गोरखपुर (ब्यूरो).इस तरह के मामले बक्शीपुर बिजली घर, राप्तीनगर बिजली घर के सामने आ रहे हैं। कंज्यूमर्स का आरोप है कि मीटर रीडर पांच से छह महीने बीत जाने के बाद भी बिन नहीं बनाने पहुंचते हैं। कंज्यूमर जब निगम के दफ्तर जाकर बिल नहीं मिलने की कंप्लेन करते हैं, तो उन्हें मीटर रीडिंग का वीडियो बनाकर लाने को कहा जाता है। वीडियो नहीं बनाकर लाने से बिल जमा होने के बाद दोबारा कई गुना अधिक बिल थमाने के मामले सामने आए हैं।

पहले ही चेयरमैन ने जताई थी नाराजगी

सिटी के चारों वितरण खंडों में तीन महीने से दुरुस्त होने के इंतजार में लंबित रीडिंग डिफेक्ट श्रेणी के 10 हजार मामलों को लेकर चेयरमैन सख्त हुए तो अभियंताओं ने आनन-फानन में 5000 मामलों का निस्तारण सिर्फ 10 दिन में कर दिया। साथ ही मीटर परीक्षण खंड के जूनियर मीटर टेस्टरों ने इन सभी कनेक्शनों पर लगे मीटरों की जांच कर 4000 खराब मीटर भी बदल डालें। अब शेष बचे करीब 5000 आरडीएफ के मामलों के निस्तारण की कवायद तेजी से चल रही है। एसई ई। यूसी वर्मा ने बताया कि शहर के चारों वितरण खंडों में आरडीएफ श्रेणी में करीब 10 हजार कनेक्शनों पर गलत बिल बन रहे थे। काफी मीटर बदल दिए गए है। अन्य पर तेजी के साथ कार्य चल रहा है।

केस - 1

-बक्शीपुर के अवधेश गुप्ता के यहां भी सितंबर माह के बाद से मीटर रीडर नहीं गया था। तीन नवंबर को उन्होंने कंप्लेन की। बिल निकलवाया तो 20 हजार रुपए देखकर चौक गए। अब एक साथ इतनी बड़ी रकम कैसे देंगे, इसे लेकर वह परेशान है।

केस - 2

-राप्तीनगर के प्रमोद सिंह का बिजली का बिल अक्टूबर माह का नहीं आया था। तीन दिन पहले मीटर रीडर ने 25 हजार रुपए का बिल बनाया है। इस पर ब्याज अधिभार भी है। अब वह पार्ट पेमेंट के साथ बिल जमा करने के लिए दौड़ लगा रहे हैं।

इन दिनों मीटर एजेंसी की लापरवाही से बिलिंग में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही है। निगम ने अपने स्तर से इसकी जांच कराएगा। जो भी दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- ई। यूसी वर्मा, एसई शहर