- जिला अस्पताल में डेली कोरोना की जांच कराकर पहुंच रहे मरीज

- हाथ मे पॉजिटिव की रिपोर्ट लेकर एडमिट होने के लिए लगा रहे गुहार

GORAKHPUR: अगर आपने किसी प्राइवेट लैब से कोरोना की जांच की है और आप यह सोच रहे हैं कि आपके लिए एंबुलेंस आएगी और किसी आईसोलेशन वार्ड में ले जाकर एडमिट कराएगी तो आप भ्रम में हैं। क्योंकि पहले की तरह अब हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार कोरोना को लेकर एक्टिव नहीं रहे। हेल्थ डिपार्टमेंट में लापरवाही इस कदर हो चुकी है कि अब कोरोना पॉजिटिव का रिपोर्ट लिए मरीज खुद ही इस अस्पताल से उस अस्पताल एडमिट होने के लिए भटक रहे हैं। इस तरह के केसेज गोरखपुर जिला अस्पताल में डेली आ रहे हैं।

प्राइवेट लैब से आ रहे केस

बता दें, जब से कोरोना की ज्यादा से ज्यादा सैंपल्स की जांच 11 स्पॉट समेत छह प्राइवेट लैब में होने लगी है। उसके बाद से कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में जहां डेली 50-100 के बीच नए मरीज निकल रहे हैं। वहीं, प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच स्वेच्छा से कराने के बाद उन्हें आईसोलेट होना और उनके लिए क्या गाइडलाइन हैं। अब यह भी कोई बताने वाला नहीं है। वह सीधे जिला अस्पताल कोविड-19 डिपार्टमेंट में पहुंच रहे हैं। कोविड-19 प्रभारी डॉ। राजेश कुमार बताते हैं कि ऐसे 3-4 मरीज डेली आते हैं। लेकिन कुछ मरीज तो जांच के बाद भी फिर से डॉक्टर से दिखा रहे है और खुद का कोरोना जांच के लिए जिला अस्पताल में एडमिट हो जा रहे हैं। उनकी केस हिस्ट्री पूछे जाने पर वे बताते हैं कि वे बेतियाहाता स्थित एक पैथोलॉजी में कोरोना की जांच करवाकर आ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर, नर्स के भी होश उड़ जाते हैं और वे खुद सावधानी बरतते हुए किट का इस्तेमाल करने लगते हैं।

नहीं मिला एंबुलेंस

वहीं, सिटी के दिलेजाकपुर निवासी संजय कुमार बताते हैं कि उनकी पूरी फैमिली की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई है। जांच कराने के बाद वे एंबुलेंस का इंतजार करते रहे। लेकिन एंबुलेंस नहीं आया तो वे खुद ही जिला अस्पताल पहुंच गए। लेकिन वहां भी मदद नहीं मिली। उसके बाद आईसोलेशन वार्ड तक पहुंचने के लिए गुहार लगाते रहे। लेकिन कोई नहीं आया, कम से कम होम आईसोलेट तो कर दिए होते, कोई कुछ बताने वाला ही नहीं।

वर्जन

जो भी कोरोना पॉजिटिव आते हैं, उन्हें होम आइसोलेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती है। अगर उनके घर में आइसोलेशन की सुविधा नहीं है, तो उन्हें आइसोलेशन वार्ड में एडमिट कराया जाता है।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ