- फेक कॉल से पुलिस कंट्रोल रूम का सिस्टम बेहाल

- नशे में धुत होकर लोग दे देते मर्डर और लूट की सूचना

- पुलिस को हर माह 150 तक आती हैं फेक कॉल

GORAKHPUR:

कंट्रोल रूम: हेलो पुलिस कंट्रोल रूम।

कॉलर: सर, मैं गोरखनाथ से बोल रहा हूं।

कंट्रोल रूम: जी बताइए।

कॉलर: मेरे बेटे का अपहरण हो गया है। मेरी पत्‍‌नी के गोद से बच्चे को छीनकर युवक भाग गए हैं।

कंट्रोल रूम: जरूरी डीटेल्स नोट कराइए।

कॉलर: नाम उम्र कद

यह किसी मूवी या वेब सीरीज की स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि फेक कॉलर और पुलिस कंट्रोल रूम के बीच का इंटरेक्शन है, जिस पर मिल रही सूचनाओं से न सिर्फ पुलिस हलकान है। बल्कि असल कॉलर को भी शक की नजरों से देखा जा रहा है। इस मामले में भी सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम से संबंधित एरिया को कॉल की गई। पुलिस अधिकारी दौड़ पड़े। करीब दो घंटे की मशक्कत कर खूब पसीना भी बहाया, लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज देखने पर हकीकत सामने आई तो गुस्से के सैलाब को मन में दफन कर दूसरे काम में जुट गए। सूचना देने वाले युवक की पत्‍‌नी ने 50 हजार रुपए के लिए अपने बेटे को बेच दिया था। पति ने जब पूछा तो अपहरण की कहानी बना दी।

झूठी सूचना से पुलिस परेशान

पब्लिक की मदद के लिए यूपी पुलिस 112 सहित अन्य मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं। किसी मुसीबत या मुश्किल घड़ी में सूचना देकर मदद मांगी जा सकती है। लेकिन कई बार इस पर फेक या ड्रंक कॉलर कॉल कर दे रहे हैं, जिसकी वजह से पुलिस को बेवजह परेशान होना पड़ रहा है। इसका असर दूसरे केसेज पर भी पड़ रहा है और फेक कॉलर्स की वजह से सही केस की इंवेस्टिगेशन भी प्रभावित हो रही हैं। ऐसे ही गोरखनाथ एरिया में रहने वाला एक व्यक्ति शराब पीने के बाद 3 बार मर्डर की सूचना दे चुका है। जांच में पकड़े जाने पर पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई भी कर चुकी है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि हर सूचना को सही मानकर कार्रवाई की जाती है।

80 से अधिक मोबाइल नंबर ब्लैकलिस्टेड

पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल करके झूठी सूचना देने के मामले में गोरखपुर के फेक कॉलर्स काफी आगे हैं। अब तक ट्रेसिंग के बाद पुलिस ने करीब 80 मोबाइल नंबर ऐसे चिन्हित किए हैं, जिससे बार-बार फेक इंफॉर्मेशन दी जा रही हैं। इन सभी नंबर्स को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है। सिटी कंट्रोल रूम से जुड़े लोगों ने बताया कि करीब 80 नंबर चिन्हित हुए हैं। इनमें 12-13 ऐसे हैं, जिनसे बार-बार किसी न किसी वजह से कॉल आती है।

एक नजर में फेक कॉल्स

790 फेक कॉल जनवरी से लेकर जून तक आई।

5-6 फेक कॉल डेली आती हैं।

130 से 140 फेक कॉल औसतन हर माह आती हैं।

1852 फेक कॉल 2020 में आई थीं।

ये होती है प्रॉब्लम

- पुलिस की जिम्मेदारी है कि हर सूचना को गंभीरता से अटेंड करें।

- सूचना मिलने पर पुलिस की टीम जांच के लिए पहुंचती है।

- जांच में मामला फर्जी, गलत पाए जाने पर मैन पॉवर का दुरुपयोग होता है।

- पुलिस कर्मचारी भी निराश होते हैं। उनका मनोबल टूटता है। कभी-कभी वे गुस्सा भी करते हैं।

- कार्रवाई में लापरवाही पर पुलिस की बदनामी होती है। आरोप लगते हैं।

पुलिस की पब्लिक से अपील

- किसी तरह की घटना के संबंध में सही सूचनाएं दें।

- जांच में पुलिस का सहयोग करें। गलत जानकारी देकर परेशान न करें।

- किसी भी घटना के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताने के बजाय सही तथ्यों से अवगत कराएं।

- व्यवस्था का दुरुपयोग करने के बजाय उसका समुचित उपयोग करने में सहयोग करें।

इन मामलों में लोग देते झूठी सूचना

- मारपीट की घटना होने, राह चलते विवाद पर लूट की सूचना।

- नशे में धुत होकर किसी के मर्डर, हमले या घटना की जानकारी।

- पुलिस को परखने, मजाक या फिर गलतफहमी का शिकार होने पर।

- बच्चों के खेलने के दौरान, मोहल्ले में किसी को परेशान करने के लिए गलत सूचना।

झूठी सूचना पर कार्रवाई का नियम

पुलिस को झूठी सूचना देने पर कार्रवाई का नियम है। कई बार लोग पकड़े जाने पर माफी मांगने लगते हैं। इस वजह से पुलिस उनको छोड़ देती है। शराब पीकर सूचना देने वालों के घरवाले बीच बचाव में आ जाते हैं। इसलिए पुलिस कार्रवाई नहीं करती। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि झूठी सूचना देने पर एफआईआर दर्ज करने का नियम है।

केस-1: लूट की दी सूचना, जांच में मामला निकला झूठ

कैंपियरगंज एरिया में काम करने वाले सेल्समैन ने पुलिस को 75 हजार रुपए लूट की सूचना दी। एसएचओ नवीन सिंह जांच में पहुंचे तो पैसा गिरने पर उसने झूठी कहानी बनाई थी। मई में यह किस्सा सामने आया था।

केस-2: मारपीट में बताई डकैती की कहानी

गुलरिहा एरिया के गुलरिहा बाजार में दो पक्षों के बीच शराब के नशे में मारपीट हुई। तभी एक व्यक्ति ने घर में घुसकर डकैती की जानकारी दे दी। बाद में पता लगा कि सूचना गलत है। पुलिस ने दोनों पक्षों का शांति भंग की आशंका में चालान कर दिया।

वर्जन

पुलिस कंट्रोल रूम को अक्सर झूठी सूचनाएं मिलती हैं। इससे पुलिस को परेशान होना पड़ता है। हमारी सभी से अपील है कि किसी भी मामले की झूठी सूचना नहीं दें। पुलिस आप की सेवा में 24 घंटे तत्पर रहती है। इसलिए सही जानकारी ही दें।

दिनेश कुमार पी, एसएसपी गोरखपुर

अक्सर झूठी सूचनाएं सामने आती हैं। हर महीने सवा से 150 मामले फॉल्स आते हैं। इनमें कोई नशे में तो कोई किसी को परेशान करने के लिए सूचना दे देता है। कई लोग पुलिस को परखने के लिए भी फोन करते हैं। ऐसे कई मोबाइल नंबर चिन्हित किए गए हैं।

वीरसेन सिंह, प्रभारी, सीसीआर