गोरखपुर (ब्यूरो)। तू जानता नहीं हम लोग अजीत शाही के आदमी हैं। यह कहते हुए मनबढ़ों ने कार छिनकर परिवार को पैदल कर दिया। पीडि़त परिवार ने पुलिस से शिकायत भी की। पुलिस की मानें तो एक समय ऐसा था जब शहर के हर बैंक की रिकवरी का काम माफिया अजीत शाही संभालता था। तब सड़कों से गाडिय़ां ओनर से छिन ली जाती थीं और घरों से भी लोन वाली कार गुंडों के दम पर उठा ली जाती थीं। इतनी दहशत थी माफिया अजीत शाही की। आज वो माफिया शहर से भागा-भागा फिर रहा है।

पीडब्ल्यूडी कांड ने बढ़ाई अजीत की दहशत

पुलिस का कहना है कि गोरखपुर में अजीत शाही का एक तरफा राज चल रहा था। तभी आरएफसी का ठेका मैनेज करने वाले विनोद उपाध्याय की चुनौती अजीत शाही को मिलनी शुरू हुई। अजीत शाही की आंख अब विनोद उपाध्याय का नाम खटकने लगा था। पीडब्ल्यूडी जहां सारा क्रीम काम अजीत शाही की टीम करती थी। साल 2007 में विनोद उपाध्याय ने भी पीडब्ल्यूडी में कदम रखा। करोड़ों रुपए का एक सड़क निर्माण का ठेका निकला। जिसको लेकर दोनों गैंग के बीच मोबाइल पर कहासूनी शुरू हो गई।

लाल बहादुर ने कैप्चर किया पीडब्ल्यूडी

जाने माने एक सीनियर रिपोर्टर ने बताया कि साल 2007 में पीडब्ल्यूडी में करोड़ों के ठेका के लिए टेंडर पडऩा शुरू हुआ। उस दिन अजीत शाही की टीम के लाल बहादुर यादव ने पूरा पीडब्ल्यूडी कैप्चर कर लिया यानी बदमाशों की टीम चारो तरफ फैला दी। खुद चीफ इंजीनियर के कमरे में बैठ गया। तभी पीडब्ल्यूडी गेट के सामने एक लक्जरी कार रूकी, जिसमे विनोद उपाध्याय अपनी टीम के साथ बैठा हुआ था।

पीडब्ल्यूडी में तड़तड़ाने लगीं गोलियां

उस लक्जरी कार से दो युवक उतरे। एक युवक टेंडर डालने पीडब्ल्यूडी के अंदर जाने लगा। पुलिस की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार विनोद का साथी सत्येन्द्र और रिपुंजय राय टेंडर डालने जा रहे थे। गेट पर पहले से खड़े इंद्रकेश पांडेय और अन्य बदमाशों ने सत्येन्द्र पर गोलियां की बौछार कर दी। सत्येन्द्र ऑन द स्पॉट वहीं जमीन पर गिर गया। जबकि रिपुंजय राय को भी गोली लगी थी, पीडब्ल्यूडी से आरटीओ की तरफ भागने लगा। उसके पीछे लाल बहादुर, इंद्रकेश पाण्डेय भी दौड़े। तभी एक पानी की गुमटी के पास ह रिपुंजय राय भी गिर गया। सत्येंद्र और रिपुंजय की वहीं मौत हो गई।

माफिया पर दर्ज हुआ मुकदमा

इस मामले में माफिया अजीत शाही, संजय यादव, संजीव सिंह, इंद्रकेश पाण्डेय समेत 6 के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद विनोद और अजीत शाही गैंग की दुश्मनी और बढ़ गई।

साल 2014 में फिर गैंगवार

पुलिस की मानें तो सात साल बाद एक बार फिर साल 2014 में दोनों ही गैंग का गैंगवार हुआ। इस बार अजीत शाही गैंग का मेन सरगना लाल बहादुर यादव की यूनिवर्सिटी के सामने लक्जरी कार से जाते हुए गोली मार हत्या कर दी गई। जिसमे विनोद उपाध्याय समेत 11 बदमाशों को अभियुक्त बनाया गया।

मुठभेड में मारा गया विनोद

साल 2023 में एक बार फिर अजीत शाही का नाम चर्चा में आया। उसके ऊपर कोआपरेटिव बैंक में जाकर धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ। जिसके बाद पुलिस जिले के सभी माफिया की फाइल खंगालना शुरू कर दी। जैसे तैसे इनामी हो चुके अजीत शाही ने कोर्ट में हाजिर होकर जेल में शरण ले ली। वहीं इसी बीच माफिया विनोद उपाध्याय का भी वारंट जारी हुआ, जिसके बाद वो फरार हो गया। पुलिस ने उसे पकडऩे के लिए एक लाख का इनाम रखा। फरारी के दौरान ही पांच जनवरी 2024 को सुल्तानपुर में पुलिस से मुठभेड़ में विनोद मारा गया।

अजीत शाही पर दर्ज मुकदमे - 33

विनोद उपाध्याय पर दर्ज मुकदमे - 40

अजीत शाही की अवैध प्रापर्टी सीज की गई है। आगे भी कार्रवाई चल रही है। पुलिस इसके जीतने भी केस हैं, उसकी पैरवी तेज कर सजा दिलाने का भी प्रयास कर रही है।

कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी