गोरखपुर (ब्यूरो)। रेलवे स्टेशन प्रबंधन की तरफ से कई बार नोटिस जारी कर आरपीएफ व जीआरपी को निर्देशित किया जा चुका है कि स्टेशन परिसर से संचालित होने वाली टैक्सी और ऑटो का रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही उनका संचालन किया जाएगा, ताकि टैक्सी या ऑटो से अपने गंतव्य तक जाने वाले मुसाफिर सुरक्षित पहुंच सके। लेकिन प्री-पेड बूथ सुविधा को लेकर टैक्सी संचालकों और ऑटो रिक्शा संचालकों के आपसी खींच-तान का खामियाजा प्लेटफॉर्म पर उतरने वाले मुसाफिरों को उठाना पड़ रहा है। जहां परिसर के भीतर ऑटो, ई-रिक्शा और टैक्सी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। वहीं वर्षो से संचालित ऑटो व टैक्सी संचालकों के मनमानी जारी है।

बाहरी टैक्सी और ऑटो रिक्शा प्रतिबंधित

रेलवे प्रशासन की तरफ से प्री-पेड बूथ से टैक्सी या ऑटो बुकिंग के लिए टेंडर अमरदीप इंटरप्राइजेज फर्म को दिया है। फर्म संचालक संदीप गुप्ता की तरफ से एंट्री गेट से बाहरी टैक्सी और ऑटो ड्राइवर को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। लेकिन नई व्यवस्था के शुरू होने के बाद से पहले से संचालन करने वाले ऑटो और टैक्सी संचालकों को यह नई व्यवस्था रास नहीं आ रही है। इस मामले को लेकर स्टेशन डायरेक्टर से टैक्सी संचालक और ऑटो ड्राइवर मिल भी चुके हैैं, जबकि नई व्यवस्था के तहत यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर प्री-पेड बूथ से संचालन होने वाली गाडिय़ों के ड्राइवर के नाम, पता और मोबाइल नंबर समेत गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही संचालित होना है।

रजिस्ट्रेशन कराने में आना-कानी

टैक्सी और ऑटो ड्राइवर अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर समेत रजिस्ट्रेशन कराने में आनाकानी कर रहे हैैं। जबकि सुरक्षा व्यवस्था के तहत रेलवे का यह फैसला जनहित में लिया गया है। नई व्यवस्था के तहत टैक्सी संचालक का एक महीने के लिए 1500 रुपए रजिस्ट्रेशन चार्ज है। तो वहीं ऑटो के लिए 500 रुपए महीने के देने हैं। इन ड्राइवर्स की मानें तो वह प्रतिदिन 30 रुपए देकर संचालित करने को तैयार है, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे। जबकि पहले ऑटो व टैक्सी संचालक जीआरपी को पैसा जमा करते थे, लेकिन इससे रेलवे को काफी नुकसान था। अब सवाल उठता है कि जब यह ड्राइवर्स अपने वाहनों और खुद का डिटेल्स रेलवे को जमा नहीं करेंगे तो फिर यात्री कहां से सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगे।

यात्रियों को हो रही दिक्कत

दिल्ली, मुंबई या फिर सूरत जैसे लंबी यात्रा करके प्लेटफॉर्म पर उतरने के बाद उन्हें टैक्सी पकडऩे में आसानी होती, लेकिन इन टैक्सी संचालकों के मनमाने रवैये के कारण यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैैं। उन्हें स्टेशन परिसर से बाहर आकर व्हीकल बुक करना पड़ रहा है। प्री-पेड बूथ से टैक्सियों के न मिलने के कारण यात्री भी मायूस होकर लौट जा रहे हैैं। गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से उतरने के बाद टैक्सी बुक कराने के लिए पहुंचे रोहित शर्मा को कुशीनगर जाना था, प्री-पेड बूथ पर फेयर भी मेंशन था, लेकिन कोई भी टैक्सी वाला नहीं था, जो प्री-पेड बूथ के फेयर पर ले जा सके। कमोबेश यही समस्या रेनू त्रिपाठी के साथ हुआ, वह अपने दो बच्चों के साथ लखनऊ से गोरखपुर आई थी, उन्हें राप्तीनगर जाना था, लेकिन वह अपने ट्राली बैग के साथ स्टेशन परिसर से बाहर आईं, तब जाकर उन्हें ई-रिक्शा करना पड़ा।

यात्रियों की सुविधा के लिए और उनके सुरक्षा के लिए प्री-पेड बूथ का संचालन किया जा रहा है। जो भी टैक्सी या फिर ऑटो होंगे, उनका रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही उनका संचालन होगा, ताकि यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित भेजा जा सके। जो भी अनाधिकृत रूप से ऑटो या फिर टैक्सी का संचालन होगा। उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे