गोरखपुर (ब्यूरो)। थोक दवा व्यापारी नकली कारोबारी को दबोचने की फिराक में लगे हैं। हालांकि इसमें अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है। पिछले तीन वर्ष में तीन बार ऐसे मामले सामने आए। जिसमें नकली दवाएं मंडी से सप्लाई की गई। इनमें दो एंटीबायोटिक और एक एंटी एसिडिटी टैबलेट शामिल हैं।

कर्मचारी कर रहे थे दवा की सप्लाई

करीब दो साल पहले मार्केट से फुटकर दवा व्यापारियों को पैंटोसिड दवा दी गई। थोक मंडी के स्टॉकिस्ट के पास दवा का बड़ा स्टॉक रखा हुआ था। फुटकर बाजार से दवाओं की मांग नहीं आ रही थी। स्टॉकिस्ट ने जब पता किया तो पता चला कि कुछ लोग थोक व्यापारी का कर्मचारी बताकर बाजार में दवा की सप्लाई कर रहे थे। कोरोना काल में एंटीबायोटिक जीफी-200 के साथ भी ऐसा ही हुआ। इस दवा की मांग कोविड में बढ़ गई। सप्लाई नहीं हो पा रही थी। इसने नकली दवा कारोबारी को मुफीद अवसर दिया। मिलते-जुलते रैपर के साथ नकली दवा बाजार में उतार दी गई। निर्माता कंपनी और ड्रग विभाग ने नकेल कसी तो एक फुटकर व्यापारी की गिरफ्तारी दिखाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। एंटीबायोटिक सेप्टम के साथ भी ऐसा ही हुआ।

गांव के बाजारों में भेजी जाती है नकली दवाएं

मंडी से जुड़े एक थोक कारोबारी ने बताया कि नकली दवाओं के रैकेट से जुड़े लोग गांव के बाजार के फुटकर विक्रेताओं को टार्गेट करते हैं। वह असली दवा कंपनी से दो गुना मार्जिन देते हैं। इस झांसे में गांव के फुटकर विक्रेता आ जाते हैं। यही से उनका खेल शुरू होता है। वह कोशिश करते हैं कि फुटकर दवा व्यापारी मंडी न आए। फुटकर दवा व्यापारी तक सभी दवाएं पहुंचा दी जाए।

नार्कोटिक्स की टीम दो दिन डाले रही डेरा

थोक दवा मंडी भालोटिया का माहौल इन दिनों गर्म है। नार्कोटिक्स डिपार्टमेंट को नशीली दवाओं के कारोबार का शक है। इसको देखते हुए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) की टीम दो दिन जिले में डेरा डाले रही। टीम ने भालोटिया मार्केट की तीन बड़ी फर्मों की जांच की। तीनों फर्में नार्कोटिक्स दवाओं की सप्लाई करती हैं। इसके अलावा सीएनबी के पास तीन और फर्मों के नाम की सूची थी। उनकी जांच टीम को करनी थी। दवा व्यापारियों के विरोध के बाद टीम बैकफुट पर चली गई।

बाजार में नकली या अधोमानक दवाओं की जांच के लिए कार्रवाई की जाती है। सूचना मिलने पर टीम छापा मारती है। पिछले वर्ष आठ दवाओं के नमूने जांच में फेल हुए। उनकी निर्माता फर्मों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।

जय सिंह, ड्रग इंस्पेक्टर