- 15.08 लाख लोग खा चुके हैं दवा, स्वास्थ्य केंद्रों पर भी बने हैं फाइलेरिया बूथ

- डब्ल्यूएचओ व पीसीआई भी कर रहे हैं अभियान में सक्रिय सहयोग

केस - 1

हरिओमनगर स्थित पॉश कॉलोनी में 18 फरवरी को फाइलेरिया की दवा खिलाने गई टीम को कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्ड ने रोक लिया। टीम द्वारा कई बार समझाने पर भी वह नहीं माना, तो टीम को उन्हें जिला मलेरिया अधिकारी से बात करानी पड़ी। डॉ। एके पांडेय ने सिक्योरिटी कार्ड को दवा की अहमियत और प्रोग्राम का महत्व बताया तब जाकर सुरक्षाकर्मी इसके लिए तैयार हुआ और कॉलोनीवासियों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई।

केस 2

पिपराइच ब्लॉक के करमहां गांव में 20 फरवरी को जब टीम दवा खिलाने पहुंची तो उस गांव के जोगिंदर और रामसजन ने दवा खाने से इनकार कर दिया। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के सोशल मोबलाइजर राजन गुप्ता और पिपराईच के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी संजय सिंह ने स्पॉट पर पहुंच कर दोनों लोगों को समझाया। उन्होंने फोटो के जरिए फाइलेरिया की भयावहता बताई उसके बाद आसपास के लोग दवा खाने के लिए तैयार हुए।

ये दो मामले एग्जामपल पर भर हैं, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कैंपेन में जुटी टीम को रोजाना ऐसी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। फाइलेरिया की दवा का रिएक्शन होता है, इसको लेकर भी उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी स्वास्थ्य महकमा लगातार कोशिश में लगा हुआ है कि सबको दवा खिला दी जाए। व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और पीसीआई के सक्रिय सहयोग और टीम की कोशिशों से अब तक जिले में 15.08 लाख लोग दवा खा चुके हैं। 29 फरवरी तक यह अभियान चलना है, जिसमें आशा-आंगनबाड़ी की टीम घर-घर जाकर दवा खिला रही है। डीएमओ की मानें तो शहरी इलाकों में इस कैंपेन को लेकर ज्यादा मुश्किलें फेस करनी पड़ रही हैं। यहां अब तक सवा दो लाख लोगों ने दवा खाई है।

बीपी-शुगर के मरीज खा सकते हैं दवा

सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने बताया कि फाइलेरिया की दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, प्रेग्नेंट लेडीज और गंभीर तौर से बीमार लोगों को नहीं लेना है। उन्होंने साफ किया है कि ब्लड प्रेशर व शुगर जैसी बीमारियां इस कैटेगरी में नहीं आती हैं और इसके मरीज दवा खा सकते हैं। सीएमओ ने बताया कि अगर फाइलेरिया की दवा खाने से पेट दर्द, उल्टी, मितली, चक्कर आने, चकत्ते पड़ना और दिल तेज धड़कने जैसी शिकायत होती है, तो घबराए नहीं बल्कि यह फाइलेरिया होने का सबूत है। इसकी दवा आपके शरीर में फैले इंफेक्शन को पूरी तरह से खत्म कर रही है।

फाइलेरिया की दवा से परेशानी सिर्फ उन्हीं को होती है, जिनमें फाइलेरिया के वाहक, माइक्रोफाइलेरिया मौजूद हैं और दवा के असर से उनका खात्मा होने लगता है। ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर सीएचसी-पीएचसी पर रैपिड रिस्पांस टीम बनी हुई है जो फौरन मदद कर रही है।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ