- बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट शुरू हुई आरटीपीसीआर जांच का कलेक्शन

- भेजे गए सैंपल्स के जरिए की जाएगी जीनोम सीक्वेंसिंग

- बाहर से आने वालों का आरटीपीसीआर टेस्ट किया गया मस्ट

GORAKHPUR: देश के विभिन्न राज्यों में तेजी के साथ फैल रहे कोरोना के केसेज को देखते हुए यूपी गवर्नमेंट ने गाइडलाइन जारी की है। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल व प्रभारी चिकित्साधिकारी व लैब प्रभारी को लेटर भेजा है। उनका कहना है कि जो भी दूसरे राज्यों से गोरखपुर में आ रहे हैं, उनकी आरटीपीसीआर जांच अनिवार्य होगी। साथ ही एक हफ्ते में आरटीपीसीआर जांच के सैंपलिंग के 10 प्रतिशत सैंपल को केजीएमयू लखनऊ लैब में भेजा जाएगा, ताकि जीनोम सिक्वेंसिंग की जा सके।

ट्रैवल हिस्ट्री पता करने के लिए जांच

गोरखपुर में दूसरे राज्यों से आने वाले मुसाफिरों पर जिला प्रशासन व हेल्थ डिपार्टमेंट की पैनी नजर है। कांटैक्ट ट्रेसिंग कर ट्रैवल हिस्ट्री ली जाएगी, जिससे कि जीनोम सिक्वेंसिंग की जा सके। कोविड के नए स्ट्रेन का पता लगाने के लिए यह जरूरी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। डॉ। अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि अनेक प्रदेशों में कोरोना वायरस के नए-नए स्ट्रेन आ रहे हैं। जो यूके स्ट्रेन, ब्राजील स्ट्रेन, साउथ अफ्रीका स्ट्रेन के नाम से पहचाने जा रहे हैं। यह अत्यधिक संक्रामक बताए जा रहे हैं। इसके लिए इंडियन गवर्नमेंट की तरफ से सुझाव दिया गया कि प्रदेशों में आरटीपीसीआर पॉजिटिव पाए गए नमूनों में से कुछ प्रतिशत जीनोम सिक्वेसिंग काराया जाना है। जिसमें कोरोना वायरस के किसी भी नए स्ट्रेन के संचरण की स्थिति का समय से पता चल सके।

दिया गए दिशा-निर्देश

- जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए वे ही सैंपल भेजे जाएंगे जिनकी आरटीपीसीआर जांच में सीटी वैल्यू 25 से कम हो।

- प्रत्येक लैब में सप्ताह में पाजिटिव पाए गए सैंपल की कुल संख्या के दस प्रतिशत का आंकलन किया जाए।

- भेजे जाने वाले सैंपल्स उचित टेम्प्रेचर पर संरक्षित रखे जाएं और प्रत्येक सप्ताह इन सैंपल में से आवश्यक संख्या में सैंपल को उचित कोल्ड चैन (ड्राई आईस) का यूज करते हुए जीनोम सिक्वेसिंग लैब डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलोजी केजीएमसी लखनऊ को भेजा जाएगा।

कोरोना के केसेज बढ़ रहे हैं, लेकिन नया स्ट्रेन हमारे गोरखपुर में अभी तक नहीं है, लेकिन हम पहले से ही उसका पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जानी है। इसके लिए दस प्रतिशत नमूनों को केजीएमयू लखनऊ भेजा जाएगा।

डॉ। सुधाकर प्रसाद पांडेय, सीएमओ