गोरखपुर (ब्यूरो)।इसमें हॉकी से जुड़े पांच सवाल लोगों के बीच रखे गए। इसमें लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। सर्वे का जो जीस्ट निकलकर आया उसके हिसाब से अगर स्कूलों से ही हॉकी को बढ़ावा मिले और वहीं से खिलाडिय़ों को बुनियादी सुविधाएं मिलने लगें, तो हॉकी आगे निकल सकती है और इसमें कॅरियर के भी बेहतर ऑप्शन मिल सकते हैं।

55.8 परसेंट को हॉकी पसंद

पसंदीदा गेम से जुड़े पूछे गए सवाल के जवाब में 55.8 परसेंट लोगों ने क्रिकेट को अपना पसंदीदा गेम बताया। 33.3 परसेंट लोग ऐसे थे, जिन्होंने हॉकी को अपना पसंदीदा गेम बताया है। वोट देने वाले लोगों में फुटबाल और रेसलिंग को 5-5 परसेंट लोग पसंद करते हैं। लोगों का मानना है कि जिस तरह से क्रिकेट में आईपीएल ने लोगों का अट्रैक्शन अपनी ओर खींचा है, अगर हॉकी में भी वैसी पहल की जाए तो यह भी ऊंचाइयों को छू सकता है। स्कूल से बढ़ावा मिलने के साथ ही खिलाडिय़ों को तवज्जो मिलनी भी बहुत जरूरी है। ऐसा न होने पर कोई खिलाड़ी किसी को आइडियल नहीं मानेगा और उस गेम की ओर रुख ही नहीं करेगा।

पैसों की है कमी

हॉकी को क्रिकेट सा मुकाम न मिलने की सबसे अहम वजह पैसों की कमी है। देश की हॉकी टीम को भले ही उड़ीसा स्टेट स्पांसर कर रहा है, लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि यूपी या खासतौर पर गोरखपुर में हॉकी को कोई गोद ले और उसे स्पांसर करे। इससे पैसों की कमी दूर होगी और वह टैलेंट भी सामने आएगा जो पैसों की कमी की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। पैसों की कमी के साथ ही ग्लैमर और सुविधाएं भी हॉकी के आगे बढऩे की राह में रोड़ा साबित हो रही हैं।

यह रहा सर्वे का रिजल्ट -

आपका पसंदीदा खेल कौन सा है?

हॉकी - 33.3 परसेंट

क्रिकेट - 55.8 परसेंट

फुटबाल - 5.8 परसेंट

रेसलिंग - 5.1 परसेंट

नेशनल खेल होने के बाद भी हॉकी आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है?

ग्लैमर नहीं है - 11.9 परसेंट

पैसों की कमी - 25.4 परसेंट

सुविधाओं की कमी - 22 परसेंट

उपरोक्त सभी - 40.7 परसेंट

हॉकी को आगे बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?

आईपीएल जैसे इवेंट हों - 25 परसेंट

खिलाडिय़ों को तवज्जो मिले - 5.4 परसेंट

स्कूल से ही बढ़ावा मिले - 55.4 परसेंट

सुविधाएं बढ़ाई जाएं - 14.3 परसेंट

हॉकी के हाल के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?

स्कूल - 5 परसेंट

सुविधाएं - 45 परसेंट

सरकार - 26.7 परसेंट

एसोसिएशन - 23.3 परसेंट

क्या गोरखपुर से हॉकी के बड़े खिलाड़ी निकल सकते हैं?

हां - 98.3 परसेंट

नहीं - 1.7 परसेंट

पता नहीं - 0