गोरखपुर (ब्यूरो)। सबसे ज्यादा हिप ज्वाइंट के 65 परसेंट पेशेंट पाए गए हैं। स्टडी के दौरान 34 बच्चों के हिप ज्वाइंट में यह प्रॉब्लम थीं। जिन्हें दवा देकर ठीक किया गया।

52 बच्चों पर रिसर्च

डॉक्टर्स की स्टडी में सेप्टिक अर्थराइटिस से पीडि़त 52 बच्चों को शामिल किया गया। इनमे से 17 फीमेल व 35 मेल बेबी रहे। इन सभी का एज ग्रुप दो साल के अंदर थी। 48 के घुटने नी ज्वाइंट या हिप ज्वाइंट में सूजन थी। 44 के घुटने में दर्द भी था। जोड़ के फ्लूड की कल्चर जांच में चार बच्चों और ब्लड कल्चर जांच में तीन में स्टैफ ओरियस बैक्टिरिया मिला। वहीं, 42 बच्चों में किसी भी बैक्टिरिया या फंगस की पुष्टि नहीं हुई।

एज ग्रुप

15-28 दिन से कम बच्चें

20-29 से 60 दिन

12-61 से 120 दिन

05-120 दिन से अधिक

बच्चों में हमलावर बीमारी

34-हिप ज्वाइंट

12-नी ज्वाइंट

03-एलबो ज्वाइंट

03-अदर ज्वाइंट

स्टडी में ज्यादातर बच्चों में स्टैफ ओरियस बैक्टीरिया मिला है। जो हिप ज्वाइंट में सेप्टिक अर्थराइटिस से परेशान थे। अगर बच्चों के शरीर पर घाव हो तो सावधानी बरते, साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें, साथ ही किसी प्रकार की परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क करें।

डॉ। इकबाल अहमद, अध्ययन कर्ता

बाल रोग विभाग में बीमारियों की रोकथाम और बेहतर इलाज के लिए रिसर्च और स्टडी हो रहे हैं। बच्चों को बेहतर से बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए यह स्टडी की जा रही है।

- डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी बाल रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज