गोरखपुर (ब्यूरो)। वो भी मैनपॉवर के बगैर। डीडीयूजीयू के कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। निखिल रघुवंशी ने सोलर से चलने वाले ऑटोमेटिव वीडिंग रोबोट का अविष्कार किया है। इस नई टेक्नोलॉजी से न सिर्फ किसानों को लाभ मिलेगा। बल्कि शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी इस ऑटोमेटिव वीडिंग रोबोट से उनके खाली प्लॉट में साफ-सफाई में मदद मिलेगी।

यूके से मिला पेटेंट

डीडीयूजीयू में वीसी प्रो। पूनम टंडन ने रिसर्च को बढावा देने और रिसर्च को इंटरनेशनल लेवल पर पेटेंट कराने के लिए पेटेंट सेल का गठन किया है। इस सेल के जरिए यूनिवर्सिटी के रिसर्च को पेटेंट कराने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसी क्रम में डीडीयूजीयू के कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। निखिल रघुवंशी ने सोलर आधारित ऑटोमेटिव वीडिंग रोबोट का अविष्कार किया है। इस रोबोट के अविष्कार पर यूनाइटेड किंगडम की तरफ से अंतराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त किया है।

आपरेट करना होगा आसान

डॉ। निखिल रघुवंशी बताया कि इस आटोमेटिव वींिडंग रोबोट को आपरेट करना और उसके वर्किंग का तरीका बेहद सहज है। सोलर पैनल से उर्जा प्राप्त करके यह ऑटोमैटिक ही खेतों में चलकर फसलों और पेड़ों के बीच से और अन्य इलाकों से खरपतवार को हटा देगा। इसके साफ-सफाई के तरीके और सेफ्टी संचालन से किसानों को काफी फायदा मिलेगा और उन्हें आसानी से संचालन करने में सुलभ होगा। इस रोबोट के जरिए कृषि उत्पादकता में वृद्धि होने के साथ-साथ कृषि को आसान बनाने में भी मदद मिलेगी।

किसानों के लिए है बेहद लाभकारी

इस रोबोट की खास बात यह है कि यह पूरी तरह से स्वावलंबी है। खरपतवार को पूरी तरह से नष्ट कर एक अलग ही रसायनिक खाद के रूप में उपयोगी बनाने में भी सहायक है। यह किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा। इस टेक्निक एवं अंतराष्ट्रीय पेटेंट के लिए वीसी प्रो। पूनम टंडन एवं कृषि संस्थान के डायरेक्टर प्रो। शरद मिश्रा ने डॉ। रघुवंशी को बधाई दी है।

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कृषि एवं प्रॉकृतिक विज्ञान संस्थान के डॉ। निखिल की तरफ से किए गए आटोमेटिव वीडिंग रोबोट के अविष्कार से यूनिवर्सिटी को इंटरनेशनल लेवल पर एक अलग पहचान मिलेगी। यह बेहद सराहनीय अविष्कार है।

प्रो। पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू

सोलर पॉवर से चलने वाले आटोमेटिव वीडिंग रोबोट का डॉ। निखिल ने अविष्कार किया है। यह किसानों के लिए बेहद कारगर साबित होने वाला रोबोट होगा। इस अविष्कार से यूनिवर्सिटी को एक अलग पहचान होगी।

प्रो। शरद मिश्रा, डायरेक्टर, कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान, डीडीयूजीयू