंगे। इसमें टू बीएचके से लेकर फोर बीएचके आवास हैं। आवासों का क्षेत्रफल बालकनी सहित करीब 797 वर्ग फीट से लेकर 1695 वर्ग फीट तक होगा।

कीमत 66.20 लाख रुपए से लेकर एक करोड़ 35 लाख 18 हजार रुपए तक के आवास होंगे। आवासों की ऑनलाइन बुकिंग शुरू हो गई है और 31 जनवरी 2022 तक बुकिंग करा

सकेंगे।

गोड़धोइया नाले को पक्का बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू

गोड़धोइया नाला को पक्का बनाने के लिए आसपास की जमीन भी अधिग्रहित करनी होगी और इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिग्रहण पर आने वाले खर्च का एस्टीमेट बनाने

का जिम्मा पाने के बाद तहसील प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू करा दिया है। सर्वे करने वाली कंपनी को डिजिटल राजस्व मानचित्र उपलब्ध करा दिया गया है। उसके आधार पर आठ

में से दो गांवों का सर्वे पूरा भी कर लिया गया है।

चैलेंज किया फेस, डेवलपमेंट को लगे पंख

- चुनौतीपूर्ण रहे रामगढ़ताल को जलकुंभी से निजात दिलाई गई।

- पब्लिक की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कई साल बाद गोरक्ष एन्क्लेव, ग्रीनवुड अपार्टमेंट व राप्ती ग्रींस जैसी ग्रुप हाउसिंग योजनाएं लांच।

- वाटर बॉडी में वोटिंग की शुरुआत।

- काफी समय से पेंडिंग मानचित्रों का निस्तारण।

- एयरफोर्स एरिया में नो कंस्ट्रक्शन जोन का दायरा घटा।

- अधिग्रहण के कई सालों बाद जमीनों पर जीडीए का नाम हुआ दर्ज।

- 35 स्ट्रीट वेंडर्स को नौकायन के पास दी गई वेंडिंग की जगह।

- निगम में शामिल 32 गांवों को शहर बनाने की शुरुआत।

- महंत दिग्विजय पार्क का निर्माण, पीएम आवास, पत्रकारपुरम।

- व्यावसायिक मानचित्रों की स्वीकृति शुरू।

- पार्कों का जीर्णोद्धार कराया गया।

- अवस्थापना निधि से 70 करोड़ खर्च कर शहर की सड़कों, नालों, नालियों की संवारी गई सूरत।

कार्य का नाम स्वीकृत धनराशि लाख में

गोरक्ष एन्क्लेव का निर्माण कार्य 5029.62

चिडिय़ाघर के समीप राप्ती ग्रीन योजना का निर्माण 4061.03

ग्रीनवुड अपार्टमेंट का निर्माण कार्य 35835.91

नगर एरिया के 12 प्राथमिक विद्यालयों के मरम्मत कार्य 61.85

नगर निगम के कार्य

इलेक्ट्रिक चार्जिंग बस स्टेशन --11.50 करोड़

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट-28.40 करोड़

सदन भवन-23.29 करोड़

40 किमी तक गड्ढामुक्त सड़कें-25 लाख

11 नाली का निर्माण-1.46 करोड़

150 सड़क और नाली-2.67 करोड़

149 सड़क और नाली- 2.16 करोड़

पार्षद वरीयता फंड से सड़क और नाली का टेंडर फाइनल-2400 लाख

ईयर एंडर का लोगो रहेगा और जीडीए वीसी और मेयर का वर्जन आएगा।